हरित विकास और किफायती स्वास्थ्य पहुंच में हमारी वैश्विक साझेदारी के केन्द्र में होगा ग्लोबल साउथ- विदेश मंत्री
इस संबंध में उसकी अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के केंद्र में हमेशा ग्लोबल साउथ रहेगा
नई दिल्ली, 17 नवंबर (हि.स.)। विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने शुक्रवार को दूसरे ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) को आश्वासन दिया है कि डिजिटल समावेशन, हरित विकास और किफायती स्वास्थ्य पहुंच की दिशा में हो रहे प्रयासों का लाभ इन देशों तक भी पहुंचेगा। इस संबंध में उसकी अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के केंद्र में हमेशा ग्लोबल साउथ रहेगा।
वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन के पहले विदेश मंत्रियों के सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि 78 देशों में विकास परियोजनाओं के माध्यम से अपनी ग्लोबल साउथ के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया है। यह परियोजनाएं जरूरत आधारित, परिणामोन्मुख, पारदर्शी और टिकाऊ हैं और आने वाले समय में अपने पैमाने और दायरे में विस्तार करेंगी।
जयशंकर ने कहा कि कोविड काल ने इस बात का अहसास दिलाया है कि बुनियादी आवश्यकताओं के लिए दूर-दराज के भौगोलिक क्षेत्रों पर निर्भरता के खतरें हैं। हमें न केवल उत्पादन का लोकतंत्रीकरण और विविधिकरण करने की जरूरत है बल्कि लचीली और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला बनाने और स्थानीय समाधानों को बढ़ावा देने की भी जरूरत है। ऐसे ही ग्लोबल साउथ अपना भविष्य सुरक्षित कर सकता है।
डॉ एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने अपनी जी- 20 अध्यक्षता में इस बात पर जोर दिया है कि विकासशील देशों की आर्थिक चिंताओं का समाधान उन्हीं के भीतर से निकले। उन्होंने कहा कि आर्थिक परिदृश्य और सतत विकास लक्ष्यों की गंभीर स्थिति को देखते हुए यह जरूरी है।
विदेश मंत्री ने कहा कि जी 20 का सबसे संतोषजनक पहलू अफ्रीकी संघ को संगठन का सदस्य बनाना रहा है। इससे 1.4 अरब लोगों को वैश्विक मंच पर अपनी बात रखने का अवसर मिला है। जयशंकर ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि ग्लोबल साउथ दुनिया के प्रमुख मुद्दों के समाधान में बड़ी भूमिका निभा सकता है लेकिन उसके रास्ते में अभी भी कई रुकावटें हैं। हालांकि अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस और आपदा प्रबंधन से जुड़े सीडीआरआई जैसे संगठन इस दिशा में अवसर प्रदान कर रहे हैं।