बुन्देलखंड के राठ में दीपावली के दिन फुंकेगा रावण का पुतला
सैकड़ों साल पुरानी परम्परा में रावण वध के साथ होता है दशहरा
हमीरपुर, 10 नवम्बर (हि.स.)। बुन्देलखंड क्षेत्र के हमीरपुर जिले का एक बड़े इलाकों में इस बार दीपावली के दिन रावण का पुतला फूंकने की तैयारी शुरू कर दी गई है। दीपावली के दिन रावण का विशालकाय पुतला जलाने की सैकड़ों साल पुरानी बड़ी अजीबोगरीब परम्परा है जिसका आज भी निर्वहन किया जा रहा है। यह परम्परा कोराना संक्रमण काल में एक बार टूट गई थी।
हमीरपुर जिले के राठ तहसील मुख्यालय में दीपावली त्योहार के दिन रावण का पुतला फूंक कर दशहरा मनाये जाने की परम्परा कायम है। वैसे देखा जाये तो रावण के पुतले का दहन पूरे भारत वर्ष में दशहरे के दिन ही होता है लेकिन बुन्देलखंड में हमीरपुर का राठ ऐसा इलाका है जहां पिछले 133 साल से दीपावली के दिन रावण के पुतले का दहन होता है। इसे लोग अनोखी परम्परा मानते हैं जब दीपावली के दिन रावण का पुतला फूंकते ही लोग एक दूसरे को गले मिलकर बधाई देते हैं और घरों में दीये जलाकर खुशियां मनाते हैं।
रामलीला कमेटी के सदस्य हरिमोहन चंदसौरिया ने बताया कि राठ तहसील मुख्यालय के रामलीला मैदान में राम रावण का पहले युद्ध होता है फिर इसके बाद रावण के पुतले का दहन होता है। राठ नगर में इस परम्परा की लीला के दौरान एक विशाल मेला भी लगता है जिसमें हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है। स्थानीय बुजुर्ग लोगों का कहना है कि साल भर में दीपावली के ही दिन दशहरा और दीपावली दोनों त्योहार मनाकर एक दूसरे को खुशियां बांटी जाने की परम्परा यहां कायम है। बताया कि दशहरे के दिन से यहां रामलीला का आयोजन होता है फिर दिवाली के दिन राम-रावण युद्ध के बाद रावण का पुतला जलाया जाता है।
ऐसे पड़ी दीपावली के दिन रामलीला की अनूठी परम्परा
रामलीला कमेटी के आजीवन सदस्य हरीमोहन चंदसौैरिया ने बताया कि शुरू में यह कार्यक्रम छोटे स्तर पर होता था मगर समय बदलने के साथ पिछले कई दशकों से यह परम्परा चल रही है। उन्होंने बताया कि सौ वर्ष पहले जब रामलीला महोत्सव की शुरुआत हुई थी तब उस समय रामलीला स्थान पर बरसात का पानी भरा रहता था। बरसात का पानी सूखने में दशहरा पर्व निकल जाता था। इसीलिये दशहरा पर्व दीपावली के दिन मनाने की परम्परा पड़ी। बताते हैं कि राठ में दशहरे का रावण पुतला फूंकने के लिए कोई जगह नहीं है। जो जगह है उसका पानी सूखने में दस दिन लग जाते हैं। इसलिए राठ नगर में दीपावली के दिन रावण का पुतला फूंक कर दशहरा त्यौहार मनाने की परम्परा पड़ी जो अभी तक कायम है।
रामलीला मैदान में खड़ा है रावण के लोहे का फ्रेम
रामलीला कमेटी के आजीवन सदस्य ने बताया कि कई दशक पहले रावण का पुतला तैयार कर रामलीला मैदान में खड़ा किया जाता था मगर अब कई सालों से रावण के लिये कमेटी ने लोहे का फ्रेम तैयार कराया था जो साल भर तक ऐसे ही खड़ा रहता है। इसकी ऊंचाई करीब तीस फीट है। इसी फ्रेम में मैटेरियल लगाकर रावण का रूप दिया जाता है। आतिशबाजी के पटाखे भी इसमें भरे जाते हैं। दीपावली के दिन राम-रावण युद्ध के बाद इस पुतले को आग के हवाले किया जाता है। पुतला भी बीस मिनट में जल जाता है। रावण के पुतले का दहन होते ही लोग दशहरे की खुशियां एक दूसरे से मिलकर मनाते हैं। राठ क्षेत्र के दर्जनों गांवों में दीपावली और दशहरा एक साथ मनाया जाता है। कस्बे में इस अनूठी परम्परा देखने लाखों की भीड़ उमड़ती है।