स्वदेशी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक 'सूरत' युद्धपोत के शिखर का अनावरण
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल 17 मार्च को मुंबई में किया था लॉन्च
अगली पीढ़ी के विध्वंसक में से चौथा और अंतिम जहाज है आईएनएस सूरत
नई दिल्ली, 06 नवंबर (हि.स.)। भारतीय नौसेना के स्वदेशी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक ‘सूरत’ के शिखर का अनावरण सोमवार को नौसेना की पश्चिमी कमान के तत्वावधान में सूरत शहर में आयोजित किया गया। युद्धपोत का अनावरण गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने किया। समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार भी शामिल हुए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस जहाज को पिछले साल 17 मार्च को मुंबई में लॉन्च किया था।
नौसेना के कमांडर विवेक मधवाल ने बताया कि युद्धपोत का शिखर खंभात की खाड़ी के दक्षिणी प्रवेश द्वार पर स्थित हजीरा (सूरत) के प्रसिद्ध प्रकाश स्तंभ को दर्शाता है। शिखर पर गुजरात का राज्य पशु एशियाई शेर भी है, जो जहाज की ताकत का प्रतीक है। लड़ाकू क्षमताओं से लैस युद्धपोत सूरत समुद्री सुरक्षा और राष्ट्रीय रक्षा के लिए नौसेना की प्रतिबद्धता का शक्तिशाली प्रतीक है। भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने की दहलीज पर खड़ा ‘सूरत’ दुर्जेय प्रहरी के रूप में काम करने, देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करने और क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को बनाए रखने का वादा करता है।
अग्रिम पंक्ति के युद्धपोत 'सूरत' का निर्माण परियोजना 15 बी के तहत मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में किया जा रहा है। यह अगली पीढ़ी के स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक में से चौथा और अंतिम जहाज है। इस युद्धपोत का निर्माण स्वदेशी अत्याधुनिक युद्धपोत निर्माण प्रौद्योगिकी और रणनीतिक सैन्य प्रगति के लिए राष्ट्र को समर्पित है। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश की नौसेना छोटी थी लेकिन वर्तमान में भारतीय नौसेना युद्ध के लिए तैयार, एकजुट, विश्वसनीय और भविष्य के लिए सक्षम बन चुकी है।
दरअसल, सूरत शहर 16वीं से 18वीं शताब्दी तक भारत और कई अन्य देशों के लिए सबसे महत्वपूर्ण समुद्री व्यापारिक केंद्र रहा है। सूरत शहर जहाज निर्माण कार्यों के लिए एक समृद्ध केंद्र भी रहा है, क्योंकि यहां निर्मित अनेक जहाज़ों ने 100 वर्षों से ज्यादा समय तक अपनी सेवाएं प्रदान की हैं। भारत की नौसैनिक परंपरा है कि जहाजों के नाम देश के प्रमुख शहरों के नाम पर रखे जाते हैं। इसीलिए नौसेना ने सूरत शहर के नाम पर अपने इस सबसे उन्नत युद्धपोत का नाम रखा है। यह गुजरात के किसी भी शहर के नाम पर रखा जाने वाला पहला युद्धपोत है। यह भी पहली बार है कि इस युद्धपोत के शिखर का अनावरण उसी शहर में किया गया है, जिसके नाम पर इसका नामकरण किया गया है।