भुवनेश्वरी मंदिर के कुंड का पानी पीने से चर्मरोग होता है छूमंतर
सैकड़ों साल पुराने मंदिर में हाजिरी लगाने से मन को मिलती है बड़ी शांति
हमीरपुर, 22 अक्टूबर (हि.स.)। जिले में बेतवा नदी किनारे बने मां भुवनेश्वरी देवी के मंदिर में इन दिनों नवदुर्गा पर्व की धूम मची हुई है। यहां मंदिर में बने कुंड का पानी पीने से चर्मरोग भी छूमंतर हो जाता है। यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है, जहां मां के दरबार में हाजिरी लगाने पर हर संकट से लोगों को निजात मिलती है।
जिले के सरीला क्षेत्र में भेड़ी डांडा गांव में चार एकड़ भूमि पर बीचोबीच बेतवा नदी किनारे मां भुवनेश्वरी देवी का मंदिर बना है। चूना, कंकर से निर्मित यह मंदिर सैकड़ों साल पहले बना था जिसे कुछ साल पहले गांव के लोगों की मदद से भव्य रूप दिया जा चुका है। मंदिर को संवारने के लिए महाराष्ट्र के कारीगरों को बुलवाया गया था।
कई सालों तक कारीगर मंदिर को भव्य स्वरूप देने में जुटे रहे। मंदिर भी 61 फीट ऊंचा है। मंदिर के अंदर मां भुवनेश्वरी देवी की मूर्ति, दीवाल में बनी गहरी अलमारी में विराजमान है। इसके बगल में एक कुंड बना है जिसकी गहराई का अंदाजा अब तक कोई भी नहीं लगा पाया है। कुंड में हर समय जल भरा रहता है।
मंदिर में बने कुंड का पानी पीने से चर्मरोग होता है छूमंतर
मंदिर के पुजारी अशोक कुमार ने बताया कि गांव का यह मंदिर बहुत प्राचीन है जो बुन्देलखंड क्षेत्र में प्रसिद्ध है। मंदिर में मां की मूर्ति के बगल में एक गहरा कुंड है, जिसमें कभी पानी खत्म नहीं होता। इस कुंड का पानी पीने से शरीर सम्बन्धी बीमारी भी छूमंतर होती है। चर्मरोग के मरीज माता रानी के दर्शन करने और कुंड का पानी पीते ही ठीक हो जाते हैं। गांव में शरीर में कोई रोग होने व छोटी चेचक निकलने पर मरीज को कुंड का पानी पिलाया जाता है। पानी पीने के बाद बीमारी भी ठीक हो जाती है।
माता रानी के दरबार में हाजिरी लगाने पर मन्नतें होती है पूरी
मंदिर के पुजारी अशोक कुमार ने बताया कि यह मंदिर 502 साल पुराना है। यहां लोगों की मन्नतें पूरी होती है। आसपास के इलाकों और पड़ोसी राज्यों से भी नवदुर्गा पर्व पर बड़ी संख्या में लोग मां के दरबार में हाजिरी लगाने आते है। उन्होंने बताया कि निरूसंतान लोगों को भी इस दरबार से राहत मिली है। गांव के लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुख्यात डकैत यहां माता रानी के दरबार में हाजिरी लगाते थे। माता रानी को प्रसन्न करने के लिए घंटे भी चढ़ाए गए थे। बताते हैं कि मां भुवनेश्वरी पूरे गांव की रक्षा भी करती हैं।