कच्छ की अनूठी लोक संस्कृति की धड़कन हैं धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल : मुख्यमंत्री भूपेंद्र

मिनी तरणेतर कहे जाने वाले कच्छ के ‘जख्ख बौंतेरा’ मेले का शुभारंभ

कच्छ की अनूठी लोक संस्कृति की धड़कन हैं धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल : मुख्यमंत्री भूपेंद्र

भुज, 02 अक्टूबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को कच्छ जिले की नखत्राणा तहसील के सायंरा (यक्ष) में जिले के सबसे बड़े और मिनी तरणेतर के रूप में पहचाने जाने वाले यक्ष बौंतेरा ककडभीट के रंग बिरंगे मेले का विधिवत रूप से शुभारंभ किया। यह पहली बार है जब लगभग 1200 साल से अधिक पुराने और इस वर्ष 1282वीं बार आयोजित हो रहे इस भव्य मेले का शुभारंभ मुख्यमंत्री ने किया। मुख्यमंत्री ने फीता काटकर इस लोकमेले का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी का स्मरण करते हुए उन्हें वंदन भी किया।

मेले का लुत्फ उठाने पहुंचे लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कच्छ को पर्यटन का तोरण बनाकर कच्छ के रणोत्सव और कच्छ की लोक संस्कृति एवं विभिन्न स्थलों के महत्व को दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर स्थापित किया है। इसलिए ही कहा जाता है- ‘कच्छ नहीं देखा, तो कुछ नहीं देखा।’ मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यक्ष का मेला, माता नो मढ़, हाजी पीर, कोटेश्वर, रवेची, जेसल-तोरल समाधि, नारायण सरोवर और लखपत गुरुद्वारा जैसे धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थान कच्छ की अनूठी लोक संस्कृति की धड़कन हैं।

मुख्यमंत्री ने छोटी ग्राम पंचायत के सहयोग से आयोजित यक्ष के भव्य मेले को ग्राम पंचायतों के सशक्तिकरण का शानदार उदाहरण बताते हुए कहा कि कच्छ की ग्रामीण संस्कृति को रणोत्सव के जरिए विकसित करने का अवसर सृजित कर प्रधानमंत्री मोदी ने कच्छ के सर्वग्राही विकास को वास्तविक बनाया है। उन्होंने सुदूरवर्ती गांवों और सीमावर्ती क्षेत्रों तक विकास पहुंचाकर गांवों का सशक्तिकरण करते हुए ग्राम स्वराज का विचार भी साकार किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कच्छ जो पहले केवल रण क्षेत्र के रूप में जाना जाता था, आज वहां 30 हजार मेगावाट क्षमता वाले हाइब्रिड (सौर और पवन ऊर्जा) एनर्जी पार्क का निर्माण हो रहा है। कच्छ में आज कई बड़े उद्योग संचालित हैं। डेयरी उद्योग के माध्यम से कच्छ में पशुपालन एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। ऊंटनी के दूध से बनने वाले दुग्ध उत्पाद देशभर में पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि कच्छ के लोकोत्सव और मेलों का आनंद उठाने के लिए आने वाले पर्यटकों को प्रधानमंत्री की प्रेरणा से बने स्मृति वन स्मारक को देखने के लिए अवश्य जाना चाहिए। इससे कच्छ में पर्यटन उद्योग को और अधिक तेजी मिली है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज कच्छ परंपरागत लोक संस्कृति की विरासत एवं आधुनिकता के संगम के साथ देश में ‘आत्मनिर्भर’ बन गया है। पारंपरिक ऐतिहासिक यक्ष का लोकमेला भी विभिन्न कलाकृतियों, खिलौनों, खान-पान और मनोरंजन के साधनों के जरिए स्थानीय रोजगार वृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया है। D02102023-14

कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए कच्छ मोरबी के सांसद विनोदभाई चावड़ा ने कहा कि पिछले 1200 वर्ष की परंपरा के अनुसार यक्ष के मेले का आयोजन किया जाता है। वीरों की भूमि कच्छ में मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए सांसद ने कहा कि यह लोकमेला कच्छ के लोगों के हृदय में एक विशेष स्थान रखता है। अबडासा के विधायक प्रद्युमनसिंह जाडेजा ने भी विचार प्रकट किए।

कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष जनकसिंह जाडेजा, मालतीबेन महेश्वरी, अनिरुद्धभाई दवे, त्रिकमभाई छांगा, तहसील पंचायत अध्यक्ष भावनाबेन पटेल, मेला समिति अध्यक्ष धीरुभाई पटेल, पूर्व सांसद पुष्पदान गढ़वी, पूर्व राज्य मंत्री वासणभाई आहिर, पूर्व विधायक रमेशभाई महेश्वरी, पंकजभाई मेहता, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पारुलबेन कारा, अग्रणी देवजीभाई वरचंद, धवलभाई आचार्य, जिला कलेक्टर अमित अरोरा, प्रांत अधिकारी डॉ मेहुल बरासरा सहित कई अग्रणियों और अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।

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