सूरत : सिविल अस्पताल में दो मूक-बधिर बच्चों की सफल कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी नि:शुल्क की गई
निजि अस्पताल में इस प्रकार की सर्जरी 12 लाख की लागत से होती है
सूरत के न्यू सिविल अस्पताल में आज एक ही दिन में चार साल के दो मूक-बधिर बच्चों की मुफ्त कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की गई। सूरत सिविल के ईएनटी विभाग के प्रमुख डॉ. जैमिन कॉन्ट्रैक्टर और डॉ. राहुल पटेल ने शहर के उमरवाड़ा इलाके में रहने वाली चार वर्षीय आयशा अब्दुल रऊफ शेख और अमरोली में रहने वाले चार वर्षीय हार्दिक मोतीभाई बर्डिया का ऑपरेशन किया गया।जन्म से मूक-बधिर (बोल और सुन नहीं सकते) दोनों बच्चों को 'बोलने-सुनने' और नई जिंदगी का उपहार दिया गया है। इसके साथ ही न्यू सिविल हॉस्पिटल द्वारा 7वां और 8वां सफल 'कॉक्लियर इंप्लांट' किया गया है।
जिस सर्जरी की कीमत एक निजी अस्पताल में लगभग 10 से 12 लाख रुपये होती है, वह सर्जरी एक सिविल अस्पताल में 'राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम' के तहत मुफ्त में की जा रही है, जिससे दो मध्यमवर्गीय परिवारों को बड़ी वित्तीय राहत मिली है। इससे पहले नवी सिविल द्वारा 6 बच्चों की सर्जरी की जा चुकी है। दो और बच्चों में कुल 8 सफल प्रत्यारोपण किए गए हैं। न्यू सिविल के डॉक्टरों के प्रयास से दो बच्चों को नई जिंदगी मिली है।
'राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम' मूक-बधिर बच्चों के परिवारों के लिए आशा की किरण बन गया है। इन बच्चों के परिजनों ने सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की मदद और देवदूत डॉक्टरों के प्रयास से सफल ऑपरेशन के बाद उन्हें खुशियों की एक नई दुनिया मिली है।
'कॉक्लियर इंप्लांट' के बारे में ईएनटी सिविल विभाग के डॉ. राहुल पटेल ने कहा, इस सर्जरी में चार से पांच घंटे लगते हैं। कम उम्र में, यानी छह साल से कम उम्र में, सफलता की संभावना अधिक होती है। इस विधि के बारे में बताया जाता है कि बच्चे के कान की त्वचा के अंदरूनी हिस्से में शल्य चिकित्सा द्वारा एक इलेक्ट्रोड मशीन लगाई जाती है, फिर तीन सप्ताह के बाद टांके खोल दिए जाते हैं और मशीन चालू कर दी जाती है। इन बच्चों को पूरी तरह से ठीक करने के लिए ऑपरेशन के बाद भी बच्चों को 1 से 2 साल तक 'ऑडिटरी वर्बल थेरेपी' (एवीटी) की जरूरी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। ताकि धीरे-धीरे बच्चा सुने और बोले।