गुजरात: अभयारण्य-राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्रों को सौ फीसदी प्लास्टिक फ्री बनाने का चलेगा अभियान
2 से 8 अक्टूबर के दौरान सभी 33 जिलों व 250 तहसीलों में मनाया जाएगा ‘वन्य जीव सप्ताह’
गांधीनगर, 30 सितंबर (हि.स.)। राज्य में वन विभाग की ओर से इस वर्ष 2 से 8 अक्टूबर के दौरान सभी 33 जिलों, 250 तहसीलों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ‘वन्य जीव सप्ताह’ विभिन्न रूप में मनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, देश भर में हाल में जब स्वच्छता अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है, तब राज्य में स्थित सभी अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्रों को 100 प्रतिशत प्लास्टिक फ़्री बनाने के लिए वहाँ स्वच्छता अभियान शुरू किया जाएगा।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य जीव तथा चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन एन. श्रीवास्तव ने राज्य में 2 अक्टूबर से आयोजित होने वाले वन्य जीव सप्ताह के विषय में बताया कि इस वर्ष वन विभाग द्वारा वन्य जीव सप्ताह को विशेष बनाने के लिए विभिन्न प्रयास किए जाएंगे। राज्यभर में इस सप्ताह के दौरान नागरिकों में वन्य जीव तथा जीव सृष्टि के प्रति जनजागृति फैलाने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें स्थानीय महानुभावों की उपस्थिति में चित्र प्रतियोगिता के तहत शहरों की बड़ी दीवारों पर पेंटिंग तथा रैलियाँ आयोजित की जाएंगी। इसके अतिरिक्त, जिलेवार नेचर एजुकेशन शिविर तथा वन क्षेत्रों में ट्रैकिंग का आयोजन भी किया जाएगा। इस शिविर में रात्रि निवास की विशेष व्यवस्था कर बच्चों तथा शिविरार्थियों को वन्य जीवन-वन्य जीवों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इतना ही नहीं, इन शिविरों में इस विषय पर विचार-विमर्श किया जाएगा कि वन्य जीवों को होने वाली समस्याओं के निवारण में मानव किस प्रकार सहभागी हो सकता है। साथ ही, सोशल मीडिया के माध्यम से भी अधिक से अधिक लोगों तक वन्य जीव संरक्षण का संदेश पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
भारत में जैव विविधता का भंडार है। भारत वन्य प्राणियों तथा वृक्षों की विभिन्न प्रजातियों की विशाल श्रृंखला का घर भी है और भारत की वनस्पति सृष्टि तथा वन्य प्राणी सृष्टि विश्व की कुल जैव विविधता का 7 प्रतिशत से अधिक है। इस समृद्ध जैव विविधता के संवर्द्धन के लिए उचित शिक्षा एवं जागरूकता आवश्यक है, जिसे प्रोत्साहित करने के लिए समग्र देश में इस तरह के अलग-अलग अभियान चलाए जाते हैं। देश में हर साल अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह को ‘वन्य जीव सप्ताह’ मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी ‘मन की बात’ के 105वें संस्करण में वन्य प्राणी कल्याण के लिए कार्य किए जाने पर बल दिया गया था।
मुख्य उद्देश्य : इस अभियान का मुख्य उद्देश्य वन्य प्राणी सृष्टि का संरक्षण एवं उसे प्रोत्साहन देना और आहार अथवा अन्य उद्देश्यों के लिए वन्य प्राणियों की हत्या को रोक कर बड़ी संख्या में वन्य प्राणियों को बचाने के लिए प्रोत्साहित करना है। वन्य प्राणी सप्ताह की कल्पना लुप्तप्राय तथा अस्तित्व के संकट में पड़ी प्रजातियों के जीवन को सुरक्षित करने के दीर्घकालीन ध्येय के साथ लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से की गई है। इस पृष्ठभूमि में भारत सरकार ने भारतीय वन्य जीव बोर्ड का गठन भी किया है, जो वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर जागृति लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
वन्य जीव सप्ताह – 2023 : पृथ्वी पर जंगलों तथा वन्य जीव प्रजातियों से मानव प्रजाति को आर्थिक-मनोवैज्ञानिक सहित कई प्रकार से लाभ मिल रहा है। यह बहुत ही दुखद है कि इस लाभ के लालच में वन्य जीवों को बड़े पैमाने पर हानि पहुँचाई जा रही है। इस प्राकृतिक सम्पदा का जतन करना आज के समय में अत्यंत आवश्यक हो गया है। वन्य जीव सप्ताह के दौरान वन्य जीवों का महत्व समझाया जाता है। इस उद्देश्य को चरितार्थ करने के लिए वन विभाग के अधिकारी सम्बद्ध ज़िले के स्कूल-कॉलेजों में लेक्चर देकर लोगों को जागरूक करेंगे। सोशल मीडिया के माध्यम से वाइल्ड लाइफ़ वीक के कार्यों को आम जनता तक पहुँचाने का भी विशेष आयोजन किया गया है।
वन्य जीव सप्ताह का महत्व : वन्य जीवों को होने वाली किसी भी प्रकार की दीर्घकालीन हानि समग्र जीव सृष्टि को जोखिम में डाल सकती है। इसलिए वन्य जीव का सुनियोजित एवं सुव्यवथित संरक्षण करना अत्यंत आवश्यक है। जंगल, जंगलों में रहने वाले प्राणियों, पूरा फ़ॉरेस्ट ईकोसिस्टम एवं मनुष्यों के बीच सहजीवन बना रहे, यह बहुत ज़रूरी है।
जंगलों तथा उनमें रहने वाली जीव प्रजातियों और उन पर निर्भर आजीविका कई वैश्विक संकटों से घिर गई है, जिसमें जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की कमी तथा कोविड-19 महामारी के स्वास्थ्य, सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव इसके कुछ प्रमुख कारण हैं। इसलिए वन्य जीवों के प्रति जागृति लाना अत्यावश्यक है। वन्य प्राणियों के अस्तित्व से प्रकृति में पर्यावरणीय संतुलन बना रहता है। वन्य प्राणियों तथा प्राकृतिक पर्यावरण को बचाने के लिए विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ उनके हित में कई क़ानून भी राज्य सरकार ने पारित किए हैं। निर्दोष वन्य प्राणियों पर होने वाले हमलों को रोकने के लिए सरकार ने कई राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य जीव अभयारण्य विकसित कर उन्हें आरक्षित-संरक्षित किया है।
वन्य जीव संरक्षण के प्रयास : उत्तरायण के दौरान पतंग की डोर से घायल होने वाले पक्षियों के उपचार के लिए राज्य सरकार द्वारा हर साल करुणा अभियान चलाया जाता है। करुणा अभियान-2023 के दौरान वन विभाग द्वारा कुल 13,008 पक्षियों को रेस्क्यू किया गया था। इसके अलावा, वर्ष 2023 में सिंहों के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए 10 अगस्त को मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल की उपस्थिति में गांधीनगर में ‘विश्व सिंह दिवस’ मनाया गया।
इसके अतिरिक्त, गुजरात में सिंह विचरण वाले कुल 10 ज़िलों की 74 तहसीलों के 7000 से अधिक स्कूलों में सिंह दिवस मनाया गया, जिसमें लगभग 15 लाख विद्यार्थी एवं वन्य जीव प्रेमी सहभागी हुए। राज्य में पहली बार 13 अगस्त को विश्व भेड़िया दिवस पर जूनागढ स्थित सक्करबाग़ ज़ू में पाले गए भेड़िये को आंबरडी सफ़ारी पार्क, देवळिया सफ़ारी पार्क तथा नडाबेट स्थित नवनिर्मित वोल्फ सॉफ़्ट रिलीज़ सेंटर में मुक्त किया गया। राज्य सरकार द्वारा स्टेट बोर्ड फ़ॉर वाइल्ड लाइफ़ का पुनर्गठन कर वन्य प्राणी संरक्षण संबंधी नई नीतियों पर भी विचार-विमर्श किया गया है।