सूरत : चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से 'डेटा प्रोटेक्शन' विषय पर सेमिनार  आयोजित

मोबाइल में उतनी ही एप्लिकेशन होनी चाहिए जितनी जरूरी हो, किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कम से कम जानकारी साझा करें: डॉ. चिंतन पाठक

सूरत : चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से 'डेटा प्रोटेक्शन' विषय पर सेमिनार  आयोजित

दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) ने शुक्रवार को  'डेटा संरक्षण' पर एक सेमिनार आयोजित किया। जिसमें विशेषज्ञ तकनीकी वकील एवं साइबर कानून एवं सुरक्षा सलाहकार डॉ. चिंतन पाठक ने उद्यमियों के लिए डेटा का क्या मतलब है? और इस डेटा के उपयोग से क्या किया जा सकता है? इसकी सही समझ दी। वहीं आईसीआईसीआई बैंक के मर्चेंट इको सिस्टम के क्षेत्रीय प्रमुख ध्रुव जेठवा ने अपने बैंक द्वारा उद्यमियों और लोगों को दिए जाने वाले विभिन्न ऋणों और सुविधाओं के संबंध में जानकारी दी।

डॉ. चिंतन पाठक ने कहा कि भारत सरकार द्वारा लाया गया डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल जल्द ही कानून के रूप में लागू किया जाएगा। इससे लोगों की निजी और संवेदनशील जानकारियों को साझा करने या बेचने पर, जो अब तक बेरोकटोक चल रहा था, काफी हद तक लगाम लगेगी और लोगों की निजता से जुड़े अधिकारों की सुरक्षा बेहतर और प्रभावी तरीके से संभव हो सकेगी। इस अधिनियम के कार्यान्वयन में यह प्रावधान है कि जो संगठन लोगों से डेटा प्राप्त करेंगे, वे उस संगठन की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होंगे।

उन्होंने कहा, "एक बार जब आप पूर्वानुमानित हो जाते हैं, तो आप असुरक्षित होते हैं" लोगों से जहां उनकी ई-मेल आईडी, फोन नंबर, पता, पैन कार्ड, आधार कार्ड या अन्य व्यक्तिगत पहचान मांगी जा रही है, तो यह जानकारी क्यों ली जा रही है? उस व्यक्ति को यह जानकारी मांगने का अधिकार किसने दिया है और वह जानकारी किस उद्देश्य से मांगी जा रही है और इसका उपयोग क्यों किया जाना है? ऐसा प्रश्न  उस व्यक्ति को सामने वाले व्यक्ति से पूछना चाहिए।

वर्तमान में कई डेटा उल्लंघन हो रहे हैं, जिसमें लोगों की ये सभी व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी लीक हो जाती है, जिसे साइबर अपराधी डार्क नेट से प्राप्त करते हैं और सोशल इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग करके लोगों को कॉल या संदेश भेजकर धोखा देते हैं। कोई भी बैंक या संगठन आपको कॉल करके सीवीवी या ओटीपी नहीं मांगता है, इसलिए जब भी ऐसा कोई अनुरोध किया जाए, तो कॉल करने वाले को स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि हम बैंक में व्यक्तिगत रूप से इसकी पुष्टि करने के बाद ही जानकारी प्रदान करेंगे।

आज जब हम सूचना युग में जी रहे हैं तो हम हर जगह अलग-अलग तरीकों से कई तरह के डेटा तैयार कर रहे हैं और इस डेटा का नियंत्रण अज्ञात हाथों में सौंप रहे हैं। साइबर अपराधी सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा पोस्ट की गई विभिन्न प्रकार की सूचनाओं के आधार पर विभिन्न प्रकार के अपराध करते हैं, जिससे उस व्यक्ति से संबंधित अन्य प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है।

उन्होंने आगे कहा कि मोबाइल फोन में उतनी ही एप्लिकेशन होनी चाहिए जितनी जरूरी हो। चूँकि मोबाइल ऐप्स भी व्यक्ति का बहुत सारा व्यक्तिगत और संवेदनशील डेटा उनकी जानकारी के बिना तीसरे पक्ष को साझा करते हैं, इसलिए उन्होंने किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर यथासंभव कम जानकारी पोस्ट करने की सलाह दी।

चैंबर ऑफ कॉमर्स की बैंकिंग (सहकारी क्षेत्र) समिति के अध्यक्ष डॉ. जयनाबेन भक्ता ने स्वागत भाषण देकर पूरे सेमिनार का संचालन किया और उन्होंने सेमिनार में उपस्थित सभी को धन्यवाद भी दिया। समिति सदस्य हर्षल दोरीवाला ने वक्ता चिंतन पाठक का परिचय कराया । वक्ता ने उद्योगपतियों के साथ-साथ लोगों के विभिन्न सवालों का संतोषजनक जवाब दिया और फिर सेमिनार का समापन किया गया।

 

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