सूरत : बदला गणेश विसर्जन का ट्रेंड, कई गणेश आयोजकों ने सूर्योदय से पूर्व ही निकाली विसर्जन यात्रा

वर्षों पहले आनंद चौदश के दूसरे दिन सुबह तक गणेश जी की  विसर्जन यात्रा चलती थी

सूरत : बदला गणेश विसर्जन का ट्रेंड, कई गणेश आयोजकों ने सूर्योदय से पूर्व ही निकाली विसर्जन यात्रा

सूरत शहर के गणेश उत्सव के इतिहास में अब तक विशाल गणेश प्रतिमा की स्थापना होती रही है और उसका विसर्जन अनंत चौदस के दूसरे दिन की सुबह तक जारी रहता था। लेकिन अब पुलिस द्वारा जारी की गई घोषणा से गणेश आयोजकों में आई जागरूकता के चलते आज आनंद चौदस पर सूरज उगने से पहले ही सूरत की सड़कों पर विसर्जन यात्रा शुरू हो गयी।  गणेश विसर्जन की प्रक्रिया आज सुबह सूर्योदय के बाद से शुरू हो गई है, इसलिए दिन के दौरान विसर्जन प्रक्रिया में भार कम होता दिख रहा है।

मन मौजी सूरतवासी किसी भी अन्य त्योहार की तरह गणेश उत्सव को भी बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। पहले सूरत में गणेश विसर्जन यात्रा घंटों तक शहर की सड़कों पर घूमती नजर आती थी। सूरत में तापी नदी में गणेश विसर्जन होता था उस समय  समय गणेश भक्तों की भारी भीड शहर की सड़कों पर गणेश विसर्जन यात्रा देखने के लिए निकलती थी।

लेकिन तापी नदी पर विसर्जन प्रक्रिया पर रोक के बाद नगर निगम द्वारा बनाई गई कृत्रिम झील और समुद्र में विसर्जन यात्रा के पैटर्न में अंतर देखने को मिला है। नौ फीट ऊंची प्रतिमा का विसर्जन शहर में डुमस, मगदल्ला और हजीरा के समुद्री तटों के साथ निर्धारित मार्ग पर किया । हालाँकि, आनंद चौदस की सुबह सूरत के लोगों के जागने से पहले, कई गणेश मंडलों द्वारा बनाई गई श्रीजी की बड़ी मूर्ति की विसर्जन यात्रा शुरू करने ना नया ट्रेन्ड इस साल देखने मिला। 

सूरत के नानपुरा, सैयदपुरा, चौटा बाजार सहित कई गणेश भक्तों ने तडके ही बप्पा की पूजा शुरू कर दी और सुबह करीब 4.45 बजे ये बड़ी मूर्तियां मक्काई ब्रिज, अडाजण गुजरात गैस सर्कल से हजीरा की ओर जाने के लिए रवाना हुईं। कृत्रिम झील में गणेश विसर्जन की प्रक्रिया शुरू होने से पहले कई गणेश आयोजक भी श्रीजी की बड़ी प्रतिमा का विसर्जन करके घर आ गए। ऐसे में इस साल गणेशजी की मूर्ति के लिए ट्रेंड उल्टा हो रहा है और अगली सुबह के बजाय आनंद चौदश के मौके पर ही विसर्जन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिससे व्यवस्था पर बोझ कम होने की संभावना है।

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