सूरत : आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा, 'अंग दान सच्चे अर्थों में मानवता धर्म है'

अंगदान करने वालों की तुलना देवताओं से करते हुए अंग दाता परिवार का सम्मान किया

सूरत : आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा, 'अंग दान सच्चे अर्थों में मानवता धर्म है'

सूरत के इंडोर स्टेडियम में आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा अंग दाता परिवार का सम्मान करने के लिए डोनेट लाईफ संस्था द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमें अंग दाताओं एवं अंग प्राप्तकर्ताओं ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। इस मौके पर अंगदान करनेवाले परिवार का सम्मान करने के साथ ही अंगदान का संकल्प भी लिया गया। अपने भाषण में मोहन भागवत ने कहा कि ये बहुत अच्छा काम है। अंगदान का कार्य जुनून से नहीं बल्कि समझदारी से करना चाहिए। अंगदान देशभक्ति का एक रूप है।

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि अंगदाता परिवार और अंगदाता वास्तव में भगवान हैं। इस परिवार ने किसी अन्य की बाधा को दूर करने के लिए अंगदान किया है। सभी कार्य करने वाले यहीं बैठे हैं। जिन लोगों को लाभ हुआ है उन्होंने भी इसमें भाग लेने का निर्णय लिया है। मुझे केवल एक ही काम सौंपा गया है, वह है सिर्फ बोलना। अंगदान का यह कार्य जुनून का नहीं बल्कि चेतना का कार्य है। सूरत अंगदान में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। इस काम से कई लोगों को प्रेरणा भी मिलेगी। प्रशासन भी अच्छा सपोर्ट करता है यह तो अच्छी बात है। यहां सबसे ज्यादा ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए हैं।

गुलामी के विरुद्ध देश में बहुत बड़ा आंदोलन चला। ये काम समाज के करोड़ों लोगों ने किया। हर कोई उस समय आजादी के लिए क्या करना चाहिए यही सोच रहा था। आज वंदे मातरम् एक मंत्र बन गया है। आजादी के बाद सारी जिम्मेदारी सरकार को सौंपना उचित नहीं है। यह आवश्यक है कि भारत के सभी लोग एक हृदय हो जाएं। देश के सभी नागरिक सुख-दुख में शामिल हों यही देशभक्ति है।अंगदान देशभक्ति का ही एक रूप है। यदि मृत्यु के बाद भी शरीर किसी के काम आ सकता है तो अंगदान अवश्य करना चाहिए। मानव शरीर का उपयोग सभी लोगों के लिए मानव जीवन का उद्देश्य है। यदि अंग जीवित व्यक्तियों के उपयोग में आते हैं तो उनका उपयोग करना चाहिए। शरीर छोड़ने के बाद जो है उसका मोह नहीं रहता।

भागवत ने आगे कहा, "मेरी इच्छा पीड़ित लोगों की पीड़ा दूर करने की है। यह मानव धर्म है। मनुष्य को नारायण बनने के लिए मानव जीवन मिला है। अंग दान मनुष्य को दाता बनाता है। ऋषि दधीचि पहले अंग दाता हैं। हमारे देश को जरूरत  अन्य कोई देश पुरा नही कर पायेगा। इसकी चिंता हम सभी को करनी होगी। जिन लोगों ने अंगदान करने का निर्णय लिया है, उन्हें किसी को नहीं भूलना चाहिए। अंगों को जीवन के अंत तक स्वस्थ सुरक्षित रखना भी हमारी जिम्मेदारी है। सामाजिक कार्य करें और अंगदान कर भगवान के चरणों में झुकें।

भागवत ने सूरत की तारीफ करते हुए कहा कि सूरत सुरत भी है और सीरत भी है। जिन लोगों को नई जिंदगी मिली है उन्हें समाज के लिए उपयोगी काम करना चाहिए। शहर को एक उदाहरण बने ऐसा सभी को प्रयास करना चाहिए। जब सभी का सहयोग मिलेगा तो सफलता हासिल की जा सकती है। 

 

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