सूरत : डायमंड में मंदी को देखते हुए कारोबारियों से 15 दिसंबर तक कच्चे हीरों का आयात न करने की अपील

हीरा उद्योगपतियों से मौजूदा स्थिति में सुधार के लिए 15 अक्टूबर से दो महीने के लिए स्वैच्छिक कच्चे हीरों के आयात को रोकने की अपील 

सूरत : डायमंड में मंदी को देखते हुए कारोबारियों से 15 दिसंबर तक कच्चे हीरों का आयात न करने की अपील

सूरत के हीरा उद्योग की मौजूदा स्थिति को देखते हुए रत्न एवं आभूषण संवर्धन परिषद सहित विभिन्न प्रमुख संगठनों की एक वर्चुअल बैठक में हीरा उद्योग से 15 दिसंबर तक कच्चे हीरे का आयात नहीं करने की अपील की गई है। हीरा कारखानों को स्थिति के अनुसार चालू रखने की भी विशेष अपील की गई है ताकि रत्न कलाकारों को दिवाली तक पर्याप्त काम मिल सके। एक हीरे के अग्रणी के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग की कमी के कारण निर्यात में भी गिरावट आई है। डायमंड अग्रणी के मुताबिक, पिछले डेढ़ साल में हीरा उद्योग में छाई मंदी के कारण आयात में 18 फीसदी और निर्यात में 28 फीसदी की कमी आई है। सूरत के हीरा उद्योग की स्थिति सुधारने और रक्त कलाकारों को भी कोई परेशानी न हो, इसके लिए एक बैठक में यह फैसला लिया गया है।

सूरत डायमंड इंस्टीट्यूट के चेयरमैन दिनेश नावडिया ने कहा कि 2008 की आर्थिक मंदी और 2020 में कोरोना की स्थिति को देखते हुए हीरा उद्योग को उपयुक्त बाजार मिल सके, जिसके लिए उस वक्त जीजेईपीसी ने अलग-अलग हीरा अग्रणी संगठनों से मुलाकात की थी। कच्चे हीरों का स्वैच्छिक रुप से आयात बंद करने की अपील की गई थी। अपील की वजह से सबसे बड़ा फायदा डायमंड इंडस्ट्रीज को हुआ। यही स्थिति मौजूदा समय में देखने को मिल रही है। सूरत के हीरा उद्योग की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए जेम्स एंड ज्वेलरी प्रमोशन काउंसिल के तत्वावधान में सूरत डायमंड बुर्स, बॉम्बे डायमंड मर्चेंट एसोसिएशन, भारत डायमंड बुर्स सहित विभिन्न हीरा अग्रणी संगठनों के साथ एक वर्चुअल बैठक आयोजित की गई।

हीरा अग्रणी संगठनों की एक बैठक में शामिल हुए करीब 300 हीरा उद्योगपतियों से मौजूदा स्थिति में सुधार के लिए 15 अक्टूबर से दो महीने के लिए स्वैच्छिक कच्चे हीरों के आयात को रोकने की अपील की गई है। ताकि सूरत के हीरा उद्योग और उसके फायदे मिल सकें। पिछले डेढ़ साल में सूरत के हीरा उद्योग में आयात 18 प्रतिशत और निर्यात 28 प्रतिशत कम हुआ है। ऐसे में हीरा बाजार में हालात सुधारने के लिए यह फैसला लिया गया है। इसके अलावा दिनेश नावडिया ने कहा कि इस फैसले से रफ की सप्लाई कम हो जाएगी और उत्पादन भी कम हो जाएगा। इससे ऐसी स्थिति बनेगी कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पादन नहीं हो पाएगा। जो मांग है, वह मांग भी ठीक हो जाएगी।

कटे और पॉलिश किए गए हीरों की कीमतों में गिरावट भी थम सकती है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए यह अहम फैसला लिया गया है। साथ ही बैठक में रत्न कलाकारों के रोजगार के मुद्दे पर भी समिति ने अहम फैसला लिया है। जिस तरह हीरे की फैक्ट्रियां चल रही हैं, उसी स्थिति में उन्हें भी दिवाली तक फैक्ट्रियां चालू रखने की अपील की है रफ इंपोर्ट के लिए 15 दिसंबर तक की समय सीमा दी गई है। तब तक सभी हीरा उद्योग द्वारा रफ सप्लाई भी खरीदी जाएगी। जिसके बाद दिवाली की छुट्टियां पड़नी हैं। हीरा उद्योग में हर साल 20 से 22 दिन की दिवाली छुट्टी रहती है। इस प्रकार यह निर्णय दिवाली की छुट्टियों और अगले पंद्रह दिनों की अवधि के बाद लिया गया है और इससे हीरा बाजार में सकारात्मक माहौल बनने की अच्छी संभावना है। यह फैसला हीरा उद्योग और रत्न कलाकारों के पक्ष में लिया गया है।

बैठक में हीरा उद्योग में डर का माहौल पैदा होने पर चिंता व्यक्त की गई। रत्न कलाकारों के दो अलग-अलग संघों ने भी इस मामले पर चिंता व्यक्त की। इस चिंता को ध्यान में रखते हुए हीरा फैक्ट्रियों में जो मैन्युफैक्चरिंग चल रही है, उसे उसी स्थिति में जारी रखने का निर्देश भी दिया गया है। इंडस्ट्री ने कभी भी एकतरफा फैसला नहीं लिया है। जहां तक ​​इंडस्ट्री और ज्वैलर्स की बात है तो जेम्स एंड ज्वैलरी प्रमोशन काउंसिल भी ऐसा कर रही है। सभी लोग फिलहाल इस कोशिश में हैं कि दिवाली तक रत्न कलाकारों को काम मिल जाए। प्राकृतिक हीरा नहीं है तो सीवीडी समेत अन्य हीरे आयात कर रत्न कलाकारों को रोजगार दे रहे हैं। दिवाली की छुट्टियां बढ़ाई जाएंगी या कम की जाएंगी, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि दिवाली तक हीरा उद्योग की स्थिति में सुधार होता है या नहीं।

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