कावेरी जल संकट: कर्नाटक के बेंगलुरु और रामनगर में बंद के दौरान जनजीवन अस्त व्यस्त

कावेरी जल संकट: कर्नाटक के बेंगलुरु और रामनगर में बंद के दौरान जनजीवन अस्त व्यस्त

नई दिल्ली, 26 सितम्बर (हि.स.)। कन्नड़ समर्थक तथा किसानों व अन्य संगठनों द्वारा आहूत बंद के दौरान मंगलवार को राजधानी बेंगलुरु और निकटवर्ती रामनगर जिला मुख्यालय में सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। केआरएस बांध से तमिलनाडु को 5 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन छिटपुट अप्रिय घटनाओं को छोड़कर तकरीबन शांतिपूर्ण रहा।

कावेरी नदी जल वितरण का मुद्दा बढ़ने पर कावेरी डेल्टा क्षेत्र के मैसूरु, मांड्या, रामानगर, बेंगलुरु ग्रामीण और बेंगलुरु क्षेत्र उद्वेलित हो उठता है। इस बार कर्नाटक के लिए कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) का तमिलनाडु को कावेरी का 15 दिनों के लिए 5 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश इस ताजा समस्या की जड़ है।

दिलचस्प बात यह है कि कर्नाटक सरकार ने पानी छोड़ने के मुद्दे पर सीडब्ल्यूएमए के निर्देशों का उल्लंघन करने की व्यर्थ कोशिश की। उसने सीडब्ल्यूएमए के निर्देश पर कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) में याचिका दायर करने की कोशिश की। हालाँकि, ट्रिब्यूनल सीडब्ल्यूएमए के रुख पर कायम रहा और कर्नाटक को इसका पालन करने का निर्देश जारी किया। हताशा में कर्नाटक सरकार ने भी एसओएस याचिका दायर की।

तमिलनाडु की फसलों के लिए पानी के वितरण का मुद्दा जब भी उठता है, कृष्णा राजा सागर (केआरएस) बांध विवाद का विषय बना रहता है। यह मांड्या जिले में स्थित है। मैसूरु के पूर्व राजा नलमाडी कृष्णराज वाडियार राजवंश के दीवान दूरदर्शी सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के चलते केआरएस बांध अस्तित्व में आया लेकिन इससे विवाद भी दूर नहीं रहा। उस समय मद्रास प्रेसीडेंसी में होने के कारण मैसूरु साम्राज्य को इसके निर्माण पर पड़ोसी तमिलनाडु क्षेत्र से कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था। बांध का पानी कर्नाटक और तमिलनाडु के किसानों के लिए जीवन रेखा और बेंगलुरु शहर के लिए पीने के पानी का एक प्रमुख स्रोत है।

केआरएस बांध की भंडारण स्तर की कुल क्षमता 124.81 फीट तक होती है। वर्तमान में भंडारण स्तर 96.7 फीट है। प्रतिकूल बरसात के मौसम के कारण बांध को पूरा भरने में अभी काफी समय लगेगा। ऐसी स्थिति में अधिकारी आश्रित क्षेत्रों को पीने के लिए उचित मात्रा में पानी उपलब्ध कराने की स्थिति में नहीं हैं और सिंचाई उद्देश्यों के लिए इसे उपलब्ध कराना तो भूल ही गए हैं। बेंगलुरु शहर के कई इलाके अभी भी पीने के लिए कावेरी जल से वंचित हैं। राज्य सरकार की मशीनरी जमीनी स्थिति को सभी संबंधितों के ध्यान में लाने में बुरी तरह विफल रही है।

कावेरी के बारे में विरोधाभासी कारक यह है कि बांध भर जाने पर कर्नाटक को तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ना पड़ता है। चाहे आवश्यकता हो या नहीं। इसके विपरीत जब बांध में ही भंडारण के लिए पर्याप्त पानी नहीं है तो पानी छोड़ने का कोई उचित मानक नहीं है। ऐसे में एकमात्र संभावित और व्यवहार्य समाधान विभिन्न समितियों/प्राधिकरणों/न्यायाधिकरणों और अदालतों का रुख करने की बजाय राजनीतिक समाधान प्रतीत होता है।