सूरत : रूस के हीरा प्रतिबंध से पहले क्यों आ रहा है G-7 प्रतिनिधिमंडल? जाने
27 से 29 सितंबर तक सूरत, मुंबई में हीरा उद्योग के हितधारकों की प्रस्तुतियाँ सुनेगा
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन ने रूस को कच्चे हीरे की बिक्री से भारी युद्ध निधि प्राप्त करने का आरोप लगाया है। अमेरिका ने G7 देशों पर दबाव बनाते हुए रूसी कच्चे हीरे और आभूषणों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
G7 के बाकी देश कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने लिखित गारंटी मांगी है कि भारत से आने वाले हीरे और हीरे के आभूषण रूसी मूल के नहीं हैं और इस अघोषित प्रतिबंध का सीधा असर पूरे गुजरात और सूरत सहित मुंबई के हीरा उद्योग को होगा।
G7 देशों का एक प्रतिनिधिमंडल 27 से 29 सितंबर तक सूरत, मुंबई में हीरा उद्योग के हितधारकों की प्रस्तुतियाँ सुनेगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि यदि G7 देश रूसी हीरे और उसके आभूषणों पर आधिकारिक पूर्ण प्रतिबंध लगाते हैं तो भारत का हीरा उद्योग कैसे प्रभावित होगा।
हीरा उद्योग सूत्रों के मुताबिक, यह प्रतिनिधिमंडल गुरुवार 28 सितंबर को सूरत का दौरा करेगा। जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के सूत्रों के मुताबिक, जी7 देशों का प्रतिनिधिमंडल यह समझना चाहता है कि क्या रूसी हीरों पर पूर्ण प्रतिबंध संभव है। क्या भारत का हीरा उद्योग इसे लागू करेगा? प्रतिबंध कितना व्यावहारिक होगा, भारत के हीरा उद्योग और छोटी और मध्यम आकार की हीरा मिलों में काम करने वाले लाखों जौहरी इसके प्रभाव की पूरी सीमा जानना चाहते हैं।
भारत में रूसी रफ की खपत इसके कुल उत्पादन के मुकाबले 30 प्रतिशत है। अनुमानतः प्रतिवर्ष 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार होता है। भारत की चिंता यह है कि अगर रूसी हीरे और उसके आभूषणों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो सूरत समेत गुजरात के हजारों ज्वैलर्स बेरोजगार हो सकते हैं।
डायमंड वर्कर्स यूनियन गुजरात के अध्यक्ष रमेश जिलरिया और उपाध्यक्ष भावेश ने दावा किया है कि हीरा विनिर्माण के केंद्र सूरत में वैश्विक मंदी के कारण 28 रत्नकलाकार ( डायमंड वर्कर्स) ने आत्महत्या कर ली है। सूत्रों ने बताया कि मुंबई और सूरत आने वाले विदेशी प्रतिनिधिमंडलों ने भी ज्वैलर्स समूहों से मिलने की इच्छा जताई है।