बच्चों के भविष्य के लिए छोड़ी पुलिस डिपार्टमेंट की नौकरी

उच्च प्राथमिक विद्यालय में इन्होंने बच्चों को पढ़ाने का बड़ा तरीका बदला है

बच्चों के भविष्य के लिए छोड़ी पुलिस डिपार्टमेंट की नौकरी

हमीरपुर, 05 सितम्बर (हि.स.)। हमीरपुर जिले में बच्चों के तकदीर बनाने के लिए एक टीचर ने पुलिस महकमे की नौकरी ही छोड़ दी। अब ये सरकारी स्कूल में अध्यापक है जिन्होंने सरकारी परिषदीय स्कूलों की दशा ही बदल डाली। पिछले कई सालों से गांव के बच्चों को न सिर्फ मुफ्त पढ़ाने में जुटे है बल्कि मासूमों के भविष्य के लिए खुद की पगार भी लगा दी है। इस टीचर के जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है इसीलिए उन्हें राज्य अध्यापक पुरस्कार सहित कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है।

हमीरपुर शहर के सैय्यदबाड़ा मुहाल निवासी अकबर अली सुमेरपुर क्षेत्र के टिकरौली गांव में उच्च प्राथमिक स्कूल में टीचर है। इससे पहले ये वर्ष 1994 से 1997 तक पुलिस अधीक्षक कार्यालय में तैनात थे। पुलिस विभाग की नौकरी इन्हें रास नहीं आई और बच्चों का भविष्य बनाने के लिए इन्होंने नौकरी ही छोड़ दी। इसके बाद अकबर अली सरकारी विद्यालय में अध्यापक हो गए। उच्च प्राथमिक विद्यालय में इन्होंने बच्चों को पढ़ाने का बड़ा तरीका बदला है।

नवाचार के जरिए पढ़ाई के तरीके को आसान कर दिया है। मासूमों को सरकारी स्कूल में सर्वश्रेष्ठ शिक्षा देने के लिए ये बरसों से प्रयास कर रहे है। बेसिक शिक्षा के बच्चों को उन्नत तकनीक आधारित स्मार्ट क्लासेस के जरिए प्राइवेट कान्वेंट से भी बेहतर शिक्षा देने में अकबर अली लगातार कवायद कर रहे है। टिकरौली गांव के उच्च प्राथमिक स्कूल में इन्होंने इन्टरनेट और दीक्षा एप के साथ लैपटाँप टेबलेट प्रोजेक्टर से स्मार्ट क्लास चलाई है। आधुनिक नवाचार के जरिए तकनीक से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। टीचर अकबर अली ने बताया कि बच्चों का स्मार्ट क्लास की तरफ बहुत रुझान बढ़ा है। क्योंकि इससे उनका लर्निंग आउट कम भी बढ़ा है।

स्मार्ट क्लासेस के लिए बच्चे बेसब्री से इंतजार भी करते है। इसके अलावा सरीला क्षेत्र के पुरैनी गांव के उच्च प्राथमिक स्कूल के इंचार्ज गजराज ने बड़ी मिसाल कायम की है। अपनी पगार से इन्होंने विद्यालय का कायाकल्प ही कर दिया है। उन्होंने बताया कि अभी तक स्कूल और बच्चों की शिक्षा पर डेढ़ लाख रुपये खर्च किए है। आज टीचर डे पर अकबर अली समेत 15 शिक्षकों को राज्य अध्यापक पुरस्कार से नवाजा गया है।

कोरोना संक्रमण काल में टीचर के नहीं रुके कदम

कोरोना संक्रमण काल में जब लोग एक दूसरे से करीब आने पर परहेज करते थे तब सरकारी स्कूल के टीचर अकबर अली मासूमों को पढ़ाने से पीछे नहीं हटे। उन्होंने बताया कि हमीरपुर के साथ ही उत्तर प्रदेश के दस जिलों के बच्चों को नवाचार के माध्यम से आनलाइन नई टीचिंग तकनीक और दीक्षा एप के जरिए इन्टरनेट आधारित क्लास वार पढ़ाया गया है। कक्षा वार विषय आधारित सीडी व दीक्षा एप के साथ राज्य शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के जारी शिक्षण विजुअल पाठ्यक्रम का इस्तेमाल किया गया। बताया कि आज भी बड़ी संख्या में गांवों के गरीब बच्चों का भविष्य बनाने के लिए भी मुफ्त शिक्षा दी जा रही है।

अकबर अली को मिला राज्य आईसीटी का पुरस्कार

ग्रामीण बच्चों को स्मार्ट क्लासेस की तरह शिक्षा देने और स्कूल में बच्चों के ठहराव होने पर अकबर अध्यापक अकबर अली को प्रशासन से लेकर राज्य स्तर पर पुरस्कार मिल चुका है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश शासन जरिए राज्य अध्यापक पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया वहीं वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में नवाचार में तकनीकी शिक्षा के लिए राज्य आईसीटी पुरस्कार से भी नवाजा गया है। इसके साथ ही नवाचारी शिक्षक पुरस्कार भी मिला है। टीचर डे पर उन्हें यहां डिपार्टमेंट से बड़ा सम्मान दिया गया है। बताया कि बच्चों की पढ़ाई में खुद के वेतन का बड़ा हिस्सा खर्च किया गया है।

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