जूनागढ़ के गिरनार और पावागढ़ में रोप-वे सेवा दोबारा शुरू

मानसून व मरम्मत के लिए बंद की गई थी सेवाएं

जूनागढ़ के गिरनार और पावागढ़ में रोप-वे सेवा दोबारा शुरू

गिरनार और पावागढ़ में है सुरम्य हरित वातावरण

अहमदाबाद, 19 अगस्त (हि.स.)। मानसून के अंतिम दौर के बाद गुजरात में अब धीरे-धीरे पर्यटन जोर पकड़ेगा। हरियाली, पहाड़ और समुद्र के विशाल तट के साथ कई पुरातात्विक और धार्मिक स्थल पर्यटकों को यहां खींच लाते हैं। इन क्षेत्रों में पंचमहाल जिले का पावागढ़ और जूनागढ़ जिले का गिरनार अपनी रोप-वे सेवा के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है। पिछले कुछ समय से बारिश और मरम्मत कार्य की वजह से इन दोनों जगहों पर रोप-वे सेवा बंद कर दी गई थी, जो दोबारा सुचारू हो गईं हैं और इस वजह से यहां पर्यटकों की भी आवाजाही बढ़नी शुरू हो जाएगी।

पिछले 19 दिनों से जूनागढ़ जिले के गिरनार पर्वत पर बना रोप-वे बंद था, यह अब सुचारू हो गया है। मानसून के कारण गिरनार पर्वत का सौंदर्य हरियाली से खिल उठा है। इस हरियाली का लुत्फ उठाने पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी। इसी तरह पंचमहाल जिले का पावागढ़ भी रोप-वे के लिए कारण प्रसिद्ध है। ऊंचे पहाड़ पर 51 शक्तिपीठ में से एक महाकाली माता का मंदिर बना हुआ है। यहां स्थित 3 तालाब दूधिया, तेलिया और छसिया तालाब मानसून के बाद अप्रतिम सौंदर्य बिखेर रहे हैं। रोप-वे से जहां पर्वत की खूबसूरती दिखाई देती है, वहीं काफी श्रद्धालु 1800 सीढ़ियां चढ़ कर भी माता का दर्शन करना पसंद करते हैं। इस दौरान उन्हें कई प्राकृतिक झरने देखने का अवसर भी प्राप्त होता है। यहां की रोप-वे सेवा को भी मानसून और मरम्मत कार्य से 7 से 11 अगस्त तक बंद कर दिया गया था। साथ ही यहां ऊंचाई पर हवा की रफ्तार अधिक होने पर रोप-वे बंद करना पड़ता है।

रोप-वे संचालकों के अनुसार फिलहाल मेंटेनेंस का काम पूरा कर रोप-वे सेवा पहले की तरह सुचारू कर दी गई है। इसके अलावा दीव का समुद्र किनारे भी रोप-वे का काम चल रहा है। यहां सी फ्रंट के साथ पहला समुद्री रोप-वे का निर्माण होगा। दीव किले के समीप पुलिस स्टेशन से घोघला तक रोप-वे तैयार किया जा रहा है। इसकी लंबाई करीब डेढ़ किलोमीटर होगी और इस पर करीब 40 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

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