सूरत : वराछा की डायमंड कंपनी के 300 ज्वैलर्स एक बार फिर हड़ताल पर चले गए

श्रमिकों की समस्याओं के समाधान का आश्वासन देने के बाद वेतन वृध्दि नही की

सूरत : वराछा की डायमंड कंपनी के 300 ज्वैलर्स एक बार फिर हड़ताल पर चले गए

अवकाश वेतन और वर्षांत वेतन वृद्धि की मांग पर मध्यस्थता हेतु कलेक्टर को याचिका

सूरत का हीरा उद्योग पिछले कुछ महीनों से कई समस्याओं का सामना कर रहा है। वैश्विक आर्थिक मंदी का असर सूरत के हीरा उद्योग पर पड़ रहा है। प्राकृतिक पॉलिश वाले हीरे और लैबग्रोन हीरे दोनों की यूरोपीय देशों में अच्छी मांग नहीं है, जिससे सूरत की फैक्ट्रियों में परिचालन कम हो गया है।

रत्नकलाकारों को छुट्टियों के साथ-साथ छँटनी भी दी जा रही है। दूसरी ओर, कुछ फैक्ट्रियों में वेतन नहीं बढ़ाया जा रहा है और रत्नकलाकारों और मालिकों के बीच टकराव चल रहा है। पिछले महीने सूरत के लक्ष्मी डायमंड्स में भी ऐसी ही समस्या आई थी, जिसे सुलझा लिया गया था लेकिन एक बार फिर लक्ष्मी डायमंड्स में हंगामा मच गया है।

कतारगाम फुलपाड़ा रोड और वराछा रामनगर स्थित लक्ष्मी डायमंड की दोनों इकाइयों में काम करने वाले लगभग 300 ज्वैलर्स आज फिर हड़ताल पर चले गए। पिछले महीने डायमंड वर्कर्स यूनियन गुजरात की मध्यस्थता के बाद लक्ष्मी डायमंड प्रबंधन द्वारा श्रमिकों की समस्याओं के समाधान का आश्वासन देने के बाद हड़ताल समाप्त कर दी गई थी और कर्मचारी काम पर लौट आए थे। लेकिन नौकरीपेशा रत्नकलाकार को छुट्टी का वेतन और समझौता फॉर्मूले के तहत साल के अंत में वेतन वृद्धि नहीं मिलने के कारण ज्वैलर्स आज फिर हड़ताल पर चले गए।

रत्न कलाकारों ने आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी के प्रबंधन को प्रस्तुती करने पर आश्वासन दिया था की जनवरी में वेतन वृद्धि  होगी। तब आश्वासन दिया गया था कि चार माह बाद वेतन बढ़ा दिया जाएगा। इस आश्वासन की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी कारीगरों के वेतन में वृद्धि नही करने का विरोध किया।

डायमंड वर्कर्स यूनियन गुजरात के उपाध्यक्ष भावेश टांक ने कहा कि लक्ष्मी डायमंड प्रबंधन ने आश्वासन देकर श्रमिकों की समस्या का समाधान नहीं किया है। कंपनी के मालिक ने ज्वैलर्स के मुद्दों को सुलझाने के लिए 20 दिन का समय मांगा और यूनियन को समाधान निकालने का आश्वासन दिया। लेकिन बिना कुछ किये ही उन्हें दोबारा हडताल करनी पडी। हमने समझौते की एक प्रति उप श्रम आयुक्त और जिला कलेक्टर, सूरत को भी दी।

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