राष्ट्रपति मुर्मू सूरीनाम में भारतीयों के आगमन के 150 वर्ष पूरे होने से जुड़े सांस्कृतिक उत्सव में हुईं शामिल

वर्ष 1873 में भारतीयों का पहला समूह जहाज लल्ला रुख से सूरीनाम के तट पर पहुंचा था

राष्ट्रपति मुर्मू सूरीनाम में भारतीयों के आगमन के 150 वर्ष पूरे होने से जुड़े सांस्कृतिक उत्सव में हुईं शामिल

नई दिल्ली, 06 जून (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद संतोखी के साथ पारामारिबो में कल शाम (5 जून) सूरीनाम में भारतीयों के आगमन के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक उत्सव में शामिल हुईं। इस अवसर पर उन्होंने ओसीआई कार्ड के लिए पात्रता मानदंड को चौथी पीढ़ी से छठी पीढ़ी तक बढ़ाने के भारत सरकार के निर्णय की घोषणा की।

पारामारिबो में इंडिपेंडेंस स्क्वायर में सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस दिन, वर्ष 1873 में भारतीयों का पहला समूह जहाज लल्ला रुख से सूरीनाम के तट पर पहुंचा, जो इस देश के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत थी।

राष्ट्रपति ने कहा कि एक बहुसांस्कृतिक समाज और अवसरों की भूमि के रूप में सूरीनाम ने वहां आकर बसने वाले सभी विविध समुदायों का स्वागत किया है। इन वर्षों के दौरान विविध समुदाय एक परिवार और एक देश में विकसित हुए। उन्होंने एकता और समग्रता के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता के लिए सूरीनाम के लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि पिछले 150 वर्षों में, भारतीय समुदाय न केवल सूरीनाम में समाज का एक अभिन्न अंग बन गया है, बल्कि यह भारत और सूरीनाम के बीच गहरी होती साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी है।

उन्होंने भारतीय क्षेत्रों से सूरीनाम में आए उन मूल भारतीय प्रवासियों की चौथी पीढ़ी से छठी पीढ़ी तक ओसीआई कार्ड के लिए पात्रता मानदंड का विस्तार करने के भारत सरकार के फैसले की घोषणा की। उन्होंने कहा कि ओसीआई कार्ड को भारत के साथ उनके 150 साल पुराने रिश्ते की अहम कड़ी के तौर पर देखा जा सकता है। उन्होंने भारतीय डायस्पोरा के सदस्यों से भारत के साथ अपने संबंध बनाए रखने के लिए प्रयास जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत-सूरीनाम द्विपक्षीय संबंध विकास की साझा आकांक्षाओं पर आधारित हैं।

प्रेसिडेंशियल पैलेस में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू को सूरीनाम के राष्ट्रपति द्वारा सूरीनाम के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ग्रैंड ऑर्डर ऑफ द चेन ऑफ द येलो स्टार' से सम्मानित किया गया। अपनी स्वीकृति टिप्पणी में राष्ट्रपति ने उन्हें यह सम्मान प्रदान करने के लिए राष्ट्रपति संतोखी और सूरीनाम सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह मान्यता न केवल उनके लिए बल्कि भारत के 1.4 अरब से अधिक लोगों के लिए भी अत्यधिक महत्व रखती है। उन्होंने भारतीय-सूरीनाम समुदाय की लगातार पीढ़ियों को सम्मान समर्पित किया, जिन्होंने दोनों देशों के बीच भ्रातृत्व संबंधों को समृद्ध करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

राष्ट्रपति ने सूरीनाम के राष्ट्रपति द्वारा उनके सम्मान में आयोजित भोज में भी भाग लिया। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने एक समावेशी विश्व व्यवस्था के भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया जो हर देश और क्षेत्र के वैध हितों और चिंताओं के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि इसी एकजुटता की भावना से भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान 100 से अधिक देशों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है।

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