साइकिल में छुपे थे सेहतमंद होने के राज, अब बाइक के हैंडल के सहारे दौड़ रही जिंदगी

साइकिल में छुपे थे सेहतमंद होने के राज, अब बाइक के हैंडल के सहारे दौड़ रही जिंदगी

जालौन, 03 जून (हि.स.)। बदलते हुए वक्त के साथ अब लोगों ने साइकिल के बजाय बाइक के हैंडल थाम लिए हैं। ट्रिंग-ट्रिंग की आवाज किसी गुजरे जमाने में स्टेट्स सिंबल मानी जाती थी। लेकिन अब युवा से लेकर बुजुर्ग सभी बाइक और स्कूटी की सवारी कर रहे हैं। कभी साइकिल को स्वाथ्य के लिए सेहतमंद माना जाता था। लेकिन फिलहाल इनकी बिक्री भी कम हो गई है और बैटरी साइकिल ने लोगों की जिंदगी को आसान और आलसी कर दिया है। हालांकि, कोरोना काल के दौरान मार्केट में साइकिल की मांग तो बढ़ी। वहीं, अब सब नॉर्मल होने पर बाजार में बिक्री फीकी पड़ गई है।

उल्लेखनीय है कि, गुजरे जमाने में शहर से लेकर गांव के ज्यादातर घरों में साइकिल हुआ करती थीं। लेकिन अब बदलते हुए वक्त के साथ साइकिल का चलन भी बदल चुका है। अब शायद ही गली के किसी के घर में कोई साइकिल मिल जाएं। जबकि साइकिल चलाना सेहत के लिए आज भी सेहतमंद माना जाता है। उरई नगर में इस मौके पर साइकिल विक्रेताओं से बातचीत की तो उन्होंने बताया अब साइकिल की बिक्री धीमी पड़ गईं है। लेकिन कोरोना काल में तकरीबन हर महीने 50-60 साइकिल की बिक्री हो जाती थी।

भागदौड़ भरी जिंदगी से, साइकिल की रफ्तार हुई धीमी

समय के मुताबिक अब लोगों ने खुद को ढाल लिया है आमतौर पर लोग साइकिल का त्यागकर मोटरबाइक की सवारी करते हुए नजर आते हैं। शहर की सड़कों पर सुबह साइकिल दिख जाएगी उसके बाद दिखना नामुमकिन सा रहता है। कोरोना काल में शहरवासियों से साइकिल मार्केट को संजीवनी मिली थी। मार्च 2020 में कोरोना के काल में सेहत के लिए साइक्लिंग को बेस्ट माना गया। लेकिन कोरोना के बाद साइकिल मार्केट में 50 प्रतिशत तक बिक्री में फिर से गिरावट आ गई।

वहीं, भाजपा के मीडिया प्रभारी शक्ति गहोई का कहना है कि साइकिलिंग करना सेहत के लिए फायदेमंद है और सुबह के वक्त मैं साइकिल जरूर चलाता हूं क्योंकि उससे सेहत भी बेहत्तर होती रहती है और शरीर में स्फूर्ति भी बरकरार रहती है।