सूरत : मिलावट के खिलाफ पूर्व स्वास्थ्य मंत्री का सीएम को पत्र 

वराछा के विधायक ने सीएम को लिखा लेटर जारी किया 

सूरत : मिलावट के खिलाफ पूर्व स्वास्थ्य मंत्री का सीएम को पत्र 

खाने में मिलावट करने वालों पर हत्या का मामला दर्ज हो : कुमार कनानी

सूरत नगर निगम लंबे समय से खाद्य पदार्थों में मिलावट की शिकायत पर छापेमारी कर विभिन्न वेंडरों से सैंपल ले रहा है। सैंपल और रिपोर्ट 20 दिन से एक महीने के बाद आती है। इस बार लिए गए खाने के कई सैंपल फेल हो गए हैं। तब प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व वराछा से विधायक कुमार कनानी ने स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ रोष जताया है। कुमार कनानी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने पत्र में कहा है कि जब खाने के साथ छेड़छाड़ कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जाता है और जान को खतरा होता है तो ऐसे विक्रेताओं पर हत्या के अपराध में मुकदमा चलाने का कानून बनाया जाना चाहिए, ताकि ऐसे तत्व मिलावट करना बंद कर दें। 

हत्या का अपराध दर्ज हो : कुमार कनानी

कुमार कनानी ने मुख्यमंत्री को पत्र सौंपकर कहा कि खाद्य सामग्री में मिलावट करने वालों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए। जब कोई दुर्घटना होती है और उसमें किसी की मृत्यु हो जाती है तो हत्या का अपराध दर्ज किया जाता है। इसी तरह खाद्य पदार्थों में मिलावट लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करती है। ऐसे बदमाशों को कानून का कोई डर नहीं है, इसलिए ऐसा कर रहे हैं। इसलिए मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि जानबूझकर लोगों के खाने में मिलावट कर जीवन को खतरे में डालने वालों के खिलाफ कानून में संशोधन की जरूरत है। यह प्रस्तुत किया गया था कि उनके खिलाफ हत्या की धारा के तहत कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

मिलावट के खिलाफ कुमार कनानी का रोष

सूरत में नगरपालिका स्वास्थ्य प्रणाली पिछले कुछ समय से खाद्य पदार्थ बेचने वाले विभिन्न विक्रेताओं पर छापा मार रही है और नमूने लेकर उन्हें परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेज रही है। अनाज, दाल, मिठाइयां, आइसक्रीम, फास्ट फूड, होटल, रेस्टोरेंट, आम का जूस बेचने वाले या आम बेचने वाले आदि के यहां छापेमारी कर उनके सैंपल लेकर लैब में भेजे जाते हैं। नगर पालिका के स्वास्थ्य विभाग द्वारा लिए गए खाने के सैंपल की रिपोर्ट फेल हो गई है। राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व वराछा विधायक कुमार कनानी भड़के हुए हैं। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मिलावटखोरी के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की है।

सेम्पल की एक महीने में रिपोर्ट आती है, कई लोगों की सेहत से समझौता होता है

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व विधायक कुमार कनानी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग खाद्य विक्रेताओं पर छापा मारकर वहां से सैंपल लेता है। जिसे जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है, लेकिन उनसे लिए गए सैंपल की रिपोर्ट 21 दिन से एक माह बाद आती है। इस दौरान मिलावटखोरों के बनाए उत्पादों और बिक रही खाद्य सामग्री से बड़ी संख्या में लोग खा चुंके होते हैं। फिर स्वास्थ्य विभाग द्वारा लिए गए सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आती है। जिससे खाद्य पदार्थों में मिलावट लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गई है।

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