सूरत : न्यू सिविल अस्पताल में बच्चों के लिए शुरू हुआ 'कृत्रिम उद्यान' कारगर साबित हुआ

ऐसे बच्चे सार्वजनिक उद्यानों में नही जा पाते

सूरत : न्यू सिविल अस्पताल में बच्चों के लिए शुरू हुआ 'कृत्रिम उद्यान' कारगर साबित हुआ

मानसिक और शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए 'कृत्रिम उद्यान' डीईआईसी केन्द्र शुरू 

सूरत के न्यू सिविल अस्पताल में मानसिक रूप से विकलांग और शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए एक डीआईसी केंद्र शुरू किया गया था, जो अभी भी काम कर रहा है। इस केंद्र में विभिन्न राज्यों तथा खासकर दक्षिण गुजरात से मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चे भी इलाज के लिए आते हैं। ऐसे बच्चों के मानसिक परिवर्तन और संवेदी विकास से गुजरने के लिए पहली बार कुत्रिम उद्यान बनाया गया है।

सूरत के नए सिविल अस्पताल में हर रोज अलग-अलग बीमारियों के मरीज इलाज के लिए आते हैं। साथ ही मानसिक और शारीरिक विकलांग बच्चों के लिए एक डीआईसी चिकित्सा केंद्र वर्ष 2016 में नए नागरिक अस्पताल में शुरू किया गया था। 2016 में शुरू हुए इस केंद्र में अब तक 56794 बच्चों का इलाज किया जा चुका है। और उनमें से कई बच्चे ठीक भी हो चुके हैं।

इस बारे में केंद्र की डॉ. हर्षिता ने बताया कि यह केंद्र 2016 में शुरू किया गया था। इस केंद्र में मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चे आते हैं। तो कुछ बच्चे जो शारीरिक रूप से चल नहीं सकते उन्हें यहा उपचार दिया जाता है। ऐसे बच्चों के लिए हमने इस सेंटर में पहली बार आर्टिफिशियल गार्डन बनाया है। यह पहला प्रयास है और इस गार्डन को बनाने की खास वजह यह है कि हमें इन बच्चों के लिए अलग-अलग एक्टिविटीज करनी पड़ती हैं इस लिए गार्डन में हमने इक्विपमेंट लगाए हैं । जब हम उन्हें झुला खिलाते हैं तो बच्चों के कानों में पानी जैसा तरल पदार्थ जो सभी के कानों में होता है वह निकल आता है। हिचका खाते समय उनका दिमाग भी ऐसे ही झूलता है। और उनका मानसिक और शारीरिक विकास होता है। दूसरा उद्देश्य यह है कि ऐसे बच्चे सार्वजनिक उद्यानों में नहीं जा सकते। सामान्य बच्चों के साथ नहीं खेल सकते। माता-पिता भी उन्हें बगीचे में ले जाने से डरते हैं। इसलिए हमने यहां यह आर्टिफिशियल गार्डन बनाया है। यह प्रयास पहली बार किया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि इस केंद्र में प्रतिदिन 35 से 45 बच्चे आते हैं। यहां कई बच्चे ठीक हो जाते हैं। कई माता-पिता उम्मीद भी छोड़ देते हैं। ऐसे बच्चे भी अच्छे बनते हैं। हाल ही में एक अभिभावक पिछले 4 साल से अपने बच्चे को लेकर आ रहे थे। उन्होंने उम्मीद भी छोड़ दी थी। लेकिन हमने उसका इलाज और थैरेपी जारी रखी और आज बच्चा ठीक हो गया है।

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