श्रीनगर में 22 मई से जी-20 सम्मेलन का शुभारंभ, विदेशी मेहमानों का पहुंचा शुरू, सुरक्षा के कड़े इंतजाम
सम्मेलन में भाग लेने के लिए 63 विदेशी प्रतिनिधियों के श्रीनगर आने की उम्मीद है
जम्मू, 21 मई (हि.स.)। जी-20 पर्यटन कार्य समूह का सम्मेलन 22 मई यानी सोमवार को श्रीनगर में शुरू होने जा रहा है जो 24 मई तक तक चलेगा। रविवार से ही विदेशी मेहमान जम्मू-कश्मीर में पहुंचना शुरू हो गए हैं। सम्मेलन में भाग लेने के लिए 63 विदेशी प्रतिनिधियों के श्रीनगर आने की उम्मीद है। चीन और तुर्किये के प्रतिनिधि सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे क्योंकि दोनों ने ही इसमें भाग लेने से इनकार कर दिया है। सऊदी अरब, इंडोनेशिया और मिस्र के प्रतिनिधियों की मौजूदगी को लेकर भी असमंजस बना हुआ है।
22 से 24 मई तक चलने वाले इस सम्मेलन के दौरान विदेशी मेहमानों को श्रीनगर के कुछ चिन्हित क्षेत्रों के दौरे पर ले जाया जा सकता है। सम्मेलन का उद्घाटन उपराज्यपाल मनोज सिन्हा करेंगे और आयोजन में कई केन्द्रीय मंत्रियों के शामिल होने की उम्मीद है।
नई पहचान दिलाने का अवसरः राज्यपाल
इस आयोजन को लेकर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के सभी नागरिक इस आयोजन के माध्यम से यहां की सांस्कृतिक विरासत से पूरी दुनिया को अवगत कराएं। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के सभी नागरिकों के लिए यह अवसर है कि वह अपनी संस्कृति, विरासत, पर्यटन और आतिथ्य का परिचय करवा सकें। इसके साथ ही सभी देशवासियों को इस यादगार आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए। ये देश के अभिन्न हिस्से को एक नई पहचान दिलाने का सुनहरा अवसर है। उनका कहना है कि जी-20 सम्मेलन की सफलता से इस केंद्र शासित प्रदेश में पर्यटकों की संख्या और निवेश बढ़ेगा जो जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए और अधिक सुखद अवसर लेकर आयेगा।
विदेशी मेहमान समृद्ध विरासत से होंगे रूबरू
इस सम्मेलन में जम्मू कश्मीर की कला, संस्कृति, हस्तशिल्प जम्मू कश्मीर के व्यंजन और जम्मू कश्मीर के विशिष्ट कृषि उत्पादों का मेला भी लगाया जाएगा। डल झील किनारे स्थित शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में जी-20 के पर्यटन कार्य समूह का सम्मेलन होगा। सम्मेलन में भाग लेने आ रहे विदेशी मेहमान प्रदेश की सदियों पुरानी समृद्ध व रंगबिरंगी लोक संस्कृति से भी अवगत होंगे।
सम्मेलन के दौरान एसकेआईसीसी परिसर में हस्तशिल्पियों के लिए विशेष पंडाल लगाया लगाया गया है जहां आने वाले मेहमान बुनकरों को सामान तैयार करते हुए देख सकेंगे। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों की लोक संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक संध्या भी आयोजित की जायेगी जिसमें स्थानीय लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
सम्मेलन के दौरान देशी-विदेशी प्रतिनिधियों को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थलों से अवगत कराया जायेगा। जम्मू-कश्मीर के विरासत स्थलों की जानकारी के साथ पर्यटन का पूरा ब्यौरा भी दिया जायेगा।
व्यापक सुरक्षा इंतजाम
सम्मेलन को शांत व सुरक्षित वातावरण में संपन्न कराने की तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। किसी भी आतंकी षड्यंत्र को नाकाम बनाने के लिए श्रीनगर सहित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर भी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। जी-20 सम्मेलन के चलते प्रदेश भर में सुरक्षा व्यवस्था हाई अलर्ट पर है। आईबी से लेकर एलओसी तक सुरक्षाबल नजर बनाए हुए। लगभग 600 पुलिस अधिकारियों व कर्मियों को सादी वर्दी में सम्मेलन स्थल, एयरपोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात किया गया है।
जम्मू-पुंछ व जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर विशेष नाके स्थापित किए गए हैं। सुरक्षाबल पुंछ-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ मुख्य सड़कों पर विशेष नाके लगाकर आने-जाने वाले वाहनों, यात्रियों के सामान और उनके पहचान पत्रों की जांच करने के बाद ही उन्हें आगे बढ़ने दे रहे हैं। नियंत्रण रेखा से सटे रिहायशी एवं जंगली क्षेत्रों में सुरक्षाबलों पुलिस, एसओजी, सीआरपीएफ और सेना की तरफ से विशेष तलाशी अभियान चलाए जा रहे हैं। नियंत्रण रेखा के उस पार मौजूद आतंकी संगठनों के आका एवं आईएसआई किसी न किसी तरह से बड़े आतंकी हमले की फिराक में हैं। आईबी पर बीएसएफ और एलओसी पर सेना चौकसी कर रही है।
जी 20 सम्मेलन स्थल को एनएसजी व जम्मू कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान दल एसओजी के कमांडो दस्ते ने अपने कब्जे में ले लिया है जबकि डल झील में सीआरपीएफ के वाटर विंग और नौसेना के मार्काेस दस्ते लगातार गश्त कर रहे हैं।
हर स्थिति पर कड़ी नजरः पुलिस महानिदेशक
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा है कि हमने सुरक्षा के पूरे इंतजाम किये हैं और हर स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। सम्मेलन के दौरान आतंकियों को किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी करने का कोई मौका नहीं मिलेगा। इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय शरारती तत्वों और अफवाह बाजों की भी निगरानी की जा रही है।
जम्मू कश्मीर में 1986 के बाद यह अपनी तरह का पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय आयोजन है। पाकिस्तान ने इस सम्मेलन को नाकाम बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हरसंभव षड्यंत्र किया। आतंकी संगठनों ने भी इस आयोजन का विरोध करते हुए सम्मेलन के दौरान श्रीनगर व प्रदेश के अन्य भागों में आतंकी हमलों की धमकी दी है।
श्रीनगर में करीब एक हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। विभिन्न इलाकों में ड्रोन के जरिए निगरानी की जा रही है। आतंकियों द्वारा ड्रोन हमले की आशंका को देखते हुए एंटी ड्रोन प्रणाली भी स्थापित की गई है। श्रीनगर में महत्वपूर्ण जगहों पर शार्प शूटर तैनात किए गए हैं। घाटी में ही नहीं जम्मू प्रांत के पहाड़ी व आतंक ग्रस्त इलाकों में रहने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा बढ़ाई गई है। सभी पूर्व आतंकियों और आतंकियों के गाइड व अन्य शरारती तत्वों की गतिविधियों की लगातार निगरानी की जा रही है। जम्मू प्रांत में अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ सटे इलाकों से लेकर एलओसी पर स्थित नदी, नालों व जंगलों में विशेष तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।