खेती : तैयार करें खरीफ मक्का के लिए खेत और धान की नर्सरी

समसामयिक सलाह के अनुसार गुणवत्तापूर्ण खेती की जा सकती है

खेती : तैयार करें खरीफ मक्का के लिए खेत और धान की नर्सरी

बेगूसराय, 21 मई (हि.स.)। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र बेगूसराय ने 24 मई तक का पूर्वानुमान जारी कर किसानों को समसामयिक सलाह दी है। जिसमें बताया गया है कि 23 एवं 24 मई को बादल छाए रहेंगे, हल्की बारिश भी हो सकती है।

कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. रामपाल ने जारी किए गए समसामयिक सुझाव में कहा है कि पूर्वानुमान की अवधि में हल्के से मध्यम बादल देखे जा सकते हैं। अगले कुछ दिनों तक मौसम शुष्क रहने की सम्भावना है। उसके बाद वर्षा होने का अनुमान है। समसामयिक सलाह के अनुसार गुणवत्तापूर्ण खेती की जा सकती है।

वर्षा की संभावना को देखते हुए तैयार मक्का की फसल की कटाई एवं दौनी तथा दानों को सुखाते समय सावधानी बरतनी चाहिए। जो किसान सिंचाई करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें फिलहाल सिंचाई नहीं करनी चाहिए, वर्षा नहीं होने की स्थिति में करनी चाहिए। कीटनाशकों का प्रयोग साफ मौसम रहने पर ही करना चाहिए।

खरीफ मक्का की बुआई के लिए खेत की तैयारी मौसम को ध्यान में रखते हुए करें। खेत की जुताई में दस से 15 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें। बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 30 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 50 किलो पोटास का व्यवहार करें।

उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित मक्का की किस्में सुआन, देवकी, शक्तिमान-1, शक्तिमान-2, राजेन्द्र शंकर मक्का-3 एवं गंगा-11 है। खरीफ मक्का की बुआई 25 मई से करें। राजश्री राजेंद्र मंसूरी, राजद्र श्वेता किशोरी, स्वर्ण, स्वर्ण सब-1, वीपीटी-5204 एवं सत्यम जैसी लंबे समय तक चलने वाली धान की किस्में उगाने वाली नर्सरी को 25 मई से लगाया जा सकता है।

स्वस्थ पौधों को सुनिश्चित करने के लिए खेत को नर्सरी के लिए तैयार करें तथा उसमें सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करें। नर्सरी में क्यारी 1.25 से 1.5 मीटर चौड़ा हो तथा लंबाई सुविधा के अनुसार समायोजित की जा सकती है। एक हेक्टेयर क्षेत्र में रोपाई के लिए आठ सौ से एक हजार वर्ग मीटर की नर्सरी क्षेत्र तैयार करें। प्रमाणित बीजों का प्रयोग करें तथा बुआई से पहले उपचारित करना सुनिश्चित करें।

मूंग और उड़द की पक्की फलियों को तुड़ाई करें तथा बाद में बाई जाने वाली फसलों में पीले मोजक रोग की निगरानी रखें। यह रोग एक विषाणु कारण होता है जो सफेद मक्खियों द्वारा फसलों में फैलता है, यह पौधों से रस चूसते हैं। रोग पहले पत्तियों पर पीले धब्बे के रूप में दिखाई देता है। लेकिन अंततः पत्तियां और फलियां पूरी तरह से पीली हो जाती है। पौधे की कार्य करने की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित होती है।

रोग के उपचार के लिए प्रभावित पौधों को तुरंत नष्ट कर दें। साफ मौसम के दौरान स्वस्थ पौधों को स्प्रे करने के लिए इमिडाक्लोरोप्रिड (17.8 एसएल 0.3 मिली प्रति लीटर पानी की दर से) के घोल का उपयोग करें।

पशुओं में अभी के समय गलाघोटू एवं लंगड़ी रोग से बचाव के लिए टीकाकरण कराने की आवश्यकता है। पशु आहार में गर्मी मौसम में हरे चारे का अधिक उपयोग करना चाहिए। पशु आवास में गर्म हवाओं के सीधा प्रवाह को रोकने के लिए बोरी टाट या खस को मुख्य द्वार एवं खिड़की में गीला करके लटका दें। जिससे पशु आवास में ठंडक बनी रहे। गर्मी के मौसम में पशुओं को स्वच्छ पानी आवश्यकता अनुसार या दिन में तीन बार अवश्य पिलाएं। जिससे पशु के शरीर का तापमान नियंत्रित रखा जा सके।

इसके अलावा पानी में थोड़ी नमक और आटा या गुड़-पानी मिलाकर पिलाना चाहिए या एलेक्टरल पाउडर 50-60 ग्राम प्रतिदिन देना चाहिए। गर्मी के मौसम मे पशुओं को तनाव रहित रखने के लिए विटामिन एवं खनिज लवण मिश्रण का प्रयोग बड़े पशुओं में 30 से 50 ग्राम, बछिया 25 से 30 ग्राम एवं छोटे पशु को दस से 15 ग्राम प्रतिदिन दें।

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