मोदी सरकार के ''यूपीआई क्रांति'' ने आम जीवन जीवन में लाए बड़े बदलाव

यूपीआई की शुरुआत ने लोगों को जेब में पैसा लेकर चलने और छुट्टा-सिक्का रखने की झंझट से मुक्त करा दिया

मोदी सरकार के ''यूपीआई क्रांति'' ने आम जीवन जीवन में लाए बड़े बदलाव

पटना/बेगूसराय, 19 मई (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने विगत नौ वर्षों में कई ऐसे क्रांतिकारी कदम उठाए जो आज लोगों की अनिवार्य आवश्यकता बन गई है। ऐसी ही एक बड़ी पहल है डिजिटल क्रांति। एक ऐसी क्रांति जिसने भारत का डंका पूरी दुनिया में बजा दिया।

प्रधानमंत्री के विजन से पैसों के लेनदेन की हुई डिजिटल क्रांति ने ना केवल छोटे दुकानदारों की बड़ी परेशानी का हल कर दिया। बल्कि, आम जनजीवन को भी काफी सुगम बना दिया। यूपीआई की शुरुआत ने लोगों को जेब में पैसा लेकर चलने और छुट्टा-सिक्का रखने की झंझट से मुक्त करा दिया। वहीं, दुकानदारों को छोटा उधार लगने का डर समाप्त हो गया है। बेगूसराय में रोज इससे करोड़ों का लेनदेन हो रहा है।

आज हर कोई डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता दे रहा है, जो यूपीआई के सफलता की कहानी कह रहा है। दुनिया भारत के इस डिजिटल पेमेंट में आई क्रांति देखकर अचंभित है। प्रधानमंत्री के दूरदर्शी विजन के कारण यूपीआई नित नया रिकार्ड बना रहा है। विगत वित्तीय वर्ष में यूपीआई लेन-देन ने नया रिकॉर्ड बनाते हुए 14 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया। रियल टाइम डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत दुनिया में पहले स्थान पर है।

नोटबंदी में लोग परेशान होने लगे थे, कोरोना काल में जब लोग एक-दूसरे को किसी भी रूप में स्पर्श करने से बच रहे थे। ऐसे में गूगल पे, फोन पे, पेटीएम सहित तमाम यूपीआई ने लोगों की बड़ी समस्या का हल कर दिया। आज पानी पूरी खाना हो या पीनी हो चाय, सब्जी लेनी हो या गन्ना का रस पीना हो या फिर चलना हो ई-रिक्शा या किराए के कार पर, कहीं भी पैसा देने का झंझट नहीं है। सेवा का यूज कीजिए और बस मोबाइल से दो सेकंड में पैसा दे दीजिए।

एक सर्वे रिपोर्ट ने कहा है कि भारत का डिजिटल पेमेंट्स मार्केट 2026 तक तीन ट्रिलियन डॉलर से दस ट्रिलियन डॉलर तक तिगुना से अधिक हो जाएगा। पूरे देश में इतने लोग यूपीआई का यूज कर रहे हैं तो ऐसे में बिहार की औद्योगिक राजधानी बेगूसराय भी कहीं पीछे नहीं है। यहां 15 लाख से अधिक लोग विभिन्न यूपीआई यूज कर रहे हैं और प्रत्येक दिन करोड़ों का ट्रांजैक्शन हो रहा है।

बेगूसराय के सभी बैंकों की बात करें तो पांच मई तक 34 लाख 63 हजार 82 बैंक अकाउंट खुल चुका है। जिसमें प्रधानमंत्री के आह्वान पर दस लाख 20 हजार 693 लोगों ने जन धन योजना के तहत खाता खुलवाया। सिर्फ यूपीआई ट्रांजैक्शन ही नहीं, बैंकिंग के प्रति जागरूकता की बात करें तो 2014 के बाद बेगूसराय में करीब 20 लाख नए लोग बैंकिंग सेवा से जुड़े हैं। लोग ना सिर्फ सेवा का उपयोग कर रहे हैं। बल्कि वित्तीय समावेशन के प्रति भी जागरूक हो रहे हैं।

चाय बेचने वाले सुजीत कहते हैं कि इस डिजिटल क्रांति से खुदरा पैसे का झंझट और छोटी उधारी का लफड़ा समाप्त हो गया है। पहले हमारे कुछ ग्राहक खुदरा पैसा नहीं रहने की बात कहकर उधार ले लेते थे। हमने जब से फोन पे और पेटीएम का यूज करना शुरू किया, सारी समस्या समाप्त हो गई। अब लोग चाय पीते हैं और नगद पैसा देने के बदले स्केनर को स्कैन कर पेमेंट कर देते हैं। ना उनसे खुदरा पैसा लेने की झंझट है, ना खुदरा पैसा लौटाने की। सबसे बड़ा फायदा है कि इसने बचत करने की प्रेरणा दी। बैंक में पैसा जमा हो जाता है, वह बहुत जरूरी होने पर ही निकालते हैं।

ई-रिक्शा में यूपीआई स्कैनर चिपकाए राजेश ने बताया कि पहले कई बार सवारी के पास खुदरा पैसा नहीं होता था। मेरे पास भी लौटाने के लिए जब खुदरा नहीं रहता था तो पैसा लेने में काफी परेशानी होती थी। दुकानदारों को खुदरा करवाने के लिए आरजू मिन्नत करनी पड़ती थी। एक साल पहले उसने यूपीआई आईडी बनाकर सामने के शीशा पर चिपका दिया है। अब अधिकतर लोग मोबाइल से ही पैसा देते हैं। इससे खुदरा लौटने के झंझट से मुक्ति और समय की बचत भी हो रही है।

यह दोनों तो मोदी सरकार की योजनाओं के सफलता के बस एक उदाहरण हैं। यूपीआई ट्रांजैक्शन के सफलता की कहानी ना सिर्फ शहर, बल्कि गांव-गांव में देखने को मिल रही है। सब्जी की दुकान, किराना दुकान, कपड़ा का शोरूम, आभूषणालय, चाय-नाश्ता की दुकान, जूस का स्टॉल, स्टेशनरी शॉप सहित लेन-दन वाले सभी जगह यूपीआई ने बड़ी क्रांति कर लोगों को राहत पहुंचाई है। इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रही है। अब तो सभी बैंक भी अपने खाता धारकों का यूपीआई आईडी जनरेट कर रहे हैं।

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