झांसी की अनिंदिता जैन को मिला 'यंग साइंटिस्ट ऑफ इंडिया' अवार्ड

मातृत्व मृत्यु दर को कम करने को 'लक्ष्मी' ऐप तैयार करने पर हुई सम्मानित

झांसी की अनिंदिता जैन को मिला 'यंग साइंटिस्ट ऑफ इंडिया' अवार्ड

प्रधानमंत्री की 'मन की बात' से मिली प्रेरणा


झांसी, 08 मई(हि.स.)। यूं तो वीरांगना भूमि झांसी को विश्व में महारानी लक्ष्मीबाई के शौर्य और पराक्रम के लिए जाना जाता है। लेकिन इस बार झांसी का नाम देश और दुनिया में पहुंचाने का काम लक्ष्मी एप्प बनाकर एक बेटी ने किया है। उसे यह प्रेरणा देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिली है।

झांसी की रहने वाली अनिंदिता जैन ने एक ऐसा 'ऐप' तैयार किया है, जिसकी तारीफ आज देश के वैज्ञानिक कर रहे हैं। अनिंदिता जैन ने मातृत्व मृत्यु दर को कम करने के लिए 'लक्ष्मी' नाम का एक ऐप तैयार किया है। इस ऐप को बनाने के लिए अनिंदिता को 'यंग साइंटिस्ट ऑफ इंडिया'-2022-23 अवार्ड से सम्मानित किया गया है। देश के 5 हजार से अधिक युवा वैज्ञानिकों में से उनका चयन किया गया और चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में अनिंदिता को यह सम्मान दिया गया।

क्या है 'लक्ष्मी' एप्प

'लक्ष्मी' ऐप मातृत्व मृत्यु दर को कम करने के लिए बनाया गया एक मोबाइल एप्प है। ऐप के माध्यम से आशा वर्कर, डॉक्टर और प्रेग्नेंट महिलाएं एक दूसरे से जुड़ सकती हैं। अशिक्षित महिलाएं भी इस ऐप पर इमोजी के माध्यम से बातचीत कर सकती हैं। लक्ष्मी एप द्वारा गर्भवती महिला, आशा वर्कर व चिकित्सक सभी एक दूसरे से जुड़ सकते हैं। इसके माध्यम से आयरन, फ़ॉलिक एसिड टेबलेट के डोज से लेकर प्रेगनेंट महिला के स्वास्थ्य की स्थिति तक पर चिकित्सक और आशा वर्कर नज़र रख सकते हैं। यदि कोई मरीज़ गंभीर स्थिति में इमरजेंसी में पहुंच रहा है तो वह एप के माध्यम से इमरजेंसी के चिकित्सक के ड्यूटी मोबाइल पर नोटिफाई कर सकता है। ताकि चिकित्सक व स्टॉफ को तैयार होने का समय मिल सके और बेहतर उपचार प्रदान किया जा सके।

प्रधानमंत्री की 'मन की बात' से मिली प्रेरणा

अनिंदिता झांसी के ही एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ती हैं। अनिंदिता ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कई बार मातृत्व मृत्यु दर को कम करने की बात कहते हुए सुना है। यहीं से उन्हें इस ऐप को बनाने की प्रेरणा मिली। इसमें उनके स्कूल के शिक्षकों ने भी उनकी बहुत मदद की।

गौरतलब है कि अनिंदिता के पिता डॉ. अंशुल जैन झांसी के पैरामेडिकल कॉलेज के निदेशक हैं। वह खुद भी मरीजों की मदद के लिए कई अनोखी तकनीक और ऐप तैयार कर चुके हैं।

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