अहमदाबाद : पति या पत्नी थैलेसीमिया से पीड़ित हैं तो बच्चे को होने बढ़ जाता है  खतरा 

यदि पति या पत्नी को थैलेसीमिया मेजर है, तो बच्चे के थैलेसीमिया मेजर के साथ पैदा होने की संभावना अधिक होती है

अहमदाबाद : पति या पत्नी थैलेसीमिया से पीड़ित हैं तो बच्चे को होने बढ़ जाता है  खतरा 

भारत में हर साल 10 हजार बच्चे थैलेसीमिया मेजर के साथ पैदा होते हैं। आमतौर पर थैलेसीमिया मेजर में शरीर में खून की कमी के कारण हर दो हफ्ते में नियमित रूप से खून चढ़ाने की जरूरत होती है। थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को सालाना लगभग 15 से 60 बोतल रक्त की आवश्यकता होती है।

 थैलेसीमिया के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 8 मई को अंतर्राष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉक्टरों के अनुसार थैलेसीमिया माइनर कोई बीमारी नहीं बल्कि गुणसूत्रीय असामान्यता है, जबकि थैलेसीमिया मेजर एक घातक बीमारी है। थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित व्यक्ति एनीमिया जैसी कई गंभीर समस्याओं से ग्रसित हो जाता है। यदि पति और पत्नी दोनों को थैलेसीमिया माइनर है, तो उनके बच्चे को थैलेसीमिया मेजर होने की संभावना 25 प्रतिशत होती है। इसके अलावा अगर पति-पत्नी में से किसी एक को थैलेसीमिया मेजर है तो भी बच्चे के थैलेसीमिया मेजर होने की संभावना बढ़ जाती है।

थैलेसीमिया माइनर तब होता है जब बच्चे को माता-पिता में से किसी एक से क्रोमोसोमल दोष विरासत में मिलता है। थैलेसीमिया मेजर तब होता है जब बच्चे के माता-पिता दोनों में क्रोमोसोमल दोष या असामान्यता होती है। थैलेसीमिया माइनर में गुणसूत्रों में दोष या असामान्यता होती है, लेकिन  कोई विकार नहीं होता है, वे आमतौर पर स्वस्थ और लक्षण-मुक्त होते हैं। यानी बाहर से स्वस्थ दिखने वाले किसी भी व्यक्ति को थैलेसीमिया माइनर हो सकता है। भारत में 10 में से 8 लोगों को पता भी नहीं होता कि वे थैलेसीमिया कैरियर हैं। इसलिए थैलेसीमिया की जांच करवाना किसी के भी जीवन और उसके परिवार के भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण फैसला है।