अहमदाबाद : राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से राहत नहीं, हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

हाईकोर्ट दोनों पक्षों की दलीलें पूरी करने के बाद आदेश सुरक्षित रखा, ग्रीष्मावकाश के बाद फैसला सुनाएगा

अहमदाबाद : राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से राहत नहीं, हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

 मोदी सरनेम को लेकर मानहानि मामले में राहुल गांधी को कोई राहत नहीं मिली है। उच्च न्यायालय द्वारा आदेश सुरक्षित रखा है, जिससे वैकेशन के बाद फैसला आ सकता है। पूर्णेश मोदी के वकील ने मंगलवार को कोर्ट में दलील दी। उधर, राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी अलग-अलग मामलों के फैसलों का हवाला देते हुए दलीलें पेश कीं। उन्होंने तर्क दिया कि प्रधानमंत्री का उपनाम 'मोदी' है, प्रधानमंत्री का पद ऊंचा है लेकिन यह इस शिकायत या मामले की अवधारणा नहीं है। मोदी सरनेम वाले करोड़ों लोगों में किसी को हर्ट नहीं हुआ, सिर्फ एक अति संवेदनशील व्यक्ति को हुआ।

कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी की गईं

पूर्णेश मोदी के वकील ने कहा कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा था कि नरेंद्र मोदी चौकीदार नहीं हैं; ये देश का पैसा लूटते हैं। नीरव मोदी और ललित मोदी, विजय माल्या और मेहुल चोकसी भी पैसे लेकर भाग चुके हैं। लोगों के 30 हजार करोड़ लुटे। वकील ने तर्क दिया कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा, 'मैं गांधी हूं, सावरकर नहीं, गांधी माफी नहीं मांगेंगे।' मुझे जेल, अयोग्यता का डर नहीं है। अगर आप जो चाहे बोलने से नहीं डरते हैं तो यहां आने की जरूरत नहीं है। राहुल गांधी ने राफेल सौदे में भी प्रधानमंत्री का नाम लिय़ा था। राहुल सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगने की बात करते है और अदालत में प्रार्थना करते हैं, यह विरोधाभासी व्यवहार है। जब आप सार्वजनिक रूप से कहते हैं कि सभी मोदी चोर हैं, तो प्रधानमंत्री का उपनाम भी मोदी ही है। आप लोगों के सामने प्रधानमंत्री को बदनाम करते हैं।


पिछली सुनवाई में कोर्ट में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील की थी। उन्होंने दलील दी कि यह कोई गंभीर अपराध नहीं है जिसे माफ नहीं किया जा सकता। हम दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। गैर-पहचान वाले मामले में ऐसी शिकायत दर्ज नहीं की जा सकती है। एक व्यक्ति जिसका नाम बयान में नहीं था, उसने शिकायत दर्ज कराई। राहुल गांधी जनप्रतिनिधि और सांसद भी हैं। अगर चुनाव आयोग चुनाव की घोषणा कर देता है तो अदालत उस फैसले को कैसे वापस ले सकती है?'' निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने के लिए दलील दी गई थी कि देश में करोड़ों मोदी हैं, किसी ने शिकायत क्यों नहीं की।

शिकायत के बाद किसी सबूत की जांच नहीं की गई

राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट में जस्टिस हेमंत प्रचारक के समक्ष कई मुद्दे रखे। जिसमें व्हाट्सएप कटिंग के आधार पर कोई अपराध नहीं बनता है। पेन ड्राइव पेश की गई थी, जिसका शिकायत में यह उल्लेख नहीं है। रिकॉर्डिंग का समर्थन करने के लिए कोई 65-बी प्रमाणपत्र भी नहीं है। सीडी रिलीज की भी एक दिलचस्प कहानी है। 2019 से 2021 तक की सीडी का कोई जिक्र नहीं था। 2021 की अचानक सीडी जारी कर दी। सिंघवी ने तर्क दिया कि ऐसे मामलों में दोषसिद्धि पर 3 से 6 महीने की सजा हो सकती है, लेकिन 1-2 साल की नहीं। पहले अपराध में 2 साल की सजा नहीं हो सकती है। अगर सजा पर रोक नहीं लगाई गई तो याचिकाकर्ता का राजनीतिक करियर खत्म हो सकता है।

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