वलसाड शहर में व्याप्त समस्याओं के तत्काल निवारण की अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन ने की मांग

वलसाड शहर में व्याप्त समस्याओं के तत्काल निवारण की अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन ने की मांग

वलसाड। अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष विजयकुमार गोयल ने वलसाड नगरपालिका प्रशासन एवं सब डिविजन मजिस्ट्रेट को पत्र लिखकर वलसाड शहर में व्याप्त समस्याओं के तत्काल निराकरण का अनुरोध किया है। उन्होंने पत्र लिखकर कहा है कि मोरारजीभाई देसाई सब्जी बाजार और शॉपिंग सेंटर वलसाड शहर के केंद्र में है, जो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न मोरारजी देसाई के नाम पर बनाया गया है। वलसाड के लोग बड़ी संख्या में सब्जियां खरीदने के लिए जाते हैं, लेकिन बाजार के प्रवेश द्वार पर गंदगी और सीढिय़ों की दयनीय हालत के कारण महिलाएं और बुजुर्ग लगातार गिरते रहते हैं, जिसे ठीक करने की मांग पत्र में की गई है।

वहीं दूसरी तरफ वलसाड के आंबेडकर शॉपिंग सेंटर का प्रवेश द्वार (रेवाबेन पटेल की दुकान के सामने) वाहनों से बंद है और इसे स्थायी रूप से खोलने और साफ करने का अनुरोध किया गया है। जबकि पूरे वलसाड शहर में पार्किंग की व्यवस्था की गई है परंतु ज्यादातर भ्रष्ट तत्वों द्वारा लॉरी, गल्ला और बिस्तर द्वारा भद्दे तरीके से जाम कर दिया गया है, जिसे खुला करने का अनुरोध किया गया है। वहीं वलसाड शाक-भाजी मार्केट से 5 मिनट के वॉकिंग डिस्टेंस पर स्थित टावर विस्तार में भिड़भंजन मंदिर के पीछे लिंक रोड पर, आवां बाई स्कूल के सामने अमित अस्पताल व स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहकों व मरीजों के लिए पार्किंग की व्यवस्था पर बड़े पैमाने पर अवैध कब्जा किया गया है, जिसे पार्किंग के लिए खुला रखने का अनुरोध किया गया है। 

 वलसाड शहर में कई जगह साफ-सफाई न होने के कारण जगह-जगह गंदगी फैल जाती है जिसे संज्ञान में लेने को कहा गया है। इसके अलावा आने वाले मानसून को ध्यान में रखते हुए समय पर प्री-मानसून संचालन करने का अनुरोध किया गया है। पिछले साल मानसून के संचालन में कमी के कारण कई क्षेत्रों में स्थिति खराब हो गई थी। वलसाड शहर में कई जगह मरम्मत नहीं होने के कारण सड़कों पर गड्ढे हो गए हैं। 

विजय गोयल ने कहा है कि कहा जाता है कि काशी की मृत्यु, सूरत का  भोजन और वलसाड का जीवन इसलिए है क्योंकि वलसाड आने वाले लोग वलसाड छोड़कर नहीं जाते हैं, इसलिए वलसाड का विकास दिखाई दे रहा है।

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