आजादी के बाद सबसे पहले बने रेल-सह-सड़क पुल का जीर्णोद्धार शुरू

गंगा पर बन रहे सड़क और रेल पुल के साथ ही नए रूप में दिखेगा राजेन्द्र सेतु

आजादी के बाद सबसे पहले बने रेल-सह-सड़क पुल का जीर्णोद्धार शुरू

बेगूसराय, 26 अप्रैल (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बिहार के सिमरिया में गंगा नदी पर सिक्स लेन सड़क और डबल लेन रेल पुल बनवा रही है। पूर्वोत्तर भारत को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण दोनों पुल 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगा लेकिन इस दोनों पुल के बन जाने पर भी आजादी के बाद देश में गंगा नदी पर बने सबसे पहले रेल-सह-सड़क पुल राजेन्द्र सेतु का अस्तित्व समाप्त नहीं होगा।

65 करोड़ की लागत से राजेन्द्र पुल के मरम्मत का कार्य बुधवार से शुरू कर दिया गया है। मरम्मत का कार्य भी 2024 के अंतिम महीने तक पूरा कर लिया जाएगा।मरम्मत करने में जुटी एजेंसी एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन लिमिटेड द्वारा सड़क मार्ग पर बीचो-बीच बेरिकेडिंग कर एक तरफ से मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है। सड़क के पुराने स्लैब की कटाई की जा रही है। कटाई के बाद नया स्लैब ढ़ाल कर इस ओर वाहन परिचालन शुरू करने के बाद दूसरी तरफ मरम्मत किया जाएगा।

इस दौरान राजेन्द्र सेतु के सड़क मार्ग पर रात 12 बजे से सुबह चार बजे तक आवागमन पूरी तरह से ठप रहेगा। जबकि सुबह चार बजे से रात 12 बजे तक वन-वे व्यवस्था के तहत छोटे वाहन का परिचालन किया जाएगा। बेगूसराय जिला प्रशासन एवं पटना जिला प्रशासन द्वारा सिमरिया एवं हाथीदह छोड़ पर मजिस्ट्रेट एवं पुलिस बलों को तैनात किया गया है।

दोनों ओर से 30-30 मिनट के अंतराल पर वाहन का परिचालन कराया जाएगा। सड़क मार्ग से नीचे से गुजरने वाले रेल मार्ग पर मलवा नहीं गिरे तथा 25 हजार वोल्ट वाले विद्युत तार से किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसके लिए इंसुलेशन मैट लगाए गए हैं। बीच में जरूरत के हिसाब से रेल ब्लॉक भी लिया जा सकता है।

पूरी तरह से काटकर नया सड़क मार्ग बनाने के साथ दोनों तरफ के फूटपाथ की भी मरम्मत की जाएगी। फुटपाथ के कंक्रीट स्लैब को काटकर दोनों ओर लोहे का स्लैब लगाया जाएगा। मरम्मत के बाद पुल से 18 टन वजन तक के वाहन गुजर सकेंगे। पुल के दोनों ओर चलते वाहन को तौलने के लिए वे-ब्रिज मशीन भी लगेगा।

उल्लेखनीय है कि बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के प्रयास से केंद्र सरकार ने आजादी के बाद गंगा नदी पर देश का सबसे पहला सड़क-सह-रेल पुल बिहार में बेगूसराय और पटना जिला के बीच सिमरिया में बनवाया था। पुल का अद्वितीय डिजाइन भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने तैयार किया तथा प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा 1959 में उद्घाटन किए जाने के कारण इसका नाम राजेन्द्र सेतु रखा गया।

जिसके बाद बीच-बीच में मरम्मत कर परिचालन जारी रहा। 2009 में गार्टर में दरार आ गई, जिसका 2012 तक मरम्मत नहीं होने के बाद अधिवक्ता अमरेन्द्र कुमार अमर ने आरटीआई के माध्यम से जानकारी जुटाई तथा अधिवक्ता गोपाल कुमार के सहयोग से पटना उच्च न्यायालय में पीआईएल दायर किया गया था। हाई कोर्ट की कड़ाई और तत्कालीन सांसद डॉ. भोला सिंह के प्रयास से करीब 20 करोड़ खर्च कर मरम्मत किया गया लेकिन पटना के गांधी सेतु और भागलपुर के विक्रमशिला सेतु से भारी वाहनों के गुजरने पर रोक लग जाने से ही पूरे बिहार के वाहनों का लोड राजेन्द्र सेतु पर आ गया। 2019 में हाथीदह की ओर से पाया नंबर-एक के समीप दो जगह गार्टर धंस जाने के बाद बड़े और भारी वाहन के परिचालन रोकने के लिए हाइट गेज लगा दिया गया। उसके बाद अब मरम्मत का कार्य शुरू किया गया है।

एक ओर इस ऐतिहासिक पुल का मरम्मत किया जा रहा है तो पुल की दशा देख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बगल में शिलान्यास किए गए सिक्स लेन सड़क पुल एवं रेलवे पुल का भी निर्माण कार्य काफी तेजी से चल रहा है। दोनों नवनिर्मित दोनों पुल पर 2024 से जब परिचालन शुरू किया जाएगा तो पूर्व के पुल पर कम दूरी के वाहन चलेंगे तथा एक तरह से धरोहर के रूप में संजोकर रखा जाएगा।

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