सूरत : अक्षय तृतीया महोत्सव, महातपस्वी महाश्रमण की सन्निधि में तपस्या का बना नवकीर्तिमान

इस महोत्सव में 1151 तपस्वियों ने अपने सुगुरु को ईक्षुरस का दान कर किया पारणा  

सूरत : अक्षय तृतीया महोत्सव, महातपस्वी महाश्रमण की सन्निधि में तपस्या का बना नवकीर्तिमान

आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में अक्षय ऊर्जा की प्राप्ति को पहुंचे गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी

दुनिया भर में अपने हीरे के व्यापार के लिए जाने जाना वाला गुजरात का शहर सूरत, अपनी साड़ियों और भी कपड़े के निर्माण के प्रसिद्ध सूरत ने आध्यात्मिक क्षेत्र में एक नवकीर्तिमान बनाया। जिसमें अक्षय तृतीया के दिन जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में 1151 तपस्वियों ने आराध्य के पात्र में ईक्षुरस का दान कर नवकीर्तिमान बनाया। तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास में अपने आचार्यकाल में नित नवीन अध्याय जोड़ने वाले महातपस्वी महाश्रमण ने एक और नवीन अध्याय सृजित कर दिया। अक्षय तृतीया महोत्सव के अवसर पर गुजरात के गृहमंत्री हर्ष संघवी ने भी पूज्य सन्निधि में उपस्थित होकर आचार्यश्री से अक्षय आशीर्वाद प्राप्त किया। 

8.15 बजे से ही आरम्भ हो गया अक्षय तृतीया महोत्सव का कार्यक्रम  

 भगवान महावीर यूनिवर्सिटी परिसर में निर्मित भगवान महावीर इण्टरनेशनल स्कूल के सन्निकट अक्षय तृतीया महोत्सव के लिए बना विशाल महावीर समवसरण आचार्यश्री के आगमन से पूर्व ही श्रद्धालुओं की उपस्थिति से भरा हुआ नजर आ रहा था। लोगों की विराट उपस्थिति तथा तपस्वियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए आचार्यश्री ने मुख्य कार्यक्रम का समय प्रातः 8.15 से प्रारम्भ होना निर्धारित किया। रविवार को निर्धारित समय पर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी मंचासीन हुए और मंगल महामंत्रोच्चार करते हुए अक्षय तृतीया महोत्सव का शुभारम्भ किया। आचार्यश्री के महामंत्रोच्चार के उपरान्त तेरापंथ महिला मण्डल-सूरत ने गीत का संगान किया। आचार्यश्री महाश्रमण अक्षय तृतीया प्रवास समिति-सूरत के अध्यक्ष संजय सुराणा ने अपने भावसुमन अर्पित किए। 

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साध्वीप्रमुखाजी, मुख्यमुनिश्री व साध्वीवर्याजी ने भी जनमेदिनी को किया उद्बोधित  

 अक्षय तृतीया महोत्सव के अवसर पर साध्वीवर्या साध्वी संबुद्धयशाजी ने लोगों को उद्बोधित करते हुए स्वरचित गीत का संगान किया। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी जनता को अभिप्रेरित करते हुए अक्षय तृतीया के महत्त्व पर प्रकाश डाला। मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने अक्षय तृतीया और भगवान ऋषभ के जीवनवृत्त का वर्णन करते हुए आचार्यश्री द्वारा रचित गीत का संगान किया। 

यह चार मार्ग मोक्ष प्राप्ति के लिए हैं

अक्षय तृतीया के अवसर पर महातपस्वी महाश्रमण के श्रीमुख से अक्षय आशीष की वृष्टि  अक्षय तृतीया महोत्सव उपस्थित विराट जनमेदिनी व वर्षीतप के तपस्वियों को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अक्षय आशीर्वचन प्रदान करते हुए कहा कि आदमी ज्ञान से भावों को जानता है, दर्शन से श्रद्धा करता है, चारित्र से निग्रह करता है और तप से परिशोधन करता है। यह चार मार्ग मोक्ष प्राप्ति के लिए हैं। आज अक्षय तृतीया का अवसर और एक तपस्या के सानंद सम्पन्नता का दिन भी है। परम तपस्वी, परमात्मा स्वरूप भगवान ऋषभ की तपस्या का आंशिक अनुकरण तप रूप की सम्पन्नता का दिन है। भगवान ऋषभ इस वर्तमान अवसर्पिणी के आदि तीर्थंकर हुए। तीर्थंकर बनने से पूर्व उन्होंने लौकिक सेवा के कार्य भी किए। सांसारिक अवस्था में रहते हुए उन्होंने अषि, मसि और कृषि की शिक्षा भी लोगों को प्रदान की। लौकिक अनुकंपा और कर्त्तव्य निर्वहन के लिए उन्होंने वह कार्य किया। समाज को सही दिशा दिखाने के लिए समाज में नेता का होना आवश्यक होता है।  

भगवान ऋषभ समाज के नेता और राजनेता थे

भगवान ऋषभ समाज के नेता और राजनेता थे। वे लौकिक जीवन में उच्च थे और उन्होंने जब लौकिक जीवन का त्याग कर सन्यास ग्रहण किया और धर्म के अधिनेता बन गए। उनके सन्यास ग्रहण करते ही उनकी तपस्या प्रारम्भ हो गई। साधिक एक वर्ष बाद उन्हें श्रेयांसकुमार ने ईक्षुरस प्रदान कर आज के ही दिन पारणा कराया। 

 आदमी को अपनी वाणी में ईक्षुरस जैसी मिठास रखने का प्रयास करना चाहिए

आज का दिन दान दिवस के रूप में भी प्रतिष्ठित है। आदमी को अपनी वाणी में ईक्षुरस जैसी मिठास रखने का प्रयास करना चाहिए। कितने-कितने लोगों ने वर्षीतप किया है अथवा बाहर में भी किए होंगे, वे सभी अनुमोदना के पात्र हैं। गृहस्थों के साथ विहार यात्रा करने चारित्रात्माएं भी वर्षीतप तप कर लेते हैं और गृहस्थ और चारित्रात्माएं तो वर्षीतप के दौरान लम्बी तपस्याएं भी कर लेते हैं, वह विशेष बात है। साधना के क्षेत्र में तपस्या का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। वर्षीतप के दौरान गृहस्थों के लिए अनेक पालनीय नियम भी बने हैं। उन नियमों के साथ तपस्या कर गृहस्थ और अच्छी गति कर सकते हैं। सभी के भीतर अक्षय आनंद और अक्षय शक्ति का संचार होता रहे। 

श्रद्धेय मंत्री मुनिश्री सुमेरमलजी स्वामी (लाडनूं) को आचार्यश्री ने दी श्रद्धांजलि

अपने दीक्षा प्रदाता श्रद्धेय मंत्रीमुनिश्री सुमेरमलजी स्वामी (लाडनूं) के चौथे महाप्रयाण दिवस पर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि आज से चार वर्ष पूर्व हमारे दीक्षा प्रदाता मंत्री मुनिश्री का जयपुर में महाप्रयाण हो गया था। मैं उनको सश्रद्धा श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। 

चलते कार्यक्रम में पहुंचे गुजरात के गृहमंत्री हर्ष संघवी, प्राप्त किया आशीर्वाद  

 कार्यक्रम के दौरान ही गुजरात राज्य के गृहमंत्री श्री हर्ष संघवी भी आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हुए। उन्होंने आचार्यश्री को वंदन करते हुए श्रद्धा के साथ पट्ट के नीचे विराजे तो आचार्यश्री ने उन्हें आशीष प्रदान करते हुए कहा कि राजनीति में शुद्धि रखने का प्रयास हो। भगवान ऋषभ के चारित्र से राजनीति को भी प्रेरणा प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। 

आपश्री से प्राप्त होती रहे मंगल प्रेरणा : गृहमंत्री श्री हर्ष संघवी 

 गुजरात के गृहमंत्री हर्ष संघवी ने आचार्यश्री के दर्शन और आशीष प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि आज सूरत में एक नए इतिहास का सृजन हो रहा है। परम पूजनीय आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में देश भर से तपस्वी आए हैं। सूरत को ऐसा दृश्य दिखाने वाले आचार्यश्री के प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूं। आप से प्राप्त प्रेरणा हमारे जीवन में भी उतरें, ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें।

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घंटों चला ईक्षुरस के दान का क्रम 

कार्यक्रम में अब तपस्वियों द्वारा ईक्षुरस का दान देने का क्रम आरम्भ हुआ, जो कई घंटों तक चलता रहा। सभी उपस्थित 1151 तपस्वियों ने आचार्यश्री के पात्र में ईक्षुरस का दान देकर आचार्यश्री से आशीष प्राप्त कर पारणा किया। कार्यक्रम के अंत आगामी वर्ष 2024 के अक्षय तृतीया महोत्सव जो औरंगाबाद-महाराष्ट्र में आयोजित होगा, उसके बैनर का लोकार्पण अक्षय तृतीया व्यवस्था समिति-औरंगाबाद द्वारा किया गया। 

प्रवचन पण्डाल स्थल के ऑनर मनहर शंकर भाई ने आचार्यश्री के समक्ष अपने भावों को समर्पित कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री के मंगलपाठ से इस भव्य आयोजन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। 

सूरत में सृजित हुआ तपस्या का नवइतिहास

तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास में सूरत में तपस्या का एक नया अध्याय कीर्तिधर आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में बना। जिसे हजारों लोगों ने प्रत्यक्ष रूप से निहारा तो लाखों लोगों ने पारस चैनल, और तेरापंथ के युट्यूब चैनल तथा अन्य माध्यमों से भी देखा। इस तपस्या में जहां 12 वर्ष से 25 वर्ष के 32 तपस्वी थे तो 80-95 वर्ष की वयोवृद्ध अवस्था को प्राप्त 24 तपस्वी भी उपस्थित थे। इनमें 18 तपस्वी ऐसे भी थे जो अपने जीवनकाल का 25 वां वर्षीतप सम्पन्न किया। अपने जीवन में 48 वां वर्षीतप सम्पन्न करने वाले भी दो तपस्वी उपस्थित थे। 91 जोड़े पति-पत्नी भी इस तपस्या के संभागी थे। 

आचार्यश्री की मंगल सन्निधि गुरुकुलवास में मुनि राजकुमारजी, मुनि कोमलकुमारजी, मुनि वर्धमानकुमारजी, मुनि पुनीतकुमारजी, मुनि निकुंजकुमारजी, साध्वी कल्पयशाजी, साध्वी अक्षयप्रभाजी, साध्वी रुचिरप्रभाजी व समणी स्वर्णप्रज्ञाजी ने अपने-अपने वर्षीतप सम्पन्न किए।