अहमदाबाद : सगे देवर ने कंपनी के मशीन की सब्सिडी पाने के लिए भाभी का बनाया फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी

फर्म के खाते में 10 लाख रुपये की सब्सिडी स्वीकृत होना पाया गया

मानवता के गिरते स्तर से रिश्ते-नाते सब शर्मसार हो रहे हैं, यही कारण है कि समाज धोखाधड़ी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला अहमदाबाद में सामने आई है। सामान की बिक्री हो या किसी कंपनी में पार्टनरशिप, फर्जी दस्तावेज बनाकर धोखाधड़ी और विश्वासघात के मामले सामने आते हैं। शहर की एक निजी कंपनी में सगे देवर ने मशीनों के सब्सिडी पाने के लिए अपने सगी भाभी की फर्जी पावर ऑफ अटार्नी बनवाया था और उसकी एक प्रति जिला उद्योग केंद्र में पेश की थी। इसके अलावा भाभी के बेटे द्वारा कंपनी का हिसाब मांगने पर हिसाब न देने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते थे। जिसमें धोखाधड़ी के संदेह में करंज थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है।

गलत हस्ताक्षर से पावर ऑफ अटार्नी बनाई गई थी

मिली जानकारी के अनुसार मूल रूप से मुंबई की रहने वाली रंजनबेन पटेल एक निजी कंपनी में स्लीपिंग पार्टनर हैं और उनके देवर भी इस कंपनी में वर्किंग पार्टनर हैं। जब रंजनबेन के बेटे हर्षित ने उनसे कंपनी का हिसाब मांगा तो चाचा किशोरभाई ने मना कर दिया। जबकि कंपनी के एकाउंटेंट ने भी बैलेंस शीट देने के बाद कोई अन्य दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया। जब वह अपने चाचा से विवरण मांगता था, तो वह बहाने बनाते थे और खाता विवरण देने से बचते थे। इसलिए, कुछ गलत होने का संदेह होने पर जांच की तो पता चला कि किशोरभाई ने कचहरी में रंजनबेन के गलत हस्ताक्षर के साथ पावर ऑफ अटॉर्नी बनाई थी।

10 लाख रुपये की सब्सिडी स्वीकृत

उसके बाद, पावर ऑफ अटॉर्नी की एक प्रति प्राप्त की गई और एक लेखन विशेषज्ञ द्वारा उसकी जांच की गई। जहां हस्ताक्षर को झूठा बताया गया। इसलिए करंज पुलिस को एक आवेदन दिया गया क्योंकि ऐसा प्रतीत हुआ कि चाचा किशोरभाई ने मशीनरी पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए गलत पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल किया था। फर्म के खाते में 10 लाख रुपए की अनुदान राशि स्वीकृत की गई। चाचा को फर्जी हस्ताक्षर कर गलत तरीके से नोटरी से नोटराइज कराकर पावर ऑफ अटार्नी तैयार करनी पड़ी। लिहाजा रंजनबेन के बेटे ने इस मामले में करंज थाने में शिकायत दर्ज कराई है।

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