अहमदाबाद : गर्मी को लेकर वैज्ञानिकों का दावा, कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा नहीं घटी तो 50 डिग्री के पार जाएगा तापमान!

हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा खतरनाक तरीके से बढ़ रही है

अहमदाबाद : गर्मी को लेकर वैज्ञानिकों का दावा, कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा नहीं घटी तो 50 डिग्री के पार जाएगा तापमान!

पिछले एक या दो दशक में सनस्पॉट में कोई वृद्धि नहीं हुई है

होल में लोगों को भीषण गर्मी झेलनी पड़ रही है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा खतरनाक स्तर से बढ़ रही है। जिससे दिन व दिन गर्मी बढ़ती जा रही है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि अगर यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में तापमान 50 डिग्री से ज्यादा रहेगा। प्रदेश में पिछले काफी समय से लू का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। गर्मी बढ़ने के पीछे के कारणों का अध्ययन करने पर पता चला कि अगर सूर्य में सूर्यकलंक यानी सनस्पॉट बढ़ते हैं तो गर्मी की मात्रा बढ़ जाती है। पिछले एक या दो दशक में सनस्पॉट में कोई वृद्धि नहीं हुई है। इसलिए बढ़ी हुई गर्मी के लिए सनस्पॉट जिम्मेदार नहीं हैं। हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा खतरनाक तरीके से बढ़ रही है। आने वाले दिनों में भी यही हाल रहा तो भीषण गर्मी झेलने की बारी लोगों की होगी।

पिछले 60 वर्षों में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा दोगुनी हो गई है

फिजिकल रिसोर्सेज लेबोरेटरी के पूर्व वैज्ञानिक और ग्रीनफेथ के सदस्य डॉ. राजमल जैन के अनुसार, वाहनों के ईंधन से निकलने वाले धुएं और औद्योगिक कारखानों से निकलने वाले धुएं के कारण वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। थर्मल पावर में बिजली पैदा करने के लिए इस्तेमाल होने वाले कोयले ने भी कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ा दी है।

वर्ष 1960 की तुलना में वर्ष 2022 में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में डेढ़ से दो गुना की वृद्धि हुई है

समुद्री जल में जलवाष्प की मात्रा में परिवर्तन के कारण नाइट्रस ऑक्साइड सहित ग्रीनहाउस गैस, मीथेन गैस बढ़ रही है। पिछले 60 वर्षों में हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में काफी वृद्धि हुई है। वर्ष 1960 की तुलना में वर्ष 2022 में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में डेढ़ से दो गुना की वृद्धि हुई है। हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लाखों टन में है। जिससे दिन प्रतिदिन गर्मी बढ़ती जा रही है। भूकंप, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएं इन्हीं कारणों से हो रही हैं।

कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है

गौरतलब है कि मछली सहित समुद्री जीव कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में सक्षम हैं। पेड़ भी कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। लेकिन समुद्री जीवन नष्ट हो रहा है। पेड़ों को धड़ल्ले से काटा जा रहा है। जिससे हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। पीआरएल के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. राजमल के मुताबिक अगर इसी तरह से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब तापमान 50 डिग्री से ज्यादा हो जाएगा। इसे देखते हुए हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम करने के सामूहिक प्रयास जरूरी हो जाते हैं।

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