दो साल पहले पाई-पाई को तरह सही ये महिला आज उसके क्षेत्र की आईकॉन बन चुकी है!

जानिये टपक सिंचाई प्रणाली से खेती कर महिलाओं के लिये प्रेरणा स्त्रोत बनी फूलमनी की कहानी

दो साल पहले पाई-पाई को तरह सही ये महिला आज उसके क्षेत्र की आईकॉन बन चुकी है!

खूंटी, 14 अप्रैल (हि.स.)। लगभग दो साल पहले तक जिस महिला को पाई-पाई के लिए तरसना पड़ता था, आज वही महिला अपने गांव की ही नहीं, पूरे क्षेत्र में एक आइकॉन बन गई हैं।

खूंटी जिले के कर्रा प्रखण्ड की गोविंदपुर पंचायत के गुस्सा आंबा टोली गांव की रहनेवाली फूलमनी होरो बताती हैं कि वह अधिक पढ़ी-लिखी नहीं है। इसलिए नौकरी की तो कहीं कोई आस नहीं थी। इसलिए उसने अपना पुश्तैनी धंधा खेती किसानी में ही भाग्य आजमाना शुरू किया, पर इसमें भी इतनी कमाई नहीं हो पाती थी, जिससे परिवार की गाड़ी भी आराम से चले और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी हो।

हालांकि कि प्रखंड के कुछ अधिकारियों के कहने पर वह प्रकाश आजीविका सखी मंडल जुड़ गई। समूह में जुड़ने से पहले भी फूलमनी खेती करती थी, लेकिन आमदनी बहुत नहीं थी। वह सिर्फ मानसून के दौरान ही खेती कर पाती थी। पानी की कमी के कारण वह साल भर खेती नहीं कर पाती थी। इसका प्रभाव उसकी आजीविका पर सीधे तौर पर पड़ रहा था। समूह बैठक में कृषि सखी ने फूलमनी को टपक सिंचाई से खेती करने के संबंध में जानकारी दी और इसके लाभ के बारे में भी बताया। जेएसएलपीएस के माध्यम से उसे टपक सिंचाई मशीन की सुविधा मिली। इससे फूलमनी ने अब जाड़ा, गर्मी और बरसात सभी मौसम में खेती करना शुरू कर दिया।

फूलमनी बताती है कि पहले वह परंपरागत तरीके से खेती करती थी, तो उसे काफी समय खेत में गुजारना पड़ता था। मेहनत अधिक करनी पड़ती थी, सिंचाई में भी काफी दिक्कत होती थी और मेहनत और लागत की तुलना में उत्पादन काफी कम होता था। फूलमनी कहती है कि अब टपक सिंचाई से खेती करने से उसे परेशानियों से राहत मिली है। अब वह कम मेहनत, कम पानी, कम लागत और कम समय में अच्छी खेती करती है और अच्छा मुनाफा भी कमाती है। इससे उसके जीवन स्तर में काफी सुधार हुआ।

इसको देख उसके गांव गुस्स अंबाटोली गांव की और महिलाएं भी उससे प्रेरणा लेने लगी और टपक सिंचाई पद्धति से खेती करना शुरू किया। इसके कारण आज गांव के खेत-बारी हर मौसम में हरे-भरे नजर आते हैं। अब तो उसे अपने विकास की गाथा सुनाने के लिए दूसरे गांव के लोग भी बुलाने लगे हैं।