क्षरण के कारण गुजरात के इन समुद्री तटों का भविष्य धुंधला लग रहा!

सूरत के सुवाली, वलसाड के तीथल बीच भी खतरनाक स्थिति में

क्षरण के कारण गुजरात के इन समुद्री तटों का भविष्य धुंधला लग रहा!

शिवराजपुर बीच को आने वाली पीढ़ी शायद ही देख पाएगी

द्वारका के शिवराजपुर बीच का कटाव हो रहा है। जिस हद तक इस समुद्र तट का क्षरण हो रहा है, उसे देखते हुए निकट भविष्य में शायद ही यह दिखाई देगा। शिवराजपुर बीच को आने वाली पीढ़ी शायद ही देख पाएगी, शिवराजपुर बीच का 32692.74 वर्ग मीटर का हिस्सा खत्म हो चुका है। राज्यसभा में 6 अप्रैल 2023 को सरकार द्वारा पेश किये गये जवाब में यह चौंकाने वाला खुलासा किया गया है जिसमें गुजरात के 9 अलग-अलग समुद्र तट हैं, जिनका क्षरण हो रहा है। 

दांडी बीच का 69434.26 वर्ग मीटर का क्षरण हो चुका है

दीव का घोघला बीच का 13614.04 वर्ग मीटर का हिस्सा भी बह गया है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने भी समुद्र में इस प्रकार के कटाव को लेकर आगाह किया था। दांडी बीच का 69434.26 वर्ग मीटर का क्षरण हो चुका है। बार-बार हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र तटों का इस तरह क्षरण हो रहा है। देश की 6632 किलोमीटर लंबी तटरेखा का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पर्यावरण की दृष्टि से खतरा में है। जिसमें डाभरी बीच का 1640149.52 वर्ग मीटर का क्षरण हो चुका है।

कच्छ में मांडवी बीच का 20471.44 मीटर और वलसाड में तीथल बीच का 69610.56 मीटर कटाव हो चुका है

देश भर में, 33.6 प्रतिशत तट रेखाएँ कटाव के अधीन हैं और 26.9 प्रतिशत तटरेखाएँ दरिया में कटाव, कीचड़ एवं कचरे से क्षतिग्रस्त हो रही हैं। कच्छ में मांडवी बीच का 20471.44 मीटर और वलसाड में तीथल बीच का 69610.56 मीटर कटाव हो चुका है। यह कटाव मत्स्य पालन की आजीविका और तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

हजीरा के पास सुवाली समुद्र तट का 69678.17 मीटर का क्षरण हुआ है

सूरत में हजीरा के पास सुवाली समुद्र तट का 69678.17 मीटर का क्षरण हुआ है। समुद्र का स्तर बढ़ेगा और जलवायु परिवर्तन के दौर में पर्यावरण भी मानव जीवन को प्रभावित करेगा। नवसारी में उभराट बीच का 11089.95.32 मीटर कटाव हो चुका है। केंद्र सरकार द्वारा केरल, पांडिचेरी और तमिलनाडु में कटाव और कीचड़, अपशिष्ट भरने की रोकथाम के लिए तीन स्थलों की पहचान की गई है।

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