अहमदाबाद : एनएसयूआई ने एलडी इंजीनियरिंग प्रोफेसर की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

सुसाइड नोट में लिखा है कि उसने काम के बोझ के कारण आत्महत्या की है

अहमदाबाद : एनएसयूआई ने एलडी इंजीनियरिंग प्रोफेसर की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

एनएसयूआई ने कॉलेज प्राचार्य के कार्यालय के बाहर धरना भी दिया

 एलडी इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर निमिष शाह ने गत रोज अपने आवास गांधीनगर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट में लिखा है कि उसने काम के बोझ के कारण आत्महत्या की है। अब पूरे मामले में एनएसयूआई भी सामने आया है। एनएसयूआई का आरोप है कि एलडी इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर ने काम के बोझ से तंग आकर आत्महत्या कर ली। आरोप लगाने के साथ ही एनएसयूआई ने कॉलेज प्राचार्य के कार्यालय के बाहर धरना भी दिया। एनएसयूआई ने जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की है।

कॉलेज के प्राचार्य चार दिन के अवकाश पर हैं

इस मामले में एलडी इंजीनियरिंग कॉलेज की ओर से खुलासा किया गया है कि कॉलेज में काम का कोई बोझ नहीं है। सभी लोगों को शैक्षिक कार्य सौंपा गया है। सभी प्रोफेसर उनके काम से खुश हैं। एलडी इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य राजुल गज्जर घटना के दिन से चार दिन के अवकाश पर हैं। इसके अलावा आत्महत्या की घटना के 2 दिन बीत जाने के बाद भी राजुल गज्जर अभी तक सामने नहीं आये हैं। मृतक प्रोफेसर को इलेक्ट्रिकल मेंटेनेंस का काम सौंपा गया था। जो काम पीडब्ल्यूडी करता है, लाइट, पंखा बंद होने पर प्रोफेसर को पेपर पीडब्ल्यूडी को देना पड़ता था। छात्रवृत्ति के काम के लिए उन्हें एक टीम भी दी गई थी।

लंबे समय से बड़े पैमाने पर फैकल्टी के पद खाली हैं

गुजरात प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ. मनीष दोशी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, आयु सेवानिवृत्ति, इस्तीफा, अन्य नौकरियों में जाने, पदोन्नति और मृत्यु जैसे विभिन्न कारणों से गुजरात सरकार इंजीनियरिंग डिग्री-डिप्लोमा कॉलेज में कर्मचारियों की भारी कमी है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में डिग्री और डिप्लोमा कॉलेज में लंबे समय से बड़े पद खाली हैं। राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रथम श्रेणी के 276 पद रिक्त हैं, जिससे प्रोजेक्ट, रिसर्च, इनोवेशन में पर्याप्त काम नहीं हो पाया है।

शिक्षकों को 12 साल से उच्च वेतनमान नहीं मिला है

उन्होंने कहा कि राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में तृतीय श्रेणी की 478 में से 310 और चतुर्थ श्रेणी की 265 सीटों में से 197 रिक्त हैं। इंजीनियरिंग कॉलेज में स्वीकृत 2744 पदों में से 500 प्राध्यापकों सहित एक हजार पद रिक्त हैं। फैकल्टी के भारी पद खाली होने के कारण अन्य कार्य अधर में लटके हुए हैं। छात्रों से फीस वसूलने, बिल बनाने का काम प्राध्यापक कर रहे हैं। इंजीनियरिंग डिग्री-डिप्लोमा में कॉलेज के शिक्षकों से अध्यापन के अलावा प्रशासनिक कामकाज का भारी बोझ भी अध्यापन को प्रभावित करता है। जिससे शिक्षक मानसिक तनाव महसूस कर रहे हैं। राज्य सरकार की अनिर्णयता के कारण सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों के शिक्षकों को 12 साल से उच्च वेतनमान नहीं मिला है।

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