सूरत : शुभ अवसरों पर पोस्टरों में 'अन्न बचाओ जीव बचाओ' का नारा लिखकर लोगों को जागरूक कर रहा यह समाजसेवी

अपनी थाली में जितना भी भोजन लिये हैं उसकों पूरा खाएं

सूरत : शुभ अवसरों पर पोस्टरों में 'अन्न बचाओ जीव बचाओ' का नारा लिखकर लोगों को जागरूक कर रहा यह समाजसेवी

थाली में अन्न का एक दाना भी नहीं छोड़े

शहर में होने वाले सामूहिक विवाहों, स्नेहमिलन समारोहों, विभिन्न शुभ अवसरों में भोजन करते समय जनता के सामने खड़े हो जाते हैं और पोस्टर के साथ लोगों को जागरुक करते हैं कि वे अपनी थाली में जितना भी भोजन लिये हैं उसकों पूरा खाएं, थाली में अन्न का एक दाना भी नहीं छोड़े। रसोइया या परोसने वाले की गलती किए बिना जितना थाली में प्रसाद लिया है उतना खाना चाहिए।

पिछले दो साल से 'खाना बचाओ, जीवन बचाओ' के नारे के साथ यह जन जागरूकता का काम कर रहे हैं

सूरत के सामाजिक कार्यकर्ता नीलेश धीरूभाई जिकादरा पिछले दो साल से 'खाना बचाओ, जीवन बचाओ' के नारे के साथ यह जन जागरूकता का काम कर रहे हैं। जो शहर के विभिन्न शुभ अवसरों पर होने वाले भोजों में जनता के सामने भोजन करते समय पोस्टर लेकर खड़े होकर लोगों को अपनी थाली में जितना चाहे प्रसाद (भोजन) लेने की सूचना देते हैं। लेकिन थाली में प्रसाद नहीं छोड़ने की सीख देते हैं। 

जय किसान के नारे को साकार कर समृद्ध एवं सशक्त भारत के निर्माण में सहभागी बने

साथ ही जय किसान के नारे को साकार कर समृद्ध एवं सशक्त भारत के निर्माण में सहभागी बने। लोग इस कृत्य की सराहना भी करते हैं और इस प्रकार 10 से 12 बड़े और लड़के जगह-जगह खड़े हो जाते हैं। उनके पास इस तरह की 10 से 12 टीमें होती हैं। किचन में जो खाना बच जाता है उसे प्रसंग करने वाले व्यक्ति से संपर्क कर संस्था द्वारा जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने के लिए संपर्क किया जाता है।

मैं बचपन से ही ऐसे सामाजिक आयोजनों में खाना परोसता था

इस काम को शुरू करने के पीछे की वजह बताते हुए नीलेश धीरूभाई जीकादरा ने कहा, मैं बचपन से ही ऐसे सामाजिक आयोजनों में खाना परोसता था। और वहां उसने देखा कि लोग खाना बहुत बर्बाद कर रहे हैं। किचन में बचे हुए खाने को फेंकने से अच्छा है कि बचे हुए खाने का इस्तेमाल जरूरतमंद लोगों को खिलाएं। इसलिए मैंने इस तरह का काम शुरू किया है। मैं पिछले दो साल से ऐसा कर रहा हूं। मेरी टीम और मैं खुश हैं। (इनपुट क्रेडिट: संजय चंदेल)

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