चीन-फिलीपींस और यूक्रेन से वापस लौटे मेडिकल छात्रों की अधूरी पढ़ाई और परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 3 देशों से लौटने वाले छात्रों को देश के मेडिकल कॉलेज में अधूरी परीक्षा को पास करने की अनुमति दी है

चीन-फिलीपींस और यूक्रेन से वापस लौटे मेडिकल छात्रों की अधूरी पढ़ाई और परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

युद्धग्रस्त यूक्रेन और कोरोना महामारी के कारण चीन-फिलीपींस से लौटे भारतीय एमबीबीएस छात्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 3 देशों से लौटने वाले छात्रों को देश के मेडिकल कॉलेज में अधूरी परीक्षा को पास करने की अनुमति दी है। साथ ही ये भी कहा है कि इन छात्रों में दो प्रयासों में एमबीबीएस परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। अदालत ने इसके लिए के लिए केंद्र सरकार को आदेश दिया है।

मंगलवार को हुई सुनवाई

आपको बता दें कि इस मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दलीलें पेश कीं। ऐश्वर्या भट्टी ने बीआर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ के समक्ष राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (NMC) के साथ स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिशें प्रस्तुत कीं। ये सिफारिशें प्रदान करती हैं कि एमबीबीएस अंतिम वर्ष में लौटने वाले छात्र जिन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई ऑनलाइन पूरी कर ली है, उन्हें अंतिम एमबीबीएस परीक्षा उत्तीर्ण करने का अवसर दिया जाना चाहिए।

छात्र भारतीय मेडिकल कॉलेजों में उपस्थित हो सकेंगे

सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, मौजूदा NMC पाठ्यक्रम और दिशानिर्देशों के अनुसार, जो छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करके बिना परीक्षा दिए विदेश से लौटे हैं, उन्हें पहले MBBS फाइनल क्लियर करने का एक मौका दिया जा सकता है। ये छात्र किसी भी मौजूदा भारतीय मेडिकल कॉलेज में पंजीकरण कराए बिना भी 1 वर्ष की अवधि के भीतर परीक्षा दे सकते हैं। इसके अलावा मंत्रालय के हलफनामे में यह भी कहा गया है कि समिति ने इस बात पर जोर दिया है कि यह विकल्प केवल एक बार के लिए होना चाहिए और भविष्य में इस तरह के किसी अन्य मामले में इस मामले को सन्दर्भ नहीं बनाना चाहिए। छात्रों को 2 परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 2 साल की अनिवार्य इंटर्नशिप भी पूरी करनी होगी, जिसमें से पहला साल मुफ्त होगा और दूसरे साल एनएमसी द्वारा नियमानुसार भुगतान किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से छात्रों की समस्याओं पर विचार करने को कहा

केंद्र सरकार ने एक हलफनामे के माध्यम से कहा है कि थ्योरी परीक्षा भारतीय एमबीबीएस परीक्षा की तरह आयोजित की जा सकती है, जबकि व्यावहारिक परीक्षा कुछ मान्यता प्राप्त सरकारी मेडिकल कॉलेजों द्वारा आयोजित की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में लौटे छात्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन और एस नागमुथु ने सुप्रीम कोर्ट को भारतीय पाठ्यक्रम और अन्य मुद्दों के बारे में रिटर्न छात्रों की चिंताओं के बारे में सूचित किया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा कि अदालत ने सामान्य संशोधन के साथ समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है कि एक छात्र को एमबीबीएस अंतिम, प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण करने का केवल एक मौका दिया जा रहा है, जिससे छात्रों को कठिनाई होगी। इस वजह से छात्रों को दोनों परीक्षाओं में पास होना जरूरी है।पास करने के लिए एक नहीं बल्कि 2 मौके दिए जाने चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इससे पहले भी केंद्र से विदेश से लौटने वाले भारतीय छात्रों की समस्याओं पर गौर करने को कह चुका है।