दिल्ली : हाईटेक हुए चोर, जीपीएस वाली कारों को चुराने के लिए कर रहे हैं जैमर का उपयोग, जानिए पूरी कहानी

पुलिस के हत्थे चढ़ा बड़ा गिरोह, कार चुराकर अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और पूर्वी चंपारण जैसी जगहों पर बेच देते थे

दिल्ली : हाईटेक हुए चोर, जीपीएस वाली कारों को चुराने के लिए कर रहे हैं जैमर का उपयोग, जानिए पूरी कहानी

दिल्ली में कार चोरी करने वाले चोर भी अब हाईटेक हो गए हैं। ये चोर कुछ ऐसा कर चोरी कर रहे हैं जो इन कारों में जीपीएस ट्रैकर लगे हैं, उससे भी ट्रेस नहीं हो पा रही हैं। शहर में वाहन चोर अब इलेक्ट्रॉनिक जैमर का प्रयोग कर रहे हैं। यह जैमर कार में लगे जीपीएस अलर्ट सिस्टम को बेअसर कर देता है जिससे वह वाहन मालिक को अलर्ट नहीं भेज सकता। यहां तक ​​कि जीपीएस सिस्टम के अप्रभावी होने के कारण चोरी हुई कार की लोकेशन का भी पता नहीं चल पाता।

पकड़ा गया ये हाईटेक गिरोह

जानकारी के मुताबिक पुलिस ने कार चोरी करने वाले एक बड़े गिरोह को पकड़ा है। जाँच-पड़ताल में पुलिस को हाल ही में चोरों की इस नई तकनीक के बारे में पता चला है। ये लोग दिल्ली में वाहन चोरी कर अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और पूर्वी चंपारण जैसी जगहों पर भेजते थे। द्वारका के डीसीपी एम हर्षवर्धन ने गिरोह के चार सदस्यों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। बाकी सदस्यों की तलाश की जा रही है। वर्धन ने कहा, 'हमने चोरी की 12 कारें, एक इलेक्ट्रॉनिक जैमर, विभिन्न कार मॉडल की 345 चाबियां, एक चाबी बनाने की मशीन और लाखों की दो प्रोग्रामिंग मशीनें बरामद की हैं।' पुलिस ने तीन पिस्टल, 14 कारतूस और तीन वॉकी-टॉकी भी बरामद किए हैं, जिनका इस्तेमाल गिरोह के सदस्य आपस में बातचीत करने के लिए करते थे।

इस प्रकार सामने आया मामला

एसीपी राम अवतार, इंस्पेक्टर कमलेश समेत अन्य 'चोरी निरोधक दस्ते' ने गिरोह का भंडाफोड़ किया। टीम ने सबूत इकट्ठा करके और द्वारका में और उसके आसपास हाल ही में रिपोर्ट की गई घटनाओं से संबंधित सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण करके ऑपरेशन शुरू किया। इस संबंध में खुफिया जानकारी और जानकारी जुटाने के लिए स्थानीय मुखबिरों को भी लगाया गया था। पुलिस ने सबसे पहले संदिग्ध सुनील और उसके साथी मनजीत को द्वारका सेक्टर 26 से गिरफ्तार किया। इसके बाद उनके ठिकाने से चोरी की 6 कारें और कई उपकरण बरामद किए।

चोरी की कारों से निकाल लिया जाता है जीपीएस सिस्टम
 
दोनों की दी गई सूचना के आधार पर पुलिस ने बिहार के पूर्वी चंपारण में छापेमारी कर रिसीवर अमजद खान नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। खान ने पुलिस को अरुणाचल प्रदेश में अपने सहयोगी नकुलम बिसई तक पहुंचाया। जो एक ट्रैवल एजेंसी चलाता था और चोरी की कारों को टैक्सियों के रूप में इस्तेमाल करता था। चोरों ने चोरी की दो कार अरुणाचल पहुंचने तक ट्रैकिंग सिग्नल को ब्लॉक करने के लिए एक जैमर का इस्तेमाल किया। फिर जब कार अरुणाचल पहुंची तो वहां एक ट्रैवल एजेंसी के टैक्सी बेड़े में तैनात किए जाने से पहले इंजीनियरों ने जीपीएस को हटा दिया था। दोनों ने खुलासा किया कि इस तरह के जैमर कुछ अन्य गिरोह भी इस्तेमाल करते हैं।

जीपीएस से बिगड़ा चोरों का काम तो निकाला इसका उपाय

गौरतलब है कि आज के समय में लगभग हर कार में जीपीएस होता है और यहां तक ​​कि जिस कार में जीपीएस नहीं है, उसका मालिक भी इसे बाजार से 5,000 रुपये में लगवा सकता है। इससे वाहन चोरों के लिए समस्या खड़ी हो गई। उसने अपना रास्ता निकाला और जैमर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने दावा किया कि जैमर महज एक लाख रुपये और प्रोग्रामिंग मशीन 1.8 लाख रुपये में आता है। एक चाबी बनाने वाली मशीन की कीमत करीब 1.6 लाख रुपए होती है।'

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