राजकोट : दुनिया का सबसे पुराना नाट्यगृह ऊपरकोट की बौद्ध गुफाओं में है मौजूद

27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस यानी विश्व रंगमंच दिवस के रूप में मनाया जाता

राजकोट : दुनिया का सबसे पुराना नाट्यगृह ऊपरकोट की बौद्ध गुफाओं में है मौजूद

जूनागढ़ नाम पुराने किले के नाम पर पड़ा है

 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस यानी विश्व रंगमंच दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर जूनागढ़ का एक और रोचक इतिहास बताता है कि जूनागढ़ के उपरकोट किले में एक बौद्ध गुफा में दुनिया का पहला और सबसे पुराना नाट्यगृह आज भी मौजूद है।

इस ऐतिहासिक नगरी में कई इतिहास संजोए हुए हैं

जूनागढ़ नाम पुराने किले के नाम पर पड़ा है। इस ऐतिहासिक नगरी में कई इतिहास संजोए हुए हैं। जिसमें उपरकोट के ऐतिहासिक किले में बौद्ध गुफाएं केंद्र के पुरातत्व विभाग के कब्जे में हैं। पुरातत्वविदों रसेश जमींदार, रवि हजरनिश ने उल्लेख किया है कि यह बौद्ध गुफा बौद्ध गतिविधियों के लिए खुदी हुई प्रतीत होती है, लेकिन विद्वानों के निष्कर्षों के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है कि यह गुफा धार्मिक गतिविधियों के लिए नहीं बल्कि उच्च श्रेणी के गणमान्य व्यक्तियों के लिए नाट्य प्रयोगों के लिए खुदी हुई थी।

इसके स्थापत्य रूप को देखते हुए इसे प्रमोदभवन या रंगभवन कहा जा सकता है। क्योंकि इसके भूतल पर नृत्य और नाटक के लिए एक खुला वर्ग है, राजाओं या गणमान्य व्यक्तियों के लिए विशेष बैठक,  सुंदरियों के लिए सौंदर्य कक्ष, बैठने की व्यवस्था और भरपूर प्राकृतिक प्रकाश की सुविधा इस बात की प्रतिति कराती है। 

क्षत्रपों ने पहली से चौथी शताब्दी ईस्वी तक शासन किया

इसकी पुष्टि स्तंभ पर बने आलंकारिक जोड़े के साथ-साथ कला को देखने वाले पुरुष और महिला जोड़े के घूरते चेहरों से होती है। क्षत्रपों ने यहां पहली से चौथी शताब्दी ईस्वी तक शासन किया। यह गुफा उस जमाने में तराशी गई होगी। अतः इसे सबसे पुराना रंग भवन कहा जा सकता है। इन सभी बातों का उल्लेख राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा वर्ष 1995 में सी.एम. उपरकोट के बारे में एक पुस्तिका में अत्रि के साथ-साथ दिनकर मेहता के लेख में भी मिलते हैं।