मध्य प्रदेश : महाकाल नगरी में स्थित इस शक्तिपीठ में प्रतिदिन होती है 1051 दीपों से आरती, इस मंदिर की है बड़ी मान्यता

उज्जैन में गिरी थी माता की कोहनी, मंदिर में होते हैं नवदुर्गा के दर्शन

मध्य प्रदेश : महाकाल नगरी में स्थित इस शक्तिपीठ में प्रतिदिन होती है 1051 दीपों से आरती, इस मंदिर की है बड़ी मान्यता

भारत के मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के मंदिर के आसपास का क्षेत्र प्राचीन काल से महाकाल नगरी के नाम से जाना जाता रहा है। महाकालेश्वर मंदिर के पीछे 51 शक्तिपीठों में से एक हरसिद्धि माता का मंदिर है। माता हरसिद्धि के दरबार में प्रतिदिन 1051 दीपों से आरती की जाती है। इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान एक विशेष प्रकार की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान देश भर से श्रद्धालु यहां माता का आशीर्वाद लेने आते हैं। हरसिद्धि माता मंदिर में अन्य माता मंदिरों की तुलना में अलग परंपराओं के साथ पूजा और आरती की जाती है। 

इसी स्थान पर गिरी थी माता सती की कोहनी 

शक्तिपीठों के पीछे की मान्यता और कथाओं की बात करें तो आदि शक्ति के एक रूप सती ने शिवजी से विवाह किया, लेकिन इस विवाह से सती के पिता दक्ष खुश नहीं थे। बाद में दक्ष ने एक यज्ञ किया तो उसमें सती को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया। सती बिना बुलाए यज्ञ में चली गईं। दक्ष ने शिवजी के बारे में अपमानजनक बातें कहीं। सती इसे सह न सकीं और सशरीर यज्ञाग्नि में स्वयं को समर्पित कर दिया। दुख में डूबे शिव ने सती के शरीर को उठाकर विनाश नृत्य आरंभ किया। इसे रोकने के लिए विष्णु ने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल कर सती की देह के टुकड़े किए। जहां-जहां सती के शरीर के अंग गिरे, वो स्थान शक्तिपीठ बन गए। उज्जैन में माता की कोहनी गिरी थी। उसके बाद यहां शक्तिपीठ की स्थापना की गई। हरसिद्धि माता के मंदिर के पुजारी के अनुसार माता हरसिद्धि का दरबार ब्रह्म मुहूर्त में खुलता है। इसके बाद दूध, दही, शहद, शक्कर, जल आदि से पंचामृत पूजन व अभिषेक किया जाता है। सोलह श्रंगार के बाद मां का दरबार भक्तों के लिए खोला जाता है। मंदिर परिसर में 1051 दीपक मालिक हैं, जो आरती के समय जलाए जाते हैं। 

सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी थी माता हरसिद्धि

गौरतलब है कि माता हरसिद्धि को सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी माना जाता है। मंदिर के पुजारी के अनुसार सम्राट विक्रमादित्य प्रतिदिन माता का आशीर्वाद लेने मंदिर जाते थे। इसका वर्णन कई कथाओं में भी किया गया है। नवरात्रि में जो भी भक्त भक्ति भाव से माता के दरबार में आता है उसकी मनोकामना पूरी होती है।

माता हरसिद्धि के मंदिर में होते हैं नवदुर्गा के दर्शन 

माता हरसिद्धि के मंदिर में नवदुर्गा एक साथ नजर आती हैं। मंदिर के पंडित के अनुसार हरसिद्धि मंदिर में मुख्य मूर्ति माता हरसिद्धि की है। साथ ही उनके ऊपर मां अन्नपूर्णा विराजमान हैं, जबकि मां कालिका नीचे नजर आ रही हैं। माता कालिका के चारों ओर छह देवियां विराजमान हैं। ऐसे में हरसिद्धि माता के मंदिर में मां नवदुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।