भारत सहित विभिन्न देशों के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों ने ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक से की अंग्रेजी परीक्षा घोटाले से उनके नामों को हटाने की विनंती

भारत सहित विभिन्न देशों के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों ने ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक से की अंग्रेजी परीक्षा घोटाले से उनके नामों को हटाने की विनंती

2014 में बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए यूके के दो भाषा परीक्षण केंद्रों में धोखाधड़ी के आरोपों के बाद छात्रों के वीजा को रद्द कर दिया गया था

भारतीयों सहित विभिन्न देशों के छात्रों ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को ज्ञापन देकर अंग्रेजी परीक्षा में घोटाले के कारण ‘अन्यायपूर्ण’ तरीके से उनका वीजा रद्द किए जाने के मामले में हस्तक्षेप कर कार्रवाई का आग्रह किया।

2014 में बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए यूके के दो भाषा परीक्षण केंद्रों में धोखाधड़ी के आरोपों के बाद छात्रों के वीजा को रद्द कर दिया गया था। एजुकेशनल टेस्टिंग सर्विस (ईटीएस) द्वारा जांच के बाद, यूके होम ऑफिस ने 34,000 से अधिक विदेशी छात्रों के वीजा को अचानक रद्द कर दिया, जिससे देश में उनका रात भर रहना अवैध हो गया। अब देश में रहने, काम करने और अपील करने का अधिकार खो चुके प्रभावित छात्र मंगलवार को डाउनिंग स्ट्रीट में एक याचिका पेश कर रहे हैं।

गलत आरोपों के कारण छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ा

आपको बता दें कि छात्रों को बेघर होने, भारी कानूनी फीस और तनाव से प्रेरित बीमारियों से जूझना पड़ा, जबकि कुछ को वापस अपने वतन लौटना पड़ा। न्यायाधीशों और प्रहरी की रिपोर्ट ने धोखाधड़ी के सबूतों में खामियों को उजागर किया और कुछ छात्रों ने अपने निजी मामले जीत लिए। हालांकि, कई अभी भी अधर में लटके जटिल कानूनी कार्रवाई के साथ साथ अपने परिवारों से अलग रह रहे हैं। ऐसे में इससे प्रभावित छात्र अपने मामले के निर्णय या पुनर्विचार के लिए आवेदन करने के लिए एक सरल, मुफ्त तंत्र की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि हर छात्र का आव्रजन रिकॉर्ड धोखाधड़ी से मुक्त हो और धोखाधड़ी के आरोपों से उत्पन्न बाधाओं को दूर करके अध्ययन, कार्य या उद्यमिता में उनकी वापसी की सुविधा हो।

बड़ी आसानी से हो सकती थी यह समस्या हल
  
गौरतलब है कि स्वयंसेवी समूह ‘द माइग्रेंट वॉइस’ इससे प्रभावित छात्रों का समर्थन कर रहा है और सोमवार को 10 डाउनिंग स्ट्रीट को दिए गए ज्ञापन को लेकर उसने समन्वय भी किया। इस बारे में उनका कहना है ‘‘वर्तमान में देखें तो यह समकालीन  ब्रिटिश इतिहास में हुए सबसे बड़े घोटालों में से यह है। इसे दोबारा परीक्षा लेने जैसी सामान्य से कदम से हल किया जा सकता था लेकिन इस मामले में सरकार की शुरूआती प्रतिक्रिया अन्यायपूर्ण थी। इतना ही नहीं इसे वर्षों तक खिंचे जाने दिया लेकिन इसकी जगह उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई। अब वक्त आ गया है कि सरकार हस्तक्षेप करे और इस दुःस्वप्न को खत्म करे। इसे समाप्त करने के लिए बस नेतृत्व की जरूरत है।’’