सूरत  : बोर्ड परीक्षा के समय को ध्यान में रखकर टावर तोडने का समय सुनिश्चित किया गया था!

टावर तोड़ते समय सुरक्षा पर दिया गया विशेष ध्यान 

सूरत  : बोर्ड परीक्षा के समय को ध्यान में रखकर टावर तोडने का समय सुनिश्चित किया गया था!

बगल की स्कूल में 3 बजे बोर्ड के परीक्षा के कारण सूबह 11 बजे टावर ध्वस्त किया गया 

सूरत के मोटा वराछा में उत्राण पावर स्टेशन के 85 मीटर ऊंचे कूलिंग टॉवर को आज एक विस्फोट की मदद से नीचे गिरा दिया गया। टावर पांच सेकंड में पूर्व निर्धारित तरीके से ध्वस्त हो गया था।  टावर को ध्वस्त करने से पहले सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया था। उत्राण पावर हाउस के तंत्र द्वारा टावर को गिराने के लिए तीन बजे का समय निर्धारित किया गया था। लेकिन पास के एक स्कूल में कक्षा 12 के छात्रों की परीक्षा चल रही थी इसलिए विस्फोट के समय को बदलकर 11:00 बजे का किया गया।

टावर को गिराने से पहले सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया

सूरत के पास उत्राण पावर स्टेशन के 85 मीटर ऊंचे कूलिंग टावर को तोड़ने की प्रक्रिया में सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया। ताश के पत्तों की तरह एक विशेष विस्फोट का उपयोग करके पांच सेकंड में टॉवर को नीचे लाया गया। पावर हाउस के सिस्टम द्वारा इस टावर को गिराने से पहले विभिन्न प्रकार की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया था। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्पेशल फायर टीम को तैयार रखा गया। पुलिस अधिकारियों द्वारा बेरिकेड्स लगा दिए गए और टावर के पास जाने की अनुमति नहीं दी गई।

विध्वंस से पहले एक पुनर्मूल्यांकन किया गया था

कूलिंग टावर को गिराने के लिए अलग-अलग टीमें तैयार की गई थीं। टावर गिराने के लिए नियुक्त सुरक्षा प्रभारी एल.आर. पटेल ने कहा कि मुझे लोगों और सभी की सुरक्षा के लिए पांच से दस सेकंड में विस्फोट की मदद से 85 मीटर ऊंचे टॉवर को एक साथ नीचे उतारने की विशेष जिम्मेदारी दी गई थी। फिर हमने टावर को नीचे उतारने से पहले अलग-अलग तरीकों से पुनर्मूल्यांकन किया। जिसमें तीन प्रकार के रेडियेट निर्धारित किये गये। हाई रिस्क, मीडियम रिस्क और लो रिस्क तीन क्षेत्रों का निर्धारण करने के बाद हाई रिस्क में सावधानी से बोलना चाहिए, मीडियम रिस्क में कुछ ही लोग रह सकते हैं और लो रिस्क फैक्टर में धूल और शोर को कम किया जाना चाहिए।

बोर्ड परीक्षा को लेकर समय में बदलाव किया गया था

कूलिंग टावर सुरक्षा प्रभारी एल. आर. पटेल ने आगे कहा कि ताश के पत्तों की तरह टावर गिराने के लिए पिछले 15 दिनों से तैयारी शुरू की गई थी। इसको लेकर रोजाना आसपास के लोगों को आगाह किया जाता था, निर्देश दिए जाते थे। गजेरा स्कूल पावर हाउस के बगल में स्थित है। फिलहाल 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं। इस स्कूल में कक्षा 12 के छात्रों की बोर्ड परीक्षा का केन्द्र था।  पहले कूलिंग टावर को दोपहर तीन बजे गिराने का फैसला किया गया था।  स्कूल के प्राचार्य व ट्रस्टी ने बताया कि इस समय 12वीं बोर्ड के छात्र परीक्षा दे रहे हैं, ऐसे में धूल उड़ने से उन्हें परेशानी हो सकती है। इसलिए उनकी बातों को ध्यान में रखते हुए समय में बदलाव किया गया। दोपहर 03:00 बजे टावर नीचे उतारने की बजाय 11 बजे टावर उतारने का निर्णय लिया गया।

छोटी-छोटी बातों पर विशेष ध्यान दिया गया

टावर को गिराने से पहले छोटी-छोटी बातों पर विशेष सुरक्षा सर्वेक्षण किया गया। कूलिंग टावर के पास से एक लाइव गैस लाइन गुजर रही थी। इसे नुकसान न हो इसका विशेष ख्याल रखा गया । पास में एक बिजली से चलने वाला पैनल था उसे भी बंद कर दिया था। उत्राण पावर स्टेशन में कूलिंग टॉवर के पास रासायनिक टैंक स्थित हैं। उस समय इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि टावर गिराते समय कंकर उडकर रासायनिक टैंक को पंचर न हों और उन पर कोई मलबा न गिरे। कूलिंग टावर को बहुत सावधानी से नीचे लाया गया,  टावर ध्वस्त करने से पहले छोटी से छोटी जानकारी का ध्यान रखा।

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