गुजरात : विधानसभा में गूंजा आलू का मुद्दा, पाटन के विधायक ने बहस के लिए मांगा समय, स्पीकर ने किया इनकार

गुजरात : विधानसभा में गूंजा आलू का मुद्दा, पाटन के विधायक ने बहस के लिए मांगा समय, स्पीकर ने किया इनकार

इस साल आलू की बंपर पैदावार के सामने भाव कम मिलने से किसान मायूस 

गुजरात में पिछले साल की तुलना में इस साल आलू की बम्पर पैदावार होने से कम कीमत मिलने पर किसान निराश हैं। कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि आलू उगाने वाले किसानों को उचित मूल्य मिले और उन्हें कोई नुकसान न हो राज्य सरकार इस बात पर विचार करेगी। इसके बाद पाटन के कांग्रेस विधायक ने राज्य में आलू की कीमतों को लेकर विधानसभा में मुद्दा उठाया। उन्होंने नियम 116 के तहत चर्चा के लिए समय मांगा। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने चर्चा के लिए समय नहीं दिया।

मार्च में शेष 10 प्रतिशत आलू बाजार में आता है

गुजरात के प्रवक्ता मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि बनासकांठा, साबरकांठा, अरवल्ली, गांधीनगर, मेहसाणा, आणंद और खेड़ा गुजरात के प्रमुख आलू उत्पादक जिले हैं। गुजरात में आलू की फसल की बुवाई अक्टूबर से दिसंबर के महीने में की जाती है, जिसमें नवंबर मुख्य महीना होता है। आलू जनवरी माह से बाजार में आने लगती है। जबकि कुल आय का लगभग 75 प्रतिशत फरवरी के महीने में और शेष 10 प्रतिशत मार्च के महीने में बाजार में आता है।

27.23 लाख मीट्रिक टन आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा गया है

ऋषिकेश पटेल ने कहा कि राज्य के कोल्ड स्टोरेज की भंडारण क्षमता लगभग 28.56 लाख मीट्रिक टन है। जबकि आलू की वर्तमान स्थिति के अनुसार पिछले पांच वर्षों में आलू की फसल का औसत बोया गया क्षेत्रफल 1,25,000 हेक्टेयर है। चालू वर्ष में अनुमानित 1,31,432 हेक्टेयर में बंपर आलू की फसल लगाई गई थी, जिससे अनुमानित 40.26 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ है। जिसमें से 27.23 लाख मीट्रिक टन आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा गया है। खेती योग्य क्षेत्र में वृद्धि और मौसम की अनुकूल परिस्थितियों के कारण इस वर्ष आलू के उत्पादन में वृद्धि हुई है।

 कीमतों में उतार-चढ़ाव होने से भाव नहीं मिलते 

ऋषिकेश पटेल ने कहा कि मई में संग्रह की गई प्याज का अक्टूबर-नवंबर में खपत होने तथा महाराष्ट्र-राजस्थान से प्याज बाजार में आने से किसानों को सही कीमत नहीं मिल पाती है। ऐसे में राज्य में किसानों द्वारा प्याज की बिक्री मुख्य रूप से महुवा, भावनगर, राजकोट और गोंडल एपीएमसी में की जाती है। वर्तमान में किसानों को लाल प्याज का औसत बिक्री मूल्य 5 रुपये प्रति किलो है, जो उत्पादन लागत से कम है। किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार जल्द ही उचित मूल्य पर सकारात्मक निर्णय लेगी।