अपनी मर्ज़ी से शादी करना कोई नहीं बात नहीं, प्राचीन ग्रंथों में भी है इसका जिक्र : अदालत

अपनी मर्ज़ी से शादी करना कोई नहीं बात नहीं, प्राचीन ग्रंथों में भी है इसका जिक्र : अदालत

भारतीय संस्कृति में जाति और धर्म के बावजूद शादी न तो कोई समझौता है और न ही कोई अनुबंध, बल्कि यह दो परिवारों के बीच एक पवित्र बंधन

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति के खिलाफ एक लड़की का अपहरण करने और बाद में उससे शादी करने के आरोप में दायर एक प्राथमिकी को रद्द कर दिया है। इस मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, "स्वयंवर, यानी अपनी मर्जी से शादी, कोई आधुनिक घटना नहीं है। इसकी जड़ें प्राचीन इतिहास में खोजी जा सकती हैं, जिसमें रामायण, महाभारत जैसे पवित्र ग्रंथ शामिल हैं।" श्री मुक्तसर साहिब पुलिस ने 18 जनवरी 2019 को याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 363 और 366-ए के तहत मामला दर्ज किया था।

शादी कोई समझौता नहीं -अदालत

आपको बता दें कि याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करते हुए जस्टिस जगमोहन बंगाल की बेंच ने कहा कि भारतीय संस्कृति में जाति और धर्म के बावजूद शादी न तो कोई समझौता है और न ही कोई अनुबंध, बल्कि यह दो परिवारों के बीच एक पवित्र बंधन है। यह दो व्यक्तियों का भौतिक मिलन नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र संस्था है, जहां दो परिवार एक हो जाते हैं। विवाह के महत्व को इस तथ्य से और समर्थन मिलता है कि अविवाहित जोड़े से पैदा हुए बच्चे को कानूनी रूप से विवाहित जोड़े के बच्चे के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है।

हाईकोर्ट ने प्राचीन ग्रंथों का हवाला दिया

हाई कोर्ट ने कहा कि स्वयंवर यानी अपनी मर्जी से शादी करना कोई आधुनिक परिघटना नहीं है। इसकी जड़ें प्राचीन इतिहास में खोजी जा सकती हैं, जिसमें रामायण, महाभारत जैसे पवित्र ग्रंथ शामिल हैं। हमारा संविधान अनुच्छेद 21 के संदर्भ में इस मानवाधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करता है।

इंसान को अपराध करने की सजा मिल सकती है, लेकिन…!

इसके आगे न्यायमूर्ति बंसल ने कहा कि कानून का उद्देश्य चाहे प्रथागत हो, धार्मिक हो या विधायिका द्वारा बनाया गया हो, लेकिन इसका उद्देश्य प्रत्येक मनुष्य के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना भी है। कानून का उद्देश्य किसी की खुद की गलती के बिना किसी के स्थापित जीवन को बिगाड़ना नहीं है। एक व्यक्ति को अपराध करने के लिए दंडित किया जा सकता है। हालाँकि उसे केवल इसलिए दंडित नहीं किया जा सकता है क्योंकि उसका काम किसी और को पसंद नहीं है।

लड़की के पिता ने दर्ज कराई थी शिकायत

मामले के बारे में बताते चले तो लड़की के पिता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया गया था कि 18 जनवरी 2019 को सुबह उनकी बेटी कमरे में नहीं थी। जांच पड़ताल में पता चला कि पड़ोस का एक लड़का उनकी बेटी को शादी का झांसा देकर भगा ले गया है और उसकी बेटी अपने साथ अपना उसका आधार कार्ड और 60 हजार रुप ले गई है।

याचिकाकर्ता और लड़की ने कर ली शादी, है दो बच्चें

इस मामले में आगे याचिकाकर्ता और लड़की ने 3 जुलाई, 2019 को श्री मुक्तसर साहिब के एक गुरुद्वारे में शादी कर ली थी और अब उनके दो बच्चें है।