गुजरात :  अनेक क्षेत्रों में ‘आदर्श’ गुजरात को प्राकृतिक कृषि में भी बनाएं देश का ‘मॉडल’ :  राज्यपाल आचार्य देवव्रत

गुजरात :  अनेक क्षेत्रों में ‘आदर्श’ गुजरात को प्राकृतिक कृषि में भी बनाएं देश का ‘मॉडल’ :  राज्यपाल आचार्य देवव्रत

राज्यपाल का विधायकों से अनुरोध- किसानों का कल्याण चाहते हैं तो उन्हें प्राकृतिक कृषि के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित करें

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गुरुवार को गुजरात विधानसभा की ओर से आयोजित दो दिवसीय संसदीय कार्यशाला के समापन समारोह में कहा कि देश भर में हमारा गुजरात कई मामलों में ‘आदर्श’ है। उन्होंने कहा कि यदि जानलेवा बीमारियों से बचना है, स्वास्थ्यप्रद आहार ग्रहण करना है, हवा, पानी, भूमि और पर्यावरण की रक्षा करनी है, गौ माता को बचाना है, तो प्राकृतिक कृषि को अपनाना ही होगा। उन्होंने गुजरात विधानसभा के सभी विधायकों से कहा कि, “यदि आप किसानों का कल्याण चाहते हैं, तो गुरु दक्षिणा में मुझे वचन दें कि आप सभी अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करेंगे।” उन्होंने सभी विधायकों से प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में भी गुजरात को पूरे देश के लिए ‘मॉडल’ बनाने का आह्वान किया।

विदेश से रासायनिक खाद के रूप में जहर खरीद रहे हैं

समापन सत्र में विधायकों को संबोधित करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने रासायनिक खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से बढ़ रहे रोगों से सावधान करते हुए कहा कि हम करोड़ों रुपए खर्च कर विदेश से रासायनिक खाद के रूप में जहर खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक यानी जैविक खेती भी श्रेष्ठ और सफल पद्धति नहीं है। इस विषय में उपयोगी जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती का मतलब जैविक या ऑर्गेनिक खेती नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस तरह जंगल में खाद या कीटनाशक डाले बिना प्रकृति की कृपा से वृक्ष स्वस्थ एवं फलदार रहते हैं, भूमि भी उर्वर रहती है, ठीक उसी तरह खेतों में भी प्रकृति द्वारा ही फसल का जतन-संवर्धन हो, उसका नाम प्राकृतिक खेती है।

देशी गाय के गोबर और गौमुत्र से उर्वरक बनाने की पद्धति

राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने प्राकृतिक खेती पद्धति की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि देशी गाय के गोबर और गौमुत्र से उर्वरक बनाने की पद्धति, उसके उपयोग और फायदे तथा एक समय में एक से अधिक फसल लेकर बिना किसी खर्च के, बिल्कुल कम मेहनत और कम पानी से प्राकृतिक कृषि के जरिए कैसे अधिक उत्पादन हासिल किया जा सकता है और किसानों की आय दुगुनी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि गुजरात में आज 3,25,000 किसानों ने प्राकृतिक कृषि पद्धति को अपनाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस बात को लेकर प्रयासरत हैं कि पूरे देश के किसान प्राकृतिक खेती पद्धति को अपनाएं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य में प्राकृतिक खेती के अभियान को और अधिक तेज बनाया गया है और कृषि मंत्री राघवजीभाई पटेल के प्रयासों से कृषि विभाग के अधिकारी भी किसानों को प्रशिक्षण देने के काम में ‘मिशन मोड’ से जुड़े हुए हैं।

प्राकृतिक खेती पद्धति के प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करें

उन्होंने सभी विधायकों से अनुरोध किया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में किसानों के लिए प्राकृतिक खेती पद्धति के प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करें। इतना ही नहीं, उन्होंने किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए स्वयं वहां आने की अपनी प्रतिबद्धता भी व्यक्त की। विधानसभा में उपस्थित सभी विधायकों ने राज्यपाल  आचार्य देवव्रत जी के इस दृष्टिकोण का अपने स्थान पर खड़े होकर स्वागत किया।