जानिये क्यों महाराष्ट्र में यवतमाल से अचलपुर के बीच स्थित शकुंतला रेलवे ट्रैक आज भी अंग्रेजों के परोक्ष नियंत्रण में है!

देश की इस रेलवे लाइन पर आज भी है अंग्रेजों को हर साल देनी पड़ती है करोड़ों की रॉयल्टी

जानिये क्यों महाराष्ट्र में यवतमाल से अचलपुर के बीच स्थित शकुंतला रेलवे ट्रैक आज भी अंग्रेजों के परोक्ष नियंत्रण में है!

भारत में रेलवे की शुरुआत अंग्रेजों ने की थी। जिसके बाद भारत के स्वतंत्र होते ही यह रेलवे भारतीय रेलवे बन गई। इसमें भी कई बदलाव हुए। समय-समय पर इसमें सुधार के लिए काम किया गया। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आजादी के इतने सालों बाद भी भारत में एक रेलवे लाइन ऐसी है जिस पर आज भी अंग्रेजों का कब्जा है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रेलवे लाइन पर करोड़ों रुपए की रॉयल्टी अंग्रेजों को दी जाती है। इस खास रेलवे लाइन की बात करें तो शकुंतला रेलवे ट्रैक जो कि महाराष्ट्र के यवतमाल से अचलपुर के बीच करीब 190 किलोमीटर लंबा ट्रैक है। उस पर आज भी अंग्रेजों का दबदबा है। आज भी इस ट्रैक पर शकुंतला पैसेंजर चलती है, जो यहां के स्थानीय लोगों की जीवन रेखा है। भारत सरकार ने इन रेल पटरियों को खरीदने के कई प्रयास किए हैं लेकिन आज तक सफल नहीं हो पाई है।

रेलवे के राष्ट्रीयकरण के बाद ब्रिटिश स्वामित्व में एक और ट्रैक

साल 1952 में भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था, लेकिन राष्ट्रीयकरण के बाद भी देश में अब भी एक ट्रैक बचा है जो इसमें शामिल नहीं है। यह रेलवे ट्रैक एक ब्रिटिश कंपनी के स्वामित्व में आता है। इसीलिए ब्रिटेन की क्लिक निक्सन एंड कंपनी की भारतीय इकाई सेंट्रल प्रोविजन रेलवे कंपनी को हर साल करोड़ों रुपए की रॉयल्टी देती है।

भाप इंजन 70 से अधिक वर्षों से काम कर रहे हैं

यह ट्रेन पिछले 70 सालों से भाप के इंजन से चल रही है। लेकिन साल 1994 के बाद भाप के इंजन को बदलकर डीजल इंजन कर दिया गया। इसके साथ ही ट्रेन की बोगियों की संख्या भी बढ़ाकर 7 कर दी गई है। अचलपुर से यवतमाल के बीच कुल 17 स्टेशन हैं और यह ट्रेन हर स्टेशन पर रुकती है। 190 किमी की दूरी तय करने में इस ट्रेन को करीब 6 से 7 घंटे का समय लगता है। हालांकि, किन्हीं कारणों से यह ट्रेन अब बंद हो गई है। लेकिन फिर भी इस रेलवे ट्रैक को देखने के लिए पर्यटक अचलपुर से यवतमाल आते हैं।