कर्णाटक : शादी के लिए नहीं मिल रही हैं लड़कियां, अब दो सौ से अधिक अविवाहित युवक करेंगे मंदिर तक 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा

कर्णाटक : शादी के लिए नहीं मिल रही हैं लड़कियां, अब दो सौ से अधिक अविवाहित युवक करेंगे मंदिर तक 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा

अनूठी पदयात्रा 23 फरवरी को मद्दुर तालुका के केएम डोड्डी गांव से शुरू होगी

शादी जीवन का एक बहुत बड़ा प्रसंग है। हर संस्कृति और धर्म में शादी का विशेष महत्त्व बताया गया है और इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि हर युवक और युवती को उचित समय पर शादी अवश्य करनी चाहिए। हालांकि आज के समय में जहाँ युवा वर्ग घर परिवार और रिश्ते-नातों से ज्यादा अपनी नौकरी और करियर को अहमियत देते है, ऐसे में उनकी उचित समय पर शादी या तो नहीं हो पाती या फिर वो करना नहीं चाहते। वहीं लड़कियों और उनके परिवार में वेल सेटल्ड दुल्हों की मांग ऊँची रहती है। सामान्य घरों से आने वाले लड़के या किसान घर के लड़के उनकी पसंद नहीं होते। ऐसे में समाज में देश और समाज में अधिक उम्र वाले कुवारें अधिक हो रहे हैं। इसके बाद ये लोग तरह तरह के क्रियाकलाप करके अपने लिए लड़की की तलाश करते हैं। अब ऐसा ही एक अनोखा मामला सामने आया है जहाँ कुछ लोग शादी न हो पाने के कारण एक विशेष मंदिर में जाकर पूजा करना चाहते हैं।

हर लड़की की मांग, बड़े शहर के लड़के

आपको बता दें कि डीपी मल्लेश उन 200 कुंवारे लोगों में शामिल हैं, जो शादी के लिए दुल्हन पाने की उम्मीद में महादेश्वर मंदिर तक 105 किलोमीटर की यात्रा करेंगे। ये मामला कर्नाटक का है जहाँ के मद्दुर तालुका के रहने वाले 33 वर्षीय मल्लेश को चिंता है कि उनके गांव की लड़कियां केवल उन लोगों से शादी करना चाहती हैं जो बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में रहते हैं। मल्लेश ने कहा कि पिछले 4-5 साल से मैं शादी के लिए दुल्हन ढूंढ रहा हूं। मैं उन तमाम लड़कियों से मिला हूं, जिन्हें शादी के लिए प्रपोज किया गया है। उन लड़कियों का कहना है कि वे शहर के लड़कों से ही शादी करेंगी। कोई भी अपनी बेटी की शादी मेरे जैसे किसान से नहीं करना चाहता। 

दो सौ से अधिक कुवारें लड़कों ने कराया पंजीकरण

ऐसे में अब मल्लेश 23 फरवरी से पदयात्रा में भाग लेने की तैयारी कर रहे हैं। यह अनूठी पदयात्रा 23 फरवरी को मद्दुर तालुका के केएम डोड्डी गांव से शुरू होगी और सभी पुरुष 25 फरवरी को महादेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए 3 दिनों में 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा करेंगे। जानकारी के अनुसार 'ब्रह्मचारीगल पदयात्रा' नामक इस यात्रा में भाग लेने के लिए 200 से अधिक अविवाहित पुरुषों ने पंजीकरण कराया है। इस वॉक के आयोजक केएम शिवप्रसाद ने कहा कि इस वॉकथॉन के आयोजन का विचार तब आया जब दोस्तों के एक समूह, सभी अविवाहित, को शादी के लिए भगवान की मदद की जरूरत महसूस हुई।

इस मंदिर का है विशेष महत्व

गौरतलब है कि शिवप्रसाद और उनके सभी दोस्तों की उम्र 30 साल से अधिक है। इन लोगों ने इस प्राचीन पवित्र मंदिर में महाडेश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए एक साथ जाने का फैसला किया। समुद्र तल से 3,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह महाडेश्वर मंदिर कर्नाटक का एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। माना जाता है कि संत महादेश्वर 14वीं से 15वीं शताब्दी के बीच यहां रहे थे। स्थानीय आदिवासी समुदाय का मानना ​​है कि महाडेश्वर ने चमत्कार किया, बाघ की सवारी की और भगवान शिव के अवतार थे। एक दुष्ट राजा श्रवणासुर को नष्ट करने के लिए उसे पृथ्वी पर भेजा गया था।

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