सूरत : प्रबंधन का पहला सिद्धांत अच्छा ज्ञान प्राप्त करना है ताकि व्यवसाय में सफल हो सके: सीए केवल्य स्मार्ट

सूरत : प्रबंधन का पहला सिद्धांत अच्छा ज्ञान प्राप्त करना है ताकि व्यवसाय में सफल हो सके: सीए केवल्य स्मार्ट

कर्मचारियों को उनके तीन गुणों सत्त्व, रजस और तमस से पहचानें, कर्मचारी और संगठन के एकत्रित प्रयास से हि सफलता मिलती है

दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) और भारत विकास परिषद सूरत मेन की एक संयुक्त पहल के दौरान समृद्धि, नानपुरा, सूरत में एक विशेष कार्यक्रम 'भगवद गीता - द बेस्ट गाइड टू मैनेजमेंट - गीता पंचामृत' श्रृंखला का आयोजन किया गया है। जिसके अंतर्गत श्री अरविंद सोसाइटी पोंडिचेरी के कार्यकारी सदस्य सीए केवल्य स्मार्ट ने गीता के विभिन्न श्लोकों के सार के माध्यम से 'गीता - प्रबंधन के दिशानिर्देश' पर एक वकत्वय प्रस्तुत कीया और जीवन तथा व्यवसाय में सफलता के लिए क्या करना चाहिए उसकी जानकारी दी। 

चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष हिमांशु बोडावाला ने कहा, संगठन के नजरिए से जब कोई प्रबंधक या नेता कोई निर्णय लेने जाता है तो उनके मन की चंचलता के कारण उनके पास भी कई विचार होते हैं। यह एक ही प्रश्न के विभिन्न समाधानों की संभावना को दर्शाता है, उपलब्ध विकल्पों में से कौन सा सबसे अच्छा है? यह तय करना अक्सर मुश्किल होता है। आधुनिक प्रबंधन में छात्रों को संघर्ष प्रबंधन का विषय भी पढ़ाया जाता है, अर्थात जब एक नेता को एक ही प्रश्न पर दो परस्पर विरोधी विचारों में से एक को स्वीकार करना होता है, तो निर्णय लेने के लिए किस पद्धति का उपयोग किया जाना चाहिए? इसकी व्याख्या भगवद गीता में दी गई है।

भारत विकास परिषद सूरत मेन के अध्यक्ष सीए रूपिन पच्चीगर ने कहा कि बिजनेस में सफल होने के लिए मैनेजमेंट सबसे जरूरी है। जिनके पास धन, मनुष्य और सामग्री का अच्छा प्रबंधन है वे सफलता प्राप्त कर सकते हैं लेकिन सफलता के बाद लक्ष्मी आती है यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन शुभ लक्ष्मी आनी चाहिए। यह शुभ लक्ष्मी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से आती है। व्यापार और समाज के प्रति नैतिकता का विकास भी जरूरी है।

सीए केवल्य स्मार्ट ने कहा, गीता जीवन में हर पल स्वस्थ रहने की सीख देती है। जीवन में किसी प्रिय वस्तु को लेकर कभी भी अति उत्साहित न हों और न ही उसके लिए कभी दुखी हों। अधिकांश लोग जीवन और व्यवसाय के महत्वपूर्ण क्षणों में निराश हो जाते हैं। इसलिए ऐसे समय में प्रबंधन में पदानुक्रम महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रबंधन का पहला सिद्धांत ज्ञान प्राप्त करना है। अच्छा ज्ञान प्राप्त करना ताकि व्यक्ति व्यवसाय में सफल हो सके। हालांकि, ज्ञान प्राप्त करने के बाद, कभी भी किसी अज्ञानी व्यक्ति का बुध्दिभेद न करें। अर्थात् आप को यह कहकर उसका अपमान नहीं करना चाहिए कि आप अज्ञानी हैं या आप कुछ नहीं जानते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि गीता हमें नैतिक पाठ पढ़ाती है। अतः यदि तुम गोताखोर बनकर गीता के सागर में गोता लगाओगे और मेरा ज्ञान प्राप्त करोगे तो तुम्हें अवश्य ही सफलता मिलेगी। बुद्धिमान पुरुषों को हमेशा समाज के उत्थान के लिए अपने कार्यों में रचनात्मक होना चाहिए। अपने व्यवहार से दूसरों को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति ही खुद का विकास और उध्धार कर सकता है। व्यक्ति अपनी उन्नति या अवनति के लिए स्वयं उत्तरदायी होता है, इसलिए दूसरों को दोष देने के स्थान पर उसे स्वयं उत्तरदायित्व स्वीकार करना चाहिए।

उन्होंने व्यवसायियों को सलाह दी कि वे कर्मचारियों को उनके तीन गुणों सत्त्व, रजस और तमस से पहचानें। उन्होंने कहा कि सत्व गुण वाला व्यक्ति ज्ञान, प्रकाश और सिद्धांत के रूप में कार्य करता है। राजस गुण वाला व्यक्ति उत्साह के साथ कर्म और राजकरण कर सकता है और अथक परिश्रम कर सकता है। जबकि तमस गुण वाला व्यक्ति आलसी होगा और काम नहीं करेगा। हर कार्य में सफलता कैसे प्राप्त करें? वह गीता पढ़ाते हैं। कर्मचारियों के लिए उन्होंने कहा कि जो संगठन और कंपनियां काम कौन करती हैं, उनके काम करने के तरीके और किस्मत जब एकत्रित होती तो मिलकर उन्हें सफलता मिलती है।  

पूरे कार्यक्रम का संचालन चेंबर के मानद कोषाध्यक्ष भावेश गढ़िया ने किया। कार्यक्रम में चैंबर मानद मंत्री भावेश टेलर व भारत विकास परिषद सूरत की मुख्य महिला समन्वयक रंजना पटेल मौजूद रहीं। वक्ताओं ने श्रोताओं के विभिन्न प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर दिये। भारत विकास परिषद सूरत मेन के मानद मंत्री विपुल जरीवाला ने सभी का आभार जताते हुए कार्यक्रम का समापन किया।

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