32 साल चला 150 रुपये की रिश्वतखोरी का मामला, 32 साल बाद अब 87 साल की उम्र में आरोपी को डेढ़ साल की सजा सुनाई गई!

32 साल चला 150 रुपये की रिश्वतखोरी का मामला, 32 साल बाद अब 87 साल की उम्र में आरोपी को डेढ़ साल की सजा सुनाई गई!

अब जब अदालत का फैसला आया तो हो चुकी है शिकायत करने वाले की मौत

आपने अपने समय की लोकप्रिय फिल्म दामिनी में वकील बने सनी देवल के उस डायलॉग को तो सुना ही होगा जिसमें वो अदालत में खड़े जज से फैसले की मांग करते हुए आक्रोशित होते हुए कहते है 'तारीख पे तारीख मिलती है, लेकिन न्याय नहीं मिला।' फिल्म में अभिनेता ने कोर्ट में किसी मामले में लगातार तारीखें पड़ने की बात पर ये कहा था। हालाँकि वो फिल्म थी पर अगर हम वास्तविकता देखने जाए तो असल में दृश्य बहुत अलग नहीं हैं। असली अदालतों में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिलता है। अब इस बात को और मजबूती देने वाला एक मामला सामने आया है, जहाँ 150 रुपए रिश्वत का मामला 32 साल तक चला और अब 87 साल की उम्र में आरोपी को डेढ़ साल की सजा सुनाई गई है। इस मामले में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि इतने दिनों की सुनवाई में फरियादी की मौत हो चुकी है।

जानिए क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि सीबीआई की विशेष अदालत ने 150 रुपये की रिश्वतखोरी के मामले में सेवानिवृत्त रेलवे क्लर्क राम नारायण वर्मा को दो अलग-अलग धाराओं में डेढ़ साल कैद और 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपी ने यह रिश्वत मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए ली थी। हुआ ऐसा था कि आरोपी राम नारायण वर्मा 1991 में उत्तर रेलवे अस्पताल लखनऊ में लिपिक(क्लर्क) के पद पर तैनात था। उन्होंने सेवानिवृत्त कर्मचारी, इंजन चालक, लोको फोरमैन रामकुमार तिवारी से मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के नाम पर 150 रुपये रिश्वत की मांग की। शिकायतकर्ता बहुत गरीब था। 

इस तरह आरोपी को सीबीआई ने दबोचा

कोई रास्ता नहीं देखते ही शिकायतकर्ता ने 7 अगस्त 1991 को उसने 50 रुपये की व्यवस्था की और आरोपी को दे दिया लेकिन आरोपी ने 100 रुपये का भुगतान किए बिना प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया। इससे परेशान पीड़ित रामकुमार तिवारी ने तुरंत इस मामले की शिकायत सीबीआई थाने के अधिकारी से की। मामले की शिकायत मिलने के बाद पुलिस अधिकारी ने एक टीम बनाई और शिकायतकर्ता रामकुमार तिवारी को 50-50 रुपये के दो नोट दिए और कहा कि वह रिश्वत लेने वाले बाबू राज नारायण वर्मा को पास के एक ढाबे पर बुला ले। ढाबे पर सीबीआई की टीम ने राजनारायण वर्मा को बाकी के 100 रुपए रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ लिया।

परिवादी की हो चुकी है मौत, आरोपी ने खुद ही दायर की शीध्र सुनवाई की अपील

आरोपी को पकड़ने के बाद इस मामले की सुनवाई शुरू हुई और इसी के दौरान परिवादी रामकुमार तिवारी की भी मौत हो गई। इस बीच रिश्वत लेने के आरोपितों से मामले के शीघ्र निस्तारण के लिए हाईकोर्ट में अपील भी दायर की गई। जिस पर हाईकोर्ट ने सीबीआई की विशेष अदालत को छह महीने के भीतर मामले का निस्तारण करने का आदेश भी दिया था। हाईकोर्ट के आदेश पर कोर्ट ने महज 35 दिन की सुनवाई में इस मामले का निस्तारण कर दिया है।

कोर्ट का तर्क

सीबीआई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी की उम्र और जब्त की गई राशि को देखते हुए यह कोई बड़ा मामला नहीं है, लेकिन 32 साल पहले 100 रुपये भी एक जरूरतमंद व्यक्ति के लिए बहुत ज्यादा थे, जिसे 382 रुपये पेंशन मिलती थी। कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी को उसके द्वारा किए गए कृत्य के लिए दंडित नहीं किया जाता है, तो इसका समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।