अजीबोगरीब : एक देश जहाँ युद्ध से बचने के लिए देना पड़ता था ‘कायरता कर’!

अजीबोगरीब : एक देश जहाँ युद्ध से बचने के लिए देना पड़ता था ‘कायरता कर’!

ब्रिटेन में युद्ध से भयभीत धनी लोगों के पास डरपोक या कायरता कर देकर युद्ध से दूर रहने का विकल्प हुआ करता था

कल संसद में इस साल का बजट प्रस्तुत किया गया। इसमें हर कोई इनकम टैक्स या आयकर की बात कर रहा है। आपने बहुत सारे टैक्स या कर के बारे में सुना या पढ़ा होगा पर क्या आपने कायरता टैक्स के बारे में सुना है? सुनने में अजीब लगेगा पर ऐसा हुआ करता था। ब्रिटेन में अमीर युद्ध लड़ने से बचने के लिए ‘कायरता कर’ चुकाते थे।

युद्ध से बचने के लिए अमीर वर्ग देता था ये कर

आपको बता दें कि यह 12वीं से 13वीं सदी के बीच के समय में लागू हुआ करता था। उस समय युद्ध से भयभीत धनी लोगों के पास डरपोक कर देकर युद्ध से दूर रहने का विकल्प था। इस कर ने अमीर लोगों और सामंतों को युद्ध में विकलांग होने के भय से मुक्त कर दिया। मध्यकाल में लोग इस कर को देकर युद्ध से बचते थे। साथ ही वे इस भय से भी बचते थे कि कहीं युद्ध में उन्हें चोट न लग जाए। यह कर प्रणाली राजा हेनरी (1100-1135) से लेकर स्टीफन (1135-1154) तक चला। मध्यकाल में राष्ट्रों के बीच युद्ध आम बात थी। कोई भी देश दूसरे देश पर आक्रमण करके उस पर कब्जा कर लेता था। उस समय सेना में भर्ती होने के लिए प्रत्येक युवक की आवश्यकता होती थी, लेकिन धनी युवकों ने इसका भी तोड़ इजात कर लिया।

युद्ध के दिनों के अलावा भी देना पड़ता था ये कायरता कर

इस कर को स्कूटेज या शील्ड मनी भी कहा जाता था। दिलचस्प बात यह है कि यह कर न केवल युद्ध के दिनों में बल्कि सामान्य दिनों में भी चुकाना पड़ता था। ताकि उनकी जगह किसी और को सेना में भर्ती कर प्रशिक्षित किया जा सके। यह कर उस समय बहुत प्रचलित था। ब्रिटेन के बाद 12वीं और 13वीं शताब्दी में इसे अन्य देशों ने अपनाया। यह कर फ्रांस और जर्मनी में भी अपनाया गया था। इस कर का उपयोग राजस्व बढ़ाने के लिए किया जाता था। हालांकि 14वीं सदी में इस टैक्स पर रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद आमदनी बढ़ाने के लिए तरह-तरह के विकल्प तलाशे गए।

एक अजीब टैक्स

इतना ही नहीं उस समय खिड़कियों पर कर लगाया जाता था। इसकी शुरुआत साल 1696 में ब्रिटिश राजा विलियम तृतीय ने की थी। तब बड़े-बड़े महल जैसे घर होते थे, जिनमें कई खिड़कियाँ भी होती थीं। यह टैक्स 6 विंडो के बाद लागू होता था। यह कर वसूल करना आसान था क्योंकि तब अपार्टमेंट नहीं थे, इसलिए हर घर की खिड़कियां दूर से दिखाई देती थीं।

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