अहमदाबाद वासियों पर टैक्स का नया बोझ, 10 साल बाद प्रॉपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी

अहमदाबाद वासियों पर टैक्स का नया बोझ, 10 साल बाद प्रॉपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी

पिछले साल के 8111 करोड़ रुपये के ड्राफ्ट बजट के मुकाबले 8400 करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया 

मंगलवार को एएमसी म्युनिसिपल कमिश्नर एम. थेन्नारसन ने स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष 2023-24 के लिए 8400 करोड़ रुपये का ड्राफ्ट बजट पेश किया। इस बजट में अहमदाबादवासियों पर टैक्स का बोझ डाला गया है। 10 साल बाद बजट में प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ाया गया है। जबकि जल एवं जल संरक्षण कर अभी तक नहीं बढ़ाया गया है। इसके अलावा आयुक्त ने शहर में प्रदूषण रोकने के लिए नए पर्यावरण सुधार शुल्क के तौर पर यूजर चार्ज का भी सुझाव दिया है। डोर-टू-डोर स्वच्छता के लिए यूजर चार्ज भी बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है।

7000 रुपये तक शुल्क का सुझाव दिया गया था

एएमसी ने 10 साल बाद इस साल रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी की है। जिसमें आवासीय संपत्तियों के लिए प्रति वर्ग मीटर रू. 7 रुपये बढ़ाकर 23 किया गया है, जबकि व्यावसायिक संपत्तियों के लिए प्रति चौरस मीटर 9 रुपये बढ़ाकर 37 रुपये कर दिया गया है। आयुक्त ने इस उपयोगकर्ता शुल्क का सुझाव दिया है क्योंकि शहरी लोग सार्वजनिक परिवहन का उपयोग नहीं करते हैं और प्रदूषण फैलाने के लिए अपने स्वयं के वाहनों का उपयोग करते हैं। जिसमें आवासीय संपत्तियों में 5 रुपये से 3000 रुपये प्रति वर्ग मीटर और गैर आवासीय संपत्तियों में 150 रुपये से 7000 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक चार्ज करने का सुझाव दिया गया है।

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स्थायी समिति देगी अंतिम स्वीकृति

शहर में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन सर्विस चार्ज भी बढ़ा दिया गया है। जिसमें आवासीय संपत्तियों के लिए मौजूदा 1 रुपये प्रतिदिन को बढ़ाकर 2 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है। व्यावसायिक संपत्तियों के लिए अलग-अलग दरों का सुझाव दिया गया है। प्रशासन की बढ़ती खर्च, विभिन्न विकास परियोजनाओं और आय को ध्यान में रखते हुए करों में वृद्धि की गई है। सरकार से चर्चा के बाद ही मसौदा (ड्राफ्ट) बजट में कर वृद्धि का प्रावधान किया गया है। स्थायी समिति आयुक्त द्वारा प्रस्तुत प्रारूप बजट में संशोधन कर आगामी दिनों में अंतिम स्वीकृति देगी।

टेंडर की रकम भी बढ़ा दी गई

एएमसी से संबद्ध एएमटीएस, बीआरटीएस, एएमसी एमईटी, स्कूल बोर्ड, एमजे लाइब्रेरी और साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का प्रति वर्ष रु. 1221 करोड़ रुपये देता है। नगर निगम के वेतन व पेंशन पर प्रतिमाह 140 करोड़ रुपए खर्च होता है, जबकि राजस्व महज 93 करोड़ रुपए है। जीएसटी दर में बढ़ोतरी और बदलाव से टेंडर की रकम में भी इजाफा हुआ है। पता चला है कि 700 से 800 करोड़ रुपये की राशि कम होने के कारण अब निगम को संपत्ति कर सहित विभिन्न करों में वृद्धि करनी पड़ी है। 

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